सेहत – कृपया ध्यान दें, इसका कारण रूमेटाइड आर्थराइटिस भी हो सकता है! नई रिसर्च में रिवाइवल न्यूज़
आंत माइक्रोबायोम और रुमेटीइड गठिया: एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि आंत के माइक्रोबायोम में होने वाले बदलाव रूमेटाइड आर्थराइटिस (रूमेटाइड आर्थराइटिस) का कारण बन सकते हैं। गठिया का कहना है कि परिवर्तन यह गठिया रोग की शुरुआत लगभग 10 महीने पहले होती है, जिससे बीमारी की समय पर पहचान और सही इलाज संभव है। रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही जोड़ों पर हमला करता है। इसका कारण जोड़ों में सूजन, दर्द और जोड़ों में दर्द होना है। यह बीमारी हाथ-पैरों और मधुमेह के जोड़ों पर बुरा प्रभाव डालती है। यह ट्रैक्टर बीमारी है, जिसकी वजह से फिरना भी दुस्वार हो जाता है।
ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी और लीड्स टीचिंग हॉस्पिटल्स के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि जब पेट में सूजन पैदा होने की संख्या बढ़ती है, तो रूमेटाइड आर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है। इस जांच से भविष्य में उन लोगों को इस बीमारी की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिसमें जोखिम भी शामिल है। फर्म ने रूमेटाइड आर्थराइटिस का खतरा पैदा करने वाले 124 लोगों को 15 महीने तक यह अध्ययन किया था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने लोगों के मल और खून के अनुपात लेकर माइक्रोबायोम प्रोफाइल में हो रहे बदलावों का विश्लेषण किया। इनमें से कुछ लोग तो पहले से ही आर्थराइटिस से पीड़ित थे, जबकि कुछ स्वस्थ थे।
अध्ययन में पाया गया कि 3 महीने पहले रूमेटाइड आर्थराइटिस हो रहा था, इन लोगों ने जोड़ों में दर्द की शिकायत शुरू की थी। इसके अलावा उनके खून में एंटी-साइक्लिक सिट्रुलिन नामक प्रोटीन (एंटी-सीसीपी) नामक एक विशेष स्टेरॉयड पाया जाता है, जो शरीर के स्वस्थ अंगों पर हमला करता है और आर्थराइटिस के लक्षण पैदा करता है। जिन लोगों के बैक्टीरिया में सूजन पैदा होने वाले बैक्टीरिया अधिक थे, उनमें रूमेटाइड आर्थराइटिस विकसित होने का खतरा अधिक था। इन लोगों में आंत के माइक्रोबायोम की विविधता भी कम हो गई थी, जो एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है कि आंत में होने वाले परिवर्तन गठिया की शुरुआत से पहले ही हो जाते हैं।
आंत के माइक्रोबायोम में बदलाव एक प्रारंभिक लक्षण हो सकता है, जो गठिया के विकास का विवरण है। विशेषज्ञ के इस निष्कर्ष में शामिल हैं कि माइक्रोबायोम की कमी या कमी से होने वाली गठिया जैसे ऑटोइम्यून डिजीज के खतरे को बढ़ाया जा सकता है। इस शोध से आशा की जा रही है कि भविष्य में रूमेटाइड आर्थराइटिस के खतरे को गंभीरता से लेना आसान होगा। इस शोध से यह भी संकेत मिलता है कि आंत के माइक्रोबायोम को समझने से न केवल गठिया की शुरुआत का पता लगाया जा सकता है, बल्कि विशेष मूल्यांकन योजना भी बनाई जा सकती है। हालाँकि अभी भी ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.
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पहले प्रकाशित : 9 नवंबर, 2024, 13:04 IST
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