सेहत – साइना नेहवाल 34 साल की उम्र में अर्थराइटिस का शिकार, किन खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा खतरा? डॉक्टर से धन्यवाद
एथलीटों को गठिया क्यों होता है: भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी और मेडलिस्ट साइना नेहवाल अर्थराइटिस से सैकड़ा मार रहे हैं। सिना ने एक पॉडकास्ट में अपनी बीमारी के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि वे अर्थराइटिस की वजह से अब 8-9 घंटे की ट्रेनिंग नहीं कर पा रही हैं। साइना की उम्र 34 साल है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें जॉइंट्स की यह बीमारी हो गई है। अब सवाल है कि कम उम्र में किन खिलाड़ियों से अर्थराइटिस का खतरा सबसे ज्यादा होता है? अगर हां, तो इसके क्या कारण हो सकते हैं और इससे किस तरह बचाव किया जा सकता है। इन सवालों के जवाब से जान लें।
नई दिल्ली के एमएएसएच अस्पताल के आथ्यूपेडिक विभाग के निदेशक डॉ. इफ़ेक्ट सेठ ने News18 को बताया अर्थराइटिस जॉइंट्स से जुड़ी सामान्य समस्या है, जिसमें जॉइंट्स के बीच ल्युब्रिकेशन का काम करने वाला कार्टिलेज कम होने लगता है। इसके कारण असुविधा से दर्द और सूजन होने लगती है। अगर अर्थराइटिस की समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो लोग दोबारा सैर-फिरना भी कर सकते हैं। अर्थराइटिस की बीमारी खिलाड़ियों को सबसे अधिक प्रभावित करती है, क्योंकि वे कम उम्र से ही घुटने टेकना शुरू कर देते हैं और चौदह प्रशिक्षण देते रहते हैं।
डॉक्टर इफ़िल सेठ ने एसिमेट्रिकल फ़ोर्स पर बैडमिंटन, टेनिस, फ़ुटबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों के बारे में बताया। कम उम्र से लेकर 30-35 साल तक की उम्र तक खिलाड़ी उग्र खिलाड़ी होते हैं, जिससे उन्हें रिपीट नॉर्मिक इंजरी भी होने लगती है। इसके कारण से मॅक, एंकल और दांतों की हड्डियों में अर्थराइटिस की समस्या होने लगती है। प्लेयर्स को कंसोलैटि टाइम नहीं मिल पाता है और कई बार कॉन्स्टैंट लॉन्ग टाइम तक भागदौड़ करनी पड़ती है। इसका कारण अर्थराइटिस का खतरा बढ़ना है। सही समय पर निवेश न करने से यह समस्या लगातार बनी रहती है।
कॉम्बैट के टुकड़ों की घात तो कॉन्टेक्ट गेम्स में रेस्ट और लेफ्ट स्ट्रेंथ्स पर ज्यादा पावर लगती है। टेनिस और बैडमिंटन जैसे खेलों में खिलाड़ियों को एक हाथ, कंधे और जोड़ पर अधिक दबाव दिया जाता है, जिससे चोट लग जाती है। लगातार चलने वाले कॉम्पटीटिव गेम्स में खिलाड़ियों के लिगामेंट्स और कार्टिलेज रिकवर नहीं हो रहे हैं, जिसके कारण 10 साल में दांत खराब हो गए हैं। खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के दौरान इंजरी से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान इंजरी होने से अर्थराइटिस की समस्या काफी बढ़ सकती है। एथलीट्स को अर्थराइटिस से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
आर्थोपेडिक विशेषज्ञ ने बताया कि खिलाड़ियों को अर्थराइटिस के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज करना चाहिए, अन्यथा यह समस्या तेजी से बढ़ सकती है और इनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है। कई खिलाड़ियों के खेल के कारण इलाज में दिक्कत आ रही है, जिसके कारण कार्टिलेज सबसे ज्यादा खराब होने लगता है। खिलाड़ियों को अर्थराइटिस से बचने के लिए प्रिकॉशन लेना चाहिए और सही समय पर इलाज कराना चाहिए। आज के मूल में कई उन्नत तकनीकें उपलब्ध हैं, नवीन इलाज करने के बाद खिलाड़ी मैदान पर लौट सकते हैं। हालाँकि समस्या अधिक बढ़ जाएगी, तो मुश्किल हो सकती है।
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पहले प्रकाशित : 5 सितंबर, 2024, 13:18 IST
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