सेहत – व्रत में खाते हैं राजगिरा का आटा, ये फल है या अनाज? कट्टरपंथियों में भी है ये सुपरफूड

हिन्दू धर्म में व्रत और त्योहारों का बहुत महत्व है। लोग व्रत-उपवास के ज़रिये न केवल ईश्वर में अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं बल्कि शरीर को डीटॉक्स करने और निर्देशों का पालन करने का अभ्यास भी करते हैं। इस दौरान जिन इंजीनियरिंग को भी बढ़ावा दिया जाता है, वो भी सामान्य नहीं है। असल में ये एक सुपरस्टार का सुपरफूड होता है, जो हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

नवरात्रि में पूरे नौ दिन का व्रत रखने वाले लोग कुछ ऐसी चीजें बनाते हैं, जिनमें खास ऊर्जा हासिल होती है। ऐसे ही सुपरफूड्स में शामिल है- राजगिरा. बहुत से लोग तो इसे समझ ही नहीं पाते क्योंकि इनका दूसरा नाम पता है। आज जानिए ये फल-फूल-दाल या अनाज, क्या है?

राजगिरा या अमरंद क्या होता है?
आमतौर पर लोग सिंघाड़े या कुट्टू का आटा व्रत-उपवास के दौरान खूब इस्तेमाल करते हैं। पूरी पकौड़ी, रोटियां या हलवा बनाने के लिए सिंघाड़े और कुट्टू के आटे का प्रयोग किया जाता है. हालांकि इस दौरान राजगिरे का आटा भी खाया जाता है, जिसके बारे में लोगों को थोड़ी कम जानकारी है। अगर आप उन्हें रामदाने के लोध या व्रत वाले लोध के बारे में बताएंगे, तो उन्हें झट से सफेद रंग के दीवाने-करारे लोध याद आ जाएंगे, लेकिन उन्हें ये पता नहीं चला कि ये लोध राजगिरे को पॉप करके ही बनाए जाते हैं। अब सवाल ये है कि राजगिरा होता क्या है? ये कोई अनाज है, दाल है, फल है या फिर कुछ और.

विदेश में सुपरफूड माना जाता है
राजगिरा साइंटिस्ट व्यू से अमरेंथेसी फैमिली में आता है। इसका नाम ऐमारैंथस क्रुएंटस है, जिसे अफ़्रीकन पालक भी कहा जाता है। भारत में इसे चुलाई के नाम से भी जाना जाता है, कुछ दस्तावेज सागा के तौर पर इस्तेमाल किये जाते हैं। इसी अमृत के उपाय के फूल में चित्र वाले छोटे-छोटे बीज ही प्रिय वो राजगिरा है, जिसे सुखाकर आटा या फिर पॉप करके रामदाने के लोध बनते हैं। यदि व्यवसायिकता की बात करें, तो इसे क्विनोवा के बराबर या इससे भी अधिक प्रोटीन, चारे और आइटम से अधिक माना जाता है। ये न दाल है, न अनाज, न ही फल, ये अफ्रीकन घास के फूल का बीज होता है, जो मैक्सिको और मिसो अमेरिका की उपज में हजारों साल से शामिल है।


Source link

Back to top button