सेहत – आखिर क्यों होता है पुरुषों और महिलाओं में भेदभाव? एक जैसा असर क्यों नहीं होता?

पेन किलर और बुखार की दवा सहित 53 दवाएं पिछले दिनों के क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गईं। सेंट्रल स्टैंडर्ड स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने जारी की लिस्ट। साथ ही इन दवाओं से इंसानों को खतरा हो सकता है। हर व्यक्ति बीमार होता है ही औषधि खाता है ताकि स्वास्थ्य शीघ्र मूल्यांकन हो। लेकिन हर दवा हर व्यक्ति के लिए एक जैसी होनी चाहिए, यह जरूरी नहीं है। खासतौर पर यह एक दवा महिलाओं और पुरुषों के शरीर पर अलग-अलग तरह से असर करती है।

महिलाओं और पुरुषों का शरीर अलग-अलग होता है
दवा एक हो सकती है लेकिन महिला और पुरुष के शरीर में अलग-अलग प्रभाव होते हैं और इसके कारण हार्मोन होते हैं। महिलाओं में जहां एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन बनते हैं, वहीं पुरुषों में टेस्टेस्ट्रॉन हार्मोन रिलीज होते हैं। उनके हार्मोन्स की वजह से दोनों के शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं। एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ. विनोद बोकाडिया कहते हैं कि हर इंसान का शरीर एक-दूसरे से अलग होता है और खुराक भी अलग-अलग तरीकों से असर दिखा सकती है लेकिन कई बार महिलाओं में अगर कोई मासिक धर्म चक्र से जुड़ी परेशानी हो तो अलग-अलग तरीके से काम कर सकती है।

बुखार की दवा महिलाओं में तेजी से काम करती है?
अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन एक अध्ययन अध्याय में. यह अध्ययन बुख़ार की दवा पैरासिटामोल पर था। पाया गया कि पुरुषों के समूह में जो महिलाएं मेंस्ट्रुअल पुस्तिका के फॉलिकलर और ल्यूटियल चरणों में थी, उनके शरीर में इस औषधि से डेंजल कंसेंट एमिशन पीक पर पहुंचा और जल्दी असर हुआ। फॉलिकऑलर में यह 48% और ल्यूटियल चरणों में यह 66% असर कर रहा है। सच हर महिला की मेंस्ट्रुअल साइक्लोन की शुरुआत एक दिन से शुरू हो रही है। होटल्स शुरू होने से 12 दिन तक के समय को फोलिक्यूलर चरण कहते हैं। इसके बाद महिला के शरीर में एक एग बनता है जो फर्टिलिटी चरण या ओक्यूलेशन चरण तय होता है। जब यह एजी फर्टिलिटी नहीं होती तो 17 से 28वें दिन बॉडीहोम की प्रक्रिया की दिशा में काम होता है जिसे लुटियल फेज कहते हैं।

2021 में भारत में दवाओं का बाजार 35 लाख करोड़ रुपये का था (छवि-कैनवा)

पुरुषों का दर्द जल्दी होता है दूर!
मेडिकल न्यूज़ टुडे पेन किलर के अध्ययन के अनुसार पेन किलर लेने से पुरुषों का दर्द महिलाओं के शरीर में जल्दी दूर होता है। वास्तविक महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स फ़्लैकचुएट का प्रभाव उनके दर्द सहने की क्षमता पर भी पड़ता है। दिमाग में एक माइक्रोग्लिया नाम का इमाम सेल होता है। यह ब्लॉक कर दिया जाए तो दर्द बंद हो सकता है लेकिन यह सेल केवल पुरुषों के शरीर में मौजूद होता है। महिलाओं के दिमाग में टी कोशिकाएं होती हैं, अगर उनकी मात्रा ज्यादा ना हो तो उन्हें सबसे ज्यादा दर्द से नुकसान होता है।

दर्द में हार्मोन्स का खेल
स्वास्थ्यरेखा जिन महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर अधिक होता है उनके अनुसार उनकी यूटीएस लाइनिंग अधिक मोटी हो जाती है जिससे उन्हें ब्लीडिंग के साथ ही तेज दर्द होता है। यही हार्मोन्स महिलाओं के शरीर को असहनीय दर्द देते हैं। अगर इनका दायरा ठीक हो तो दर्द ज्यादा नहीं होता। वहीं, जिन पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, उन्हें भी असहनीय दर्द से नुकसान हो सकता है।

अलग-अलग विटामिन की जरूरत
महिलाओं के शरीर में विटामिन और मिनरल्स की सबसे ज्यादा कमी होती है क्योंकि स्ट्रैंडुअल साइकल के कारण उनके शरीर में आयरन, फोलेट और कैल्शियम की कमी होती है। महिलाओं के शरीर में विटामिन सी, ई, बी 6, के और विटामिन डी जरूरी होते हैं। वहीं, पुरुषों का शरीर महिलाओं से अलग होता है। पुरुषों के शरीर में विटामिन बी 12, विटामिन डी और सेलेनियम की जरूरत होती है। इसलिए दोनों के शरीर में यह अलग-अलग कामियों को पूरा करता है। स्वास्थ्यरेखा मल्टीविटामिन की गोलियों के अनुसार पुरुषों में 31% तक कैंसर का खतरा कम होता है जबकि महिलाओं में ऐसा कोई प्रभाव नहीं दिखता।

भारत में सबसे ज्यादा बुखार और एंटीबायोटिक की दवा की बिक्री होती है (छवि-कैनवा)

रजोनिवृत्ति के बाद परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है?
लड़कियों में जब 13-14 साल की उम्र में होटल बनना शुरू हो जाते हैं तो मेनोपॉज तक उनका रिप्रोडक्टिव साइकल चलाना शुरू हो जाता है। लेकिन रजोनिवृत्ति होती है और एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन बंद हो जाते हैं। जब शरीर में हार्मोन्स का उत्सर्जन बंद हो जाता है तो कुछ हद तक दवा पुरुषों के शरीर पर असर दिखा सकती है।

बीमारी का इलाज अलग
न्यूजीलैंड के हार्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट महिलाओं का दिल पुरुषों के शरीर में छोटे आकार का होता है और उनके खून की नाड़ियां भी छोटी होती हैं इसलिए हार्ट अटैक के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। इस दौरान महिलाओं को सीने में भारीपन और बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है लेकिन पुरुषों को इस दौरान सीने में दर्द महसूस होता है। दिल की एक जैसी बीमारी का इलाज भी अलग-अलग तरीके से होता है। दिल के अलावा अन्य दवाओं से भी अलग-अलग तरीकों से इलाज होता है। इसके पीछे की वजह उनके हार्मोन्स ही होते हैं।


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