सेहत – डेथ डेर का क्या मतलब है? जानें कि कैसे मृत्यु सक्रियता से आपके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है

मौत के बाद क्या होता है, यह सवाल ज्यादातर लोगों के मन में आता है। मौत एक ऐसा विषय है जिसके बारे में चुप ही रोंगटे हो जाते हैं। हर कोई जन्म लेता है तो खुशी मनाता है लेकिन मृत्यु पर खुशी मनाता है। अधिकांश लोग और ज्योतिषियों के शिष्य ही हैं कि उनका मृत कब और कैसे होगा? यदि जन्म की खुशी मिलती है तो मृत्यु का उपहार क्यों मिलता है? क्या घातक विनाश में खतरा होता है? कुछ लोग तो मरने से इतने डर जाते हैं कि उनका इलाज तक हो पाता है?

थैनाटोफ़ोबिया के कई लोग शिकार करते हैं
जो लोग जद से बहुत अधिक मौत की चिंता करते हैं या जेल से मृत हो जाते हैं, वे डेथ एंजाइटी का शिकार होते हैं। 1915 में ‘युद्ध और मृत्यु पर उस समय के विचार’ नाम की किताब के लेखक सिगमंड फ़्रायड ने डेथ एंजाइटी को थानाटोफोबिया का नाम दिया। उनका मानना ​​था कि मृत्यु व्यक्ति का क्रांतिकारी विश्वास होता है। जीवन एक लघु कथा की तरह है जो जन्म से शुरू होता है और मृत्यु से समाप्त होता है। मृत्यु पुस्तिका का आवश्यक भाग है।

डेथ एंजाइटी एकमेंटल डिसऑर्डर
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि मृत्यु कैसे होगी, उसके बाद क्या होगा, हमारे जन्मदिन के बाद बच्चों का क्या होगा, मृत्यु के बाद नर्क क्या होगा, क्या यमदूत सताते हुए जायेंगे लेकर, मृत्यु के बाद मेरे पति या पत्नी का क्या होगा, यह विचार व्यक्ति को डेथ एंजाइटी का शिकार बनाना दिया जाता है। यह एक प्रकार का मानसिक विकार है।

जन्म की तरह मृत्यु को भी स्वीकार करना चाहिए। (छवि-कैनवा)

20.3% लोग मृत से भिक्षु हैं
कुछ रिसर्च में यह साबित किया गया है कि जो लोग डेथ एंजाइटी के शिकार होते हैं, उन्हें डेथ से जुड़ी हर बात परेशान करती है। वह किसी की मौत भी नहीं देख सकते। 2017 में चैपमैन विश्वविद्यालय एक सर्वेक्षण में 20.3% लोगों ने बताया कि वह मृत व्यक्ति हैं। इनमें से 18.3% लोगों को किसी भी अज्ञात व्यक्ति के हाथों में लोकतंत्र का खतरा होता है।

पहली बार हुई घटना का असर हो सकता है
लाइफ़ कोच और मनोचिकित्सक डॉ. बिंदा सिंह कहा जा रहा है कि कुछ लोग मौत के मुंह से बाहर निकले हुए हैं, वह रोड एक्सिडेंट से हो या बीमारी से पीड़ित हैं। जब भी लोग उस मौत को करीब से देखते हैं तो वह डर जाते हैं। वहीं अगर किसी ने अपने प्रियजन को खो दिया हो तो उसके मृत दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे लोग उनकी मृत्यु से उभरे ही नहीं।

आस-पास की कहानियाँ मौजूद हैं
हमारे समाज में मृत्यु से जुड़ी कई कहानियाँ बताई गई हैं। जैसे जब इंसान की मौत हो रही होती है तो उसे एक सफेद रोशनी दिखाई देती है। कुछ कहानियाँ डेथली को गुड और बेल्स स्टिक्स से जुड़ी हुई हैं। कुछ लोगों के दिमाग पर लिखी इन कहानियों का इतना गहरा असर होता है कि वह मौत के मुंह में समा जाते हैं। ऐसे में काउंसलर उन्हें समझाता है कि कहानियाँ केवल कहानियाँ हैं। मौत के बाद क्या होता है कोई इंसान कैसे जान सकता है. ये सभी कहानियाँ मैथ्यू हैं।

डेथ एंजाइटी चित्रण से ही ठीक हो जाता है (छवि-कैनवा)

डेथ एक्टिविटी की गयी है
डॉ. बिंदा सिंह कहा जाता है कि जो लोग किसी की मृत्यु से दुखी होते हैं या डेथ एंजाइटी के शिकार होते हैं उन्हें कॉगन मानक बिहे वाइरल थेरेपी (सीबीटी) से ठीक किया जाता है। उनकी बात कर डर का कारण पूछा जाता है, उनके दिमाग में ऐसी बातें कहां से आती हैं, यह समझा जाता है। कुछ प्रश्नोत्तरी के बाद उनकी कुछ मृत्यु से जुड़ी गतिविधियाँ लिखी गईं, जैसे कि वैराइटी लिकवाना, हॉस्पिटल में स्थैतिक कथानक, फिल्मों के डेथ सीन शो, उनकी काल्पनिक कहानियाँ लिकवाना कि उनके जाने के बाद उनके बच्चे और नागालैण्ड कैसे जीवन जी रहे हैं, पुस्तिकाएँ और पूछा जाता है कि वह कैसी खुशी-खुशी मरना चाहते हैं, जन्मदिन से पहले क्या-क्या चीजें करना चाहते हैं। ऐसा करने से उनके मन से मौत का डर आसानी से निकल सकता है।

मूल कर मस्तिष्क को बनाया जाता है मजबूत
कुछ लोगों का भौतिक विज्ञान से इतना जुड़ाव होता है कि उनकी मौत से डर लगने लगता है। जैसे कुछ लोग अपने सिक्के, जमीन, माप और अपने रिश्ते से बहुत काम करते हैं। असल बात तो यह है कि यह सभी चीजें कोई अपने साथ नहीं लेकर जा सकता। इन भौतिक भौतिक सुखों का केवल आजीवन उपयोग किया जा सकता है। यही बात कुछ लोगों के लिए कलाकृतियों के लिए बनाई गई है। उन्हें बताया गया है कि यह सब मोह माया है। अक्सर इसी तरह की मौत का चित्रण 70 साल की उम्र के बाद किया जाता है क्योंकि उस समय कुछ लोग मौत से बहुत डरे हुए होते हैं। उनका मस्तिष्क स्पष्ट रूप से तैयार किया जाता है कि जन्म की तरह मृत्यु भी होती है। जब आपका जन्म नहीं हुआ तो मृत्यु के बारे में सबसे ज्यादा क्यों पता चला।


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