सेहत – औषधीय का खजाना है यह चावल, दालचीनी को नियंत्रित करने में सहायक, स्वाद में बासमती भी इसके आगे फेल

आजमगढ़: भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में चावल लोगों की दैनिक आपूर्ति का हिस्सा होता है। लोग चावल से बनी बिरयानी, पुलाव, खेजड़ी के टुकड़े आदि व्यंजन बेहद चाव से खाना पसंद करते हैं, लेकिन सोडा के लिए चावल खाना बहुत पसंद आता है। क्योंकि चावल में शुगर की मात्रा पाई जाती है, जो कि मसाले के लिए नुकसानदायक होता है। लेकिन आज हम आपके लिए एक ऐसे चावल के बारे में जानते हैं जो चीनी और ब्लड की मात्रा को बढ़ाता है। इस चावल को खाने से शरीर में रोग संरचना की क्षमता भी बहुत अधिक होती है।

जोहो चावल असम में ओबाई जाने वाली एक चावल की खेती है। यह चावल बासमती चावल की तरह ही होता है, लेकिन इसकी चटनी बासमती से अलग होती है। इसका स्वाद और गुणवत्ता युक्त होने के कारण इसे अब देश भर में बेहद पसंद किया जाता है, इसका औद्योगिक गुणधर्म होने के कारण इसे औषधीय चावल भी कहा जाता है, जिसे मसाले और ब्लड संगीत के शौकीन भी चाव से खा सकते हैं।

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में इस चावल की खेती की शुरुआत की गई है। इस चावल को प्राकृतिक खेती के लिए उगाना विशेष रूप से लाभदायक होता है। इस फ़सल को ओबने के लिए थोक में निवेशकों की आवश्यकता होती है।

इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूचर एडवांस्ड स्टडीज इन साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के अध्ययन में यह पाया गया कि जोहा राइस के मिश्रण के लिए बहुत ही आकर्षक है। यह ब्लड सप्लाई और एडाप्टर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसके साथ ही शरीर में पाई जाने वाली क्षमता भी बढ़ जाती है। रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि जोहा राइस में अनसैचुर राइडेड एसिड्स ओमेगा 6 और ओमेगा 3 पाए जाते हैं, जो पिए की तलाश में बहुत ही खतरनाक होते हैं। इसे बेहतरीन गुणवत्ता के कारण औषधीय चावल भी कहा जाता है।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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