सेहत – स्मार्ट फोन को लेकर रिसर्च में बड़ा खुलासा, एक घंटे के इस्तेमाल से भी इस बड़ी बीमारी का खतरा, 5 लाख लोगों पर अध्ययन
स्मार्टफोन से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है: अगर कोई आपसे कहे कि आप एक दिन बिना मोबाइल फोन का समय बिताते हैं तो आप ऐसा क्या कर सकते हैं? कदाचित आप सोच में पड़ जायेंगे। अगर इस चुनौती को स्वीकार भी करेंगे तो मजबूरी में। यानी मोबाइल फोन के बिना जीवन बहुत कठिन हो गया है। लेकिन यह मोबाइल फोन हमारी चेन तो छीन ही रही है अब दिल को भी बीमार बना दिया गया है। एक हृदय रोग का खतरा तो आखिरी घंटा भी अगर आप मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं तो इससे हृदय रोग का खतरा 3 प्रतिशत बढ़ जाता है। इसके अलावा इसके बाद अल्पावधि में फोन पर सबसे ज्यादा समय तक रुका रहा।
हार्ट डिजीज का खतरा
कनाडियन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित लगभग एक शोध पत्र के अनुसार दावा किया गया है कि इस अध्ययन में 5 लाख लोगों को शामिल किया गया है। हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। सबसे बड़ी वजह यह है कि फोन पर बात करने से लाइबेरिया परेशानी, मोबाइल नींद में खलाल और संबंधित टेलीकॉम कंपनी पैदा हो जाएगी। रिसर्च में बताया गया कि एक दिन में अगर कोई व्यक्ति 5 मिनट से 29 मिनट तक फोन करता है तो उससे दिल की चुनौती का खतरा 3 प्रतिशत ज्यादा होता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति एक घंटे से 59 मिनट तक फोन पर बात करता है तो इससे हार्ट डिजीज का खतरा 7 प्रतिशत और 1 से 3 घंटे तक कोई बात नहीं करता है तो इससे हार्ट डिजीज का खतरा 13 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं 4 से 6 घंटे बात करने वालों में 15 प्रतिशत बात और 6 से 6 घंटे बात करने वालों में 21 प्रतिशत हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
क्या कहते हैं हेल्थ सुपरमार्केट
स्वास्थ्य विशेषज्ञ समीर भारती ने बताया कि इस तरह की पढ़ाई कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई रिसर्च हुई हैं. लॉक का भी यह गाइडलाइंस है। कई अध्ययनों में दिल की बेचैनी का अंदेशा देखा गया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, स्मार्ट फोन हमारी नींद को प्रभावित करता है जिससे नींद खराब होती है और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। जब भी हम फोन पर बात करते हैं और उस दौरान खाना खाते हैं तो इससे हम ज्यादा खा लेते हैं और इस कारण मोटापा बढ़ जाता है। वहीं मोबाइल फोन के कारण कई तरह के हार्मोन डिस्टर्ब होते हैं। सर गंगाराम हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. वली खान कहते हैं कि आप अपने मोबाइल पर बार-बार ध्यान देते हैं, लेकिन बार-बार तनाव वाला हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। कॉर्टिसोल जब बढ़ता है तो यह शरीर में हलचल पैदा करता है। इससे दिल पर बहुत बुरा असर पड़ता है। वहीं मोबाइल फोन को यदि हम आपके शरीर के बिल्कुल संपर्क में हैं तो इसका लाइव संस्करण से भी मतलब होगा। इसलिए यदि हम मोबाइल का उपयोग करते हैं तो उसे सही काम करना चाहिए। बिना मतलब गलत ब्लॉग के मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हालाँकि इस तरह की मुकम्मल जांच में यह शामिल नहीं है कि पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि मोबाइल फोन से इस बीमारी का पता चलता है।
पहले प्रकाशित : 23 सितंबर, 2024, 17:08 IST
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