सेहत – ताकत के लिए 6000 सामी से प्रयुक्त हो रही यह जड़ी-बूटी! एक चुटकी करजी कमाल, घोड़े से बनी मूर्ति का नाम है

अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभ: प्राचीन काल से हानिकारक उपचार के लिए मसाले का प्रयोग किया जा रहा है। कई जड़ी-बूटियों में बेहद शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को तेजी से पचा सकते हैं। एक ऐसी ही स्वास्थ्यवर्धक बूटी अश्वगंधा है, जो आज भी सेहत के लिए शोभा बढ़ाने वाली हो रही है। अश्वगंधा को आयुर्वेद का सबसे स्वादिष्ट रसायन माना जाता है। इसे टॉनिक में खरीदने के लिए कई सशक्त विकल्प माने जा सकते हैं। शरीर ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा रामबाण औषधि है। इसका सही सेवन करने से तनाव, चिंता सहित कई मंटल्स से प्राप्त किया जा सकता है।

यूएस का नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन फॉर्मेशन (एनसीबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार अश्वगंधा का उपयोग 6000 साल से भी अधिक समय से किया जा रहा है। इसका ज़िक्र चरक संहिता में है। यह आयुर्वेद की सबसे महत्वपूर्ण औषधि-शौच में से एक है, जिसका उपयोग हजारों हजार से अधिक रसायन के रूप में किया जा रहा है। अश्वगंधा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है और इससे लोगों का मन खुश रहता है। इसे छोटे बच्चों को टॉनिक के रूप में दिया जाता है। अश्वगंधा जड़ी-बूटियों के रूप में उपलब्ध है, जिसे घी या शहद के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है।

कई अध्ययनों से पता चला है कि अश्वगंधा के सेवन से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता बेहतर हो सकती है। इससे याददाश्त में सुधार हो सकता है। यौन स्वास्थ्य के लिए भी इसे गौरान्वित माना जा सकता है। यह स्वस्थ शरीर से तनाव को कम करने में सक्षम हो सकता है। अश्वगंधा का सेवन करने से इम्यूनिटी सिस्टम को मिल सकता है और शरीर की ताकत से लड़ने की क्षमता बढ़ सकती है। अश्वगंधा में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो खतरनाक फ्री रेडिकल्स को अवशोषित कर सेल डैमेज से बचने में मदद करते हैं।

कई वैज्ञानिक अध्ययनों में भी अश्वगंधा को शक्तिशाली टॉनिक माना गया है, जो एंटी-स्ट्रेस, न्यूरोप्रोटेक्टिव, एंटीट्यूमर, एंटी-आर्थराइटिक, एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। अश्वगंधा का उपयोग पार्किंसन, डिमेंशिया, मेमोरियल लॉस, तनाव से होने वाली समस्या से राहत पाने के लिए किया जा सकता है। अश्वगंधा का उपयोग भारत में घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। यह बच्चों और साथियों की सेहत के लिए सबसे अच्छा टॉनिक माना जाता है। आयुर्वेद में इस जड़ी-बूटी का उपयोग प्रोस्टेट और फेफड़े के कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर में किया जाता है।

अश्वगंधा के उपचारों की जड़ से अश्व घोड़े जैसा गंध आता है, इसका कारण यह है कि इसे अश्वगंधा कहा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस जड़ी-बूटी का सेवन लोगों के शरीर में ताकत के रूप में घोड़े के रूप में किया जा सकता है। शरीर की कमजोरी, कंजेशन, इंटरनैशनल से इंटरनैशनल में यह औषधि-बूटी अत्यंत प्रभावशाली हो सकती है। अश्वगंधा कई तरह की होती है, जिसमें नागोरी अश्वगंधा को सबसे अधिक शक्तिवर्धक माना जाता है। अश्वगंधा शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक है, लेकिन इसका उपयोग लोगों को हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए।

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