सेहत – क्या जद से अधिकांश सेंस रोग होना भी बीमारी है? किन लोगों को है ज्यादा खतरा, डॉक्टर से जानें काम की बात

क्या उच्च संवेदनशीलता मानसिक विकार है: हर किसी का अपना अलग स्वभाव होता है। कई लोग हंसी-मजाक करने वाले होते हैं और गंभीर बातें भी सीरियसली नहीं लेते हैं, जबकि कई लोग छोटी-छोटी बातें लेकर सीरियस हो जाते हैं। लोगों का स्वभाव उनकी नैतिकता, परिवारवादी और सामाजिक वातावरण पर प्रतिबंध लगाता है। ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति के आस-पास कौन से लोग होते हैं और उसका उठना-बैठना किस प्रकार के स्वभाव वाले लोगों के बीच होता है। इन सभी का बुरा प्रभाव व्यक्ति की सोच और व्यवहार पर पड़ता है।

कई लोग हाई सेन्स असमान होते हैं। ऐसे में लोग किसी भी घटना को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं। हालाँकि जब सेंसिटिविटी हद से ज्यादा बढ़ती है, तब इससे लोगों के जीवन में नकारात्मक प्रभावों का असर होता है। कई लोग उच्च सेंस के निरपेक्ष लोगों कोटल डिसऑर्डर का शिकार बने हुए हैं। मुख्य शिक्षण संस्थान से क्या विफलता हुई है कोई बीमारी? इसके अलावा सवाल यह भी है कि आखिर ऐसी क्या वजहें हैं, जिससे किसी व्यक्ति का व्यवहार अतिसंवेदनशील हो जाता है? इस बारे में नई दिल्ली सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ साइकेट्रिस्ट डॉ. राजीव मेहता से जान लेते हैं.

डॉ. राजीव अथित के अनुसार अधिकतर सेन्स का जुड़ना एक स्वभाव है, लेकिन जब यह लोगों की सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में समस्या पैदा होती है, तो यह गंभीर परेशानी हो सकती है। अति लाइसेंस के कई कारण हो सकते हैं। जब किसी व्यक्ति में तनाव होता है या बार-बार किसी बात के बारे में सोचा जाता है, तो उसका व्यवहार संकेत हो सकता है। इसके अलावा अगर कोई ऐसा व्यक्ति परिवार में बड़ा हुआ है जहां बातचीत की कमी या पारस्परिक बातचीत होती है, तो इससे संवेदनशीलता में भी वृद्धि हो सकती है। विद्वानों की राय तो उच्च गुणवत्ता वाले मित्र लोग भी अधिकतर सेंस सेंसिटिव हो जाते हैं।

उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों में किसी भी विषय को देखने की क्षमता होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि अधिकांश पढ़ाई करना खराब है। हालाँकि यह भी सच है कि कुछ उच्च शिक्षा प्राप्त लोग अधिकतर सेंस सेंस सेंसिटिव हो सकते हैं। जब कोई व्यक्ति उच्च पोस्ट पर होता है, तो उस पर रिजल्ट देने की जिम्मेदारी होती है, जिससे उसका नामांकन बढ़ सकता है। जिन बच्चों को बचपन में अपने माता-पिता से बहुत प्यार होता है, वे भी बड़े होकर भावुक हो सकते हैं। इस तरह के व्यक्ति को अपनी निजी और प्रोफेशनल लाइफ में कई सवालों का सामना करना पड़ सकता है। अति संवेदनशील लोग बार-बार ओवर थिंकर बन जाते हैं, जिससे उनका विकास बढ़ता है। यदि कोई व्यक्ति विशेष से संबंधित है, तो उसे डॉक्टर से सामूहिक परामर्श लेना चाहिए।

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