खबर फिली – वो 11 नंबर का कमरा, रिजेक्शन, फिर बेगम अख्तर की शाबाशी… ऐसे ही नहीं कोई शारदा सिन्हा बन जाता है! – #iNA @INA
लोकगायिका शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहीं. वे काफी समय से बीमार थीं. सिंगर ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक छठ के गीत गाए. भजन गाए. लेकिन जब 2024 छठ का पर्व आया तो शारदा सिन्हा ने दुनिया को अलविदा कह दिया. आने वाले कुछ दिन हर तरफ एक आवाज की गूंज होगी. घाट किनारे शारदा जी के गाने बज रहे होंगे. लोग छठी मैया की भक्ति में लीन होंगे. लेकिन अफसोस की हर बार की तरह इस बार ये हर्ष और उल्लास का त्योहार देखने के लिए शारदा सिन्हा स्वयं नहीं होंगी. लेकिन उनकी आवाज की तरह ही हमेशा अमर रहेंगी उनकी स्मृतियां. आइये उन्हीं स्मृतियों में से एक बेहद रोचक किस्से से रूबरू होते हैं.
टैलेंट सर्च में जब शारदा सिन्हा हुईं डिसक्वालिफाई
एक इंटरव्यू के दौरान शारदा सिन्हा ने किस्सा सुनाया था. इसमें उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हें शुरुआत में रिजेक्शन्स मिले और बाद में बेगम अख्तर की शाबाशी. सिंगर ने कहा- किस्से की शुरुआत होती है HMV से. (एक ऐसा स्टूडियो जो जगह-जगह जाकर प्रतियोगिता कराता था और टैलेंटेड लोगों को सेलेक्ट करता था). उस दौरान टैलेंट सर्च निकाला गया था. अखबारों में इस्तेहार आए थे. सभी के सभी दौड़े. मेरे मन में भी खयाल आया कि मुझे भी क्यू में लगना चाहिए. पार्टिसिपेट करना चाहिए. लखनऊ के बर्लिंगटन होटल में ऑडिशन हो रहा था. मैं जिस दिन लखनऊ पहुंची ऑडिशन उसी दिन था. ऐसे में हम लोग होटल पहुंचे तो पता चला कि 11 नंबर पर HMV ने अपना स्टूडियो लगाया है और ऑडिशन हो रहा है. एक के बाद एक लोग आ रहे थे सब रिजेक्ट हो जा रहे थे. मैं भी गई लेकिन मुझे भी डिसक्वालिफाई कर दिया गया. मुझे बहुत दुख हुआ.
Begum Akhtar and Sharda Sinha Meeting: बेगम अख्तर की शाबाशी और बदल गई किस्मत
पहली बार में सेल्क्शन ना होने से निराश शारदा का हौसला उनके पति ने बढ़ाया. उन्होंने कहा कि शारदा को एक बार फिर से ट्राई करने के लिए. शारदा फिर से ऑडिशन देने पहुंची. इस बार इत्तेफाक से जो उनका ऑडिशन ले रही थीं वो कोई और नहीं बल्कि दिग्गज सिंगर बेगम अख्तर थीं. बेगम ने शारदा को बुलाया और कहा कि उनकी आवाज बहुत अच्छी है. उन्हें बस रियाज करने की जरूरत है. उन्होंने शारदा की पीठ थपथपाई और उनका हौसला बढ़ाया. इसके बाद शारदा सिन्हा का ऐसा मानना था कि वे करियर के इम्तेहान में पास हो गई थीं और इस मुलाकात के बाद उनका जीवन बन गया.
मल्टीपल मायलोमा ने ले ली जान
शारदा सिन्हा पिछले काफी समय से बीमार थी. बीच में तो एक बार उनके निधन की अफवाह भी आई थी. तब सिंगर ने अपनी तरफ से ऐसी खबरों पर विराम लगा दिया था और अपने स्वस्थ्य होने की पुष्टि की थी. सिंगर, मल्टीपल मायलोमा नाम के ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं. वो 6 साल पहले 2018 से ही इस बीमारी से जूझ रही थी और कोराना काल में उनकी सेहत ज्यादा बिगड़ गई थी. उन्हें एम्स दिल्ली के रोटरी कैंसर अस्पताल में एडमिट किया गया था. लोकगीतों में अपने अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. वहीं 2018 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा. इसके अलावा दुनियाभर में बिहार का नाम ऊंचा करने वाली शारदा सिन्हा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी दिया गया.
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