सेहत – इस उम्र की लड़कियों के लिए बेहद जुल्मी रहा, पिछली उम्र से पहले लगा था बुढ़ापा, स्टूडेंट में पढ़ने वाला दावा

किशोर लड़कियों का दिमाग: कोरोना काल के लिए हमारे लिए कोई भी दुःस्वप्न से कम नहीं है। दोस्तों जिस तरह से हमें छोटी सी चारदीवारी में कैद कर दिया गया हमारे मन मस्तिष्क में गहरा घाव हो गया। मानसिक रूप से हम परेशान हो गए कि आज तक हमें आशीर्वाद देना पड़ रहा है। अब एक नई छात्रा के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि उस समय के टीनएज यानी कि यूट्यूब के खतरे ने किशोरों के दिमाग पर गहरा असर डाला है। अध्ययन के अनुसार, फेसबुक के दौरान निवेशकों का अपने सहेलियों या अन्य लोगों से चयन-जुलना कम हो गया, जिसका सीधा असर उनके मस्तिष्क पर पड़ा। हालाँकि यह प्रभाव वैज्ञानिकों पर भी पड़ा लेकिन लड़कियों की तुलना में कम हुआ।

लड़कों का 1.4 तो लड़कियों का 4.2 साल बड़ा बूढ़ा हुआ दिमाग
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन और अमेरिकन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की रिसर्च ने सबसे पहले और बाद में जब लोगों के दिमाग का विश्लेषण किया तो हैरान करने वाले नतीजे सामने आए। अध्ययन में पाया गया कि टीनेज गर्ल्स के दिमाग की तुलना में औसतन 4.2 साल की उम्र हो गई थी। हालांकि लड़के के दिमाग पर भी असर हुआ. लड़की का मस्तिष्क उसकी वास्तविक आयु से लेकर औसत 1.4 वर्ष अधिक बूढ़ा हो गया था। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की प्रोफेसर पेट्रीसिया कुहल ने बताया कि हमने यह डेटा देखने के बाद यह जानकारी दी। क्योंकि वैज्ञानिकों की तुलना में यह बात बहुत ज़्यादा थी। फैक्ट्री ने कोरोना काल से पहले 2018 में करीब 160 एम रिकॉर्ड्स को आर्किटेक्चर उम्र 9 से 17 साल के बीच रखा था। अब इन बच्चों के ब्रेन का एम एम 2021 और 2022 में। इसके बाद जब एम मॉरिस का मिलान सामने आया तो ये नतीजे आए।

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इसका असर क्या होगा
दिमाग का बूढ़ा होना सबसे बड़ी बात है कि इससे उनकी सीखने की क्षमता प्रभावित होगी। पाया गया कि इसमें लड़कियों के दिमाग का कॉरटेक्स वाला हिस्सा ज्यादातर पतला हो जाता है जो बढ़ती उम्र का सूचक होता है। लड़कियों के दिमाग में कई आदर्श बदलाव भी देखे गए। मस्तिष्क का जिन आदर्शों में परिवर्तन हुआ है वह सामाजिक ज्ञान का बोध, भावनाओं की प्रक्रिया, भाव-भाव और समुद्र से शुरू हुआ है। वसीयत का कहना है कि इस चीज़ के संवाद की प्रक्रिया बेहद जटिल है, इसलिए किस तरह का शारीरिक परिवर्तन होता है यह आने वाले समय में पता चलता है। प्रोफेसर पैट्रिशिया ने कहा कि लड़कियों की तुलना में लड़कियों की उम्र में सामाजिक जीवन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस उम्र की लड़कियों के लिए अपने सामाजिक मंडली से जुड़ी गहरी बातें और शारीरिक, शास्त्र और सिद्धांत वाले आदर्शों के लिए यह बहुत जरूरी है।

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