सेहत – आयुर्वेद की रानी है ये पवित्र पौधा, वेदों में भी बनाया गुण का बखान! इन प्रयोगशालाओं से ट्यूटोरियल है

जयपुर:- आयुर्वेद धर्म में तुलसी का बहुत बड़ा स्थान है। प्रातः सवेरे महिलाएँ इसकी पूजा आरंभ करती हैं, तो युवा व बुजुर्ग इसके शिष्य को चबाकर स्वस्थ रहते हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रों में तुलसी का पौधा पवित्र पौधा माना जाता है। घर के दांतों में इस उपाय को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं घर के आंगन में तुलसी की पूजा करती हैं। पौराणिक ग्रंथ वेदों में तुलसी के गुणों का वर्णन मौजूद है। आयुर्वेद में तुलसी बहुत उपयोगी पौधा है। तुलसी का पौधा के रूप में उगता है। इसकी नीली आंखों वाली दादी हरे रंग की होती हैं।

धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढन ने लोकल 18 को बताया कि तुलसी पूर्वजन्म में राक्षस था। उस समय उनका नाम वृंदा था, जो भगवान विष्णु के परम भक्त थे। राक्षस वृंदा के पति के वध के बाद वो पति के साथ सती हो गई और राख से तुलसी का पौधा प्रकट हुआ। भगवान विष्णु ने वृंदा से तुलसी की पूजा के रूप में उन्हें प्रसन्न करके श्रृंगार किया था।

तुलसी के औषधीय गुण
आयुर्वेदिक डॉक्टर किशन लाल ने स्थानीय 18 को बताया कि आयुर्वेद में तुलसी का बहुत बड़ा स्थान है। इसे सभी बूटियां की देवी कहा जाता है। तुलसी के अर्क का रस शहद और अदरक के साथ क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ्लूजा, खांसी और भूख में खतरनाक होता है। इसके अलावा तुलसी के तेल का उपयोग कान के दर्द को दूर करने में किया जाता है।

वहीं तुलसी के केशों का उपयोग मुंह के छिलकों में किया जाता है। तुलसी के प्रयोग से मुंह के शिष्यों को राहत मिलती है। तुलसी के अर्क में एंटी-एडिटोलिन, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण मौजूद रहते हैं, जो बेहद गुणकारी होते हैं। इसके अलावा तुलसी में मौजूद कैम्फ़िन, सिनेओल और यूजेनॉल छाती में ठंड और जमाव को कम करने में मदद करते हैं।

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घर में इस तरह का पौधा तुलसी का पौधा
घर में तुलसी का पौधा लगाने के लिए सबसे पहले उपाय के लिए एक ऐसी जगह चुनें, जहां पर पर्याप्त धूप मिले। तुलसी को प्रतिदिन 6 से 8 घंटे धूप की आवश्यकता होती है और अच्छी जल फूल वाली मिट्टी का चयन करें। तुलसी के बीज या औषधि दोनों के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। यदि बीज का उपयोग कर रहे हैं, तो उन्हें मिट्टी में 0.5 से 1 इंच की गहराई पर बोयें और यदि बीज का उपयोग कर रहे हैं, तो उन्हें सावधानी से मिट्टी में 0.5 से 1 इंच की गहराई तक बोयें। के बाद उपचार को अच्छी तरह से पानी दें। नियमित रूप से पानी दें, लेकिन मिट्टी का मुख्य घोल न बनायें। तुलसी के उपचारों को नियमित रूप से पानी दें और समय-समय पर अपने पति की देखभाल करें, ताकि वह घना और स्वस्थ रहे।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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