Crime- Brijbihari Prasad Murder Full Story: लालू के मंत्री बृजबिहारी प्रसाद को श्रीप्रकाश शुक्ला और मुन्ना शुक्ला ने क्यों मारा?
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दिग्गज मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या कोई छोटी घटना नहीं थी. दूसरे शब्दों में कहें तो यही वो घटना थी, जिसने सही मायने में बिहार में अपराध या जंगलराज को देश और दुनिया के सामने ला दिया. जब भी बृजबिहारी की हत्या के सवाल का जवाब ढूंढा जाएगा तो इसकी जड़ों को थामे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी नजर आएंगे. 13 जून 1998 को बृजबिहारी प्रसाद की हत्या हुई और तीन अक्टूबर 2024 यानी गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ गया. इसमें मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
मौका है, मौसम है और दस्तूर भी यही है कि आज इस घटना की जड़ों को खंगाला जाए. यह जानने की कोशिश हो कि आखिर मुन्ना शुक्ला और श्रीप्रकाश शुक्ला ने बृजबिहारी प्रसाद को क्यों मारा? आइए, शुरू से शुरू करते हैं और पहले जानने की कोशिश करते हैं कि बृजबिहारी प्रसाद कौन थे. बृजबिहारी प्रसाद आदा में रहने वाले एक सामान्य परिवार में पैदा हुए और उनके पिता आदा में राजपरिवार की संपत्तियों के केयर टेकर थे. चूंकि शुरू से ही पढ़ाई लिखाई में वह बहुत तेज थे, इसलिए ना केवल मैट्रिक में टॉप किया, बल्कि सिविल इंजीनियरिंग की पढाई कर पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर भी बन गए. उस समय भूमिहार समाज के लोगों का इस विभाग पर काफी प्रभाव था.
Brijbihari murder case: नक्सलियों के विरोध में राजनीति
कई बार भूमिहारों ने ठेका लेने के लिए उनकी कनपटी पर तमंचा भी सटा दिया था. इस तरह की घटनाओं से तंग आकर बृजबिहारी ने सरकारी नौकरी छोड़ दी. उस समय आदा में नक्सलियों का आतंक था और कोई भी उनके खिलाफ मुंह खोलने की स्थिति में नहीं था. ऐसे में बृजबिहारी ने मौका देखा और राजपूत समाज के कुछ युवाओं को अपने साथ मिलाकर नक्सलियों के खिलाफ राजनीति शुरू की. फिर चंद्रशेखर की पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ झा के संपर्क में आकर 1990 में विधायक भी बन गए.
चंद्रशेखर की मदद से सीएम बने लालू यादव
उस समय बिहार विधानसभा चुनाव में इस पार्टी से आनंद मोहन और बृजबिहारी प्रसाद समेत कुल 12 विधायक चुने गए थे. इस चुनाव के बाद लालू यादव मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार तो थे, लेकिन विधायकों की संख्या उन्हें सीएम बनाने के लिए पर्याप्त नहीं था. ऐसे चंद्रशेखर ने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ झा को लालू का समर्थन करने को कहा. इस प्रकार लालू यादव के नेतृत्व में सरकार बन गई. हालांकि उस समय केंद्र में लालू यादव की अच्छी पैठ नहीं थी और उनकी सरकार को गिराने की कोशिश होने लगी.
Chief Minister Lalu Prasad Yadav: विधानसभा में लालू से भिड़े आनंद मोहन
यह खबर जब लालू यादव को मिली तो उन्होंने अचानक से मंत्रीमंडल का विस्तार कर दिया. कुल 74 मंत्री बने. इनमें बृजबिहारी प्रसाद भी शामिल थे. मंत्री बनते ही बृजबिहारी लालू यादव के करीब आ गए.इसके बाद जो छिटपुट अपराध उनके लोग चोरी छुपे करते थे, वह खुल कर करने लगे और उत्तर बिहार में बृजबिहारी का डंका बजने लगा. इसी बीच साल 1993 में विधानसभा के अंदर लालू यादव और आनंद मोहन के बीच झड़प हो गई. इस दौरान लालू यादव की ओर से केशरिया से विधायक यमुना यादव सामने आ गए और आनंद मोहन पर माइक फेंक दिया था.
Munna Shukla: बृजबिहारी पर भुटकुन शुक्ला की हत्या का आरोप
उसी समय आनंद मोहन ने ऐलान कर दिया कि अब केशरिया से मुजफ्फरपुर के बाहुबली भुटकुन शुक्ला चुनाव लड़ेंगे. आनंद मोहन के इस ऐलान के बाद एक तरफ भुटकुन शुक्ला केशरिया में राजनीति करने लगे, वहीं बृजबिहारी प्रसाद को लगा कि इससे उनका प्रभाव कम हो जाएगा. इसलिए उन्होंने भुटकुन शुक्ला को पीछे हटने को कहा, लेकिन उनके सिर पर भी आनंद मोहन का हाथ था. ऐसे में 3 दिसंबर 1994 को पुलिस की वर्दी पहने गुंडों ने भुटकुन शुक्ला की हत्या कर दी. आरोप लगा कि यह वारदात बृजबिहारी प्रसाद ने कराई है. इसके बाद आनंद मोहन और भुटकुन शुक्ला की गैंग के लोग काफी आक्रोशित हो गए.
भुटकुन शुक्ला की शव यात्रा में मारे गए डीएम
इसी आक्रोश में अगले दिन भुटकुन शुक्ला की शव यात्रा निकल रही थी, खूब हंगामा हो रहा था और सबसे आगे आनंद मोहन चल रहे थे. जैसे ही यह यात्रा गोपालगंज पहुंची, वहां के डीएम जी कृष्णैया ने हंगामे को रोकने की कोशिश की. इसी दौरान भीड़ ने डीएम की हत्या कर दी. इस मामले में आनंद मोहन ने 14 साल आजीवन कारावास भी काटा है. इसके बाद भुटकुन शुक्ला के गैंग की कमान उनके छोटे भाई छोटन शुक्ला ने संभाली. लेकिन कुछ ही दिन बाद छोटन शुक्ला की भी हत्या करा दी गई. उस समय छोटन शुक्ला की चिता की राख से तिलक करते हुए उनके छोटे भाई मुन्ना शुक्ला ने कसम खाई थी कि वह अपने दोनों भाइयों की हत्या का बदला जरूर लेंगे.
Shriprakash Shukla Shot Brijbihari:सामान्य परिवार में पैदा हुए सूरजभान
यह तो हुई मुन्ना शुक्ला की कहानी, लेकिन इस प्रसंग में सूरजभान सिंह की चर्चा ना हो तो कहानी अधूरी होगी. सूरजभान भी मोकामा कस्बे से लगते हुए एक छोटे से गांव में सामान्य परिवार से आते हैं. कहा जाता है कि सूरजभान के बड़े भाई सीआरपीएफ में थे और उनके पिता उन्हें भी फौज में भेजना चाहते थे. चूंकि नियति को कुछ और ही मंजूर था. इसलिए सूरजभान खराब संगत में आ गए और अपराध करने लगे. एक दिन तो उन्होंने उस रईस से भी रंगदारी मांग ली, जिसके फर्म पर सूरजभान के पिता नौकरी करते थे. इस घटना के बाद सूरजभान के पिता ने सुसाइड कर लिया और कुछ दिन बाद बड़े भाई ने भी मौत को गले लगा लिया.
जेल में हुई थी सूरजभान की हत्या की साजिश
फिर तो सूरजभान को कोई रोकने वाला नहीं था और बिहार के अंडरवर्ल्ड में तेजी से कुख्यात होने लगे. उस समय संयुक्त बिहार था और कुल तीन गैंग चर्चित थे. इनमें एक बेगूसराय वाले अशोक सम्राट और दूसरे आदा से बृजबिहारी तथा तीसरा गैंग मोकामा वाले सूरजभान का थाा.चूंकि अशोक सम्राट की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई. इसलिए बृजबिहारी की राह में अब सूरजभान ही एक मात्र कांटा रह गए थे. उस समय बृजबिहारी प्रसाद मंत्री थे और कहा जाता है कि अशोक सम्राट के एक साथी की हत्या के मामले में उन्होंने सूरजभान को अरेस्ट करा कर जेल भिजवा दिया. साथ ही सुपारी दे दी कि सूरजभान को जेल में ही जहर देकर मार दिया जाए.
Shriprakash Shukla:श्रीप्रकाश और मुन्ना शुक्ला ने बृजबिहारी को मारा
उस समय तक दो भाइयों की हत्या के बदले की आग में जल रहे वैशाली के मुन्ना शुक्ला का संपर्क सूरजभान और गोरखपुर के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला से हो चुका था. इधर, जैसे ही सूरजभान को अपनी हत्या की साजिश की खबर मिली, उन्होंने तत्काल मुन्ना शुक्ला के जरिए श्रीप्रकाश शुक्ला से संपर्क किया. इसके बाद 11 जून 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला अपने साथियों अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी के साथ पटना पहुंचा. यहां मुन्ना शुक्ला ने उसे AK-47 और दो पिस्टल उपलब्ध कराए और फिर इन लोगों ने 13 जून 1998 को बृजबिहारी हत्याकांड को अंजाम दिया.
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