सेहत – किलमोड़ा की जड़ ही नहीं तना भी बड़े काम का, इन मर्ज में रामबाण इलाज

अधिकार. किलमोड़ा एक औषधीय पौधा है, जिसे दारुहल्दी के नाम से भी जाना जाता है। इसके वैज्ञानिक का नाम बर्बेरिस एरिस्टाटा है। इसके जड़ से लेकर तन तक एक-एक भाग के औषधीय गुणधर्मों की पूर्णता है क्योंकि इसमें एंटी डायबिटिक, एंटी इन्फ्लेमेट्री, एंटी वाइरल और एंटी साक्सिन गुण पाए जाते हैं। इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है, जैसे- बुखार, त्वचा के दर्द और दर्द निवारक के रूप में।

उत्तराखंड के ऋषियों में स्थित पंडित ललित मोहन शर्मा क्षेत्र के वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर दिनेश रावत ने स्थानीय 18 को बताया कि यह तो हम सभी जानते हैं कि किलमोड़ा की जड़ों के औषधीय गुण कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। इस जड़ में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-सटीक गुण होते हैं, जो इसे विभिन्न दवाओं के इलाज में उपयोगी नुकसान पहुंचाते हैं। किलमोड़ा की जड़ का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में बुखार, सूजन और दर्द के उपचार के लिए किया जाता है। इसे चाय या काढ़ा के रूप में सेवन करने से शरीर में रोग पैदा करने की क्षमता बढ़ती है और यह संक्रमण से उबरने में मदद करता है। वहीं इसका जड़वत ही नहीं यह ताना भी काफी जादुई होता है।

किलमोड़ा के तने के औषधीय गुण
उन्होंने कहा कि किलमोड़ा के तन में कई औषधीय गुण होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानते हैं। इसके सेवन से पाचन क्रिया मजबूत होती है और शरीर में ऊर्जा बढ़ाने में मदद मिलती है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में सहायक होते हैं। इसके तने से निकला रस त्वचा संबंधी संबद्ध पहलू जैसे- फोडे-फंसी आदि के उपचार में भी उपयोगी होता है। इस प्रकार किलमोडा का ताना स्वास्थ्य के लिए कई लाभ प्रदान करता है। इसके तने की शिष्या के शिष्यों का अंकन किया जाता है। साथ ही जड़ या फिर इसके तने को रात को पानी में भिगोकर सुबह पीने से दांतों की दुकान और दृष्टि दोष में भी फायदा होता है।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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