सेहत – आँख क्यों फटती है? शुभ-अशुभ संकेत छोड़ें, यह स्वास्थ्य से जुड़ा मामला, जानिए क्या है विज्ञान

आँख फड़कने के पीछे का विज्ञान: अक्सर आपने सुना होगा कि आंख फड़कने से लोगों को शुभ-अशुभ का संकेत मिलता है। बड़ी संख्या में लोगों का मानना ​​है कि आंख फड़कने का ज्योतिष से रिश्ता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह सेहत से दोस्ती का मामला है। स्वास्थ्य पेशेवरों की राय तो आंख फड़कने की कई वजहें हैं और इससे पालक की मांसपेशियों पर असर पड़ता है। कई बार यह समस्या बढ़ जाती है और इसके इलाज के लिए मसाले ढूंढे जाने की जरूरत पड़ सकती है। आज आप जानेंगे कि आंख कैसे फटती है और इसके क्या कारण हो सकते हैं।

हॉपकिंस मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार आंखों का फड़कना एक सामान्य कंडीशन है, जो जेनेटिक भी हो सकता है। जब किसी व्यक्ति की आंख कभी-कभी हल्की फड़कने लगती है, तो इस कंडीशन को मेडिकल की भाषा में आइलिड मायोकिमिया (पलक मायोकिमिया) कहा जाता है। यह टेंपरेरी होती है और कुछ देर बाद ठीक हो जाती है। ज्यादातर लोगों को इस कंडीशन में किसी भी तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं होती।

अगर किसी व्यक्ति को आंख फड़कने की सबसे ज्यादा समस्या है और उसकी आंख लंबे समय तक बार-बार फड़कती है, तो इस कंडीशन को मेडिकल की भाषा में बिना एसेंशियल ब्लेफेरोस्पाज्म (सौम्य आवश्यक ब्लेफरोस्पाज्म) कहा जाता है। इस कंडीशन में लोगों की आंखें लगातार फड़कती रहती हैं और इस दौरान पलकें थोड़ी या पूरी तरह से बंद हो जाती हैं। यह लोग सही तरीकों से काम नहीं कर पाते हैं और इलाज की आवश्यकता होती है।

आंख फड़कने की वजह क्या है?

हेल्थ डाइट की सलाह तो आंख फड़कने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कई बार स्ट्रेस, आंखों पर जोर, कैफीन का सेवन, कुछ दवाएं, आंखों में जलन और नींद की कमी से आंख फड़कने की समस्या होती है। आँख फड़कने से पलकों की मसल्स प्रभावित होती हैं और पलकें पलकें फड़कने लगती हैं। पलक का प्रभाव फड़कना महसूस होता है। गंभीर मामलों में आंख फड़कने के दौरान लोगों की पलकें कुछ सेकंड के लिए बंद हो जाती हैं। लोगों की आंखों पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में डॉक्टर से मिली सलाह लेनी चाहिए।

आँख फाड़ने से कैसे बच सकते हैं?

इस समस्या से बचने के लिए लोगों को पर्याप्त नींद लेनी चाहिए और शराब व कैफीन का सेवन कम करना चाहिए। रोजमर्रा की जिंदगी में तनाव कम करने के लिए सुपरमार्केट या मेडिटेशन करना जरूरी है। आंखों की नालियों को दूर करने के लिए आर्टिफिशियल टियर ड्रॉप्स लगाए जाने चाहिए। अगर आंखों में फड़कन तीन हफ्ते तक बनी रहती है या फिर आंख में धार बनी रहती है, तो डॉक्टर से मिलकर परामर्श लेना चाहिए।

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