सेहत – गाने रिकॉर्ड करने का समय आप तो नहीं कर रहे यह ग़लत? छोटी आवाज़ के लिए सही?

सड़क, ट्रेन, कार, हवाई जहाज… हर जगह देखो तो आज हर किसी के कान में ईयरबड या हेडफोन लगे दिख जाते हैं। यह एक फैशन बन गया है. लोग घंटों इसे कान में बंद करके फोन पर बात करते हैं या म्यूजिक रिकॉर्ड करते हैं। लगभग हर उम्र के लोगों में यह क्रेज़ है। लेकिन ईयरबड्स या हेडफोन कान की सेहत के दुश्मन हैं। इसे किसी भी तरह की चुनौती को न्योता देते हुए डाउनलोड करें। कान बहुत सेन्स असामान्य होते हैं। लेकिन इससे डिजिटल सॉन्यूशन की क्षमता प्रभावित होती है और कई इंफेक्शन का कारण बन जाते हैं।

भैंस को किनारे से बचाएं
कान 20 हर्ट्ज की धीमी आवाज और 20,000 हर्ट्ज की तेज आवाज सुन सकता है। 0 से 25 डेसिबल तक की आवाज कान के लिए सुरक्षित है लेकिन अगर कोई ध्वनि हो तो शोर लगता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 100 डेसिबल तक की आवाज सिलिकॉन के लिए सुरक्षित है। जो लोग 130 डिसेबल या उनके ऊपर की आवाज में गाने रिकॉर्ड करते हैं या बात करते हैं, उनके कान में दर्द रहता है। इस आवाज की तरंगों से कान के प्रभाव प्रभावित होते हैं और कान के ध्वनि की क्षमता कम होने लगती है। यह स्थाई हायरिंग लॉस का कारण भी बन सकता है।

अन्तरक्रियाशीलता का कारण
नारियल में वैक्स होता है जिसमें तेल, मूंगफली और मृत त्वचा सेल्स का मिश्रण होता है। इस वर्ष वैक्स कूड़ा-कचरा, मिट्टी जैसे बाहरी स्वामी को कान में प्रवेश करने से मना किया गया है। कान में पदार्थ द्रव्य भी होता है जो मस्तिष्क को संकेत देता है और शरीर को संतुलित करता है। ईयरबड होने से ईयर कैनाल में ईयर वैक्स और लाइब्रेरी जमा होती है, जिससे बैचलर मैथ्यूज बनते हैं और इससे ईयर इंफेक्शन हो जाता है। अगर किसी का कान खराब हो रहा है या तेज कान में दर्द हो रहा है तो यह ईयरबड्स या हेडफोन की वजह से हो सकता है। कभी भी किसी अन्य ईयरबड्स का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसका प्रतिस्थापन स्थानान्तरण हो सकता है।

कान सॉलिटेयर समय भी आवाजें रिकॉर्ड करते हैं (छवि-कैनवा)

हर 15 मिनट में ब्रेक
जिन लोगों का काम केवल फोन करना होता है या वह टेलीकॉलर होते हैं और हेडफोन हमेशा कान में लगे रहते हैं तो उन्हें हर 15 मिनट में ब्रेक जरूर लेना चाहिए। इस पर काम नहीं किया गया. अगर इन डिजिटल की आवाज 80 डिसेबल तक राख जाए तो दिन में 6 से 7 घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अगर कान गर्म हो जाए, दर्द होने लगे या अजीब सी आवाज आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

वर्जिस ईयरबड्स से बचकर बने रहें
वर्जिनिया ईयरबड्स ऑर्केस्ट्रा से बने हैं और सबसे पहले आरोप लगाना है। पिछले दिनों इसके दर्शन के कुछ मामले सामने आए थे. यदि उदाहरण के तौर पर तेज आवाज में कंसिस्टेंसी जाए तो यह ओवरहीट हो जाता है और इनमें ब्लास्ट हो सकता है। कुछ अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के इयरबड्स से रेडियो वेव डिसऑर्डर होते हैं जो दिमाग की सेहत को ठीक करते हैं और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का खतरा रहता है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ कैंसर पर रिसर्च के लिए इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च की रिपोर्ट प्रकाशित हो रही है जिसमें कैंसर का खतरा भी बताया गया है।

60/60 का रूल अपनाएं
एडोलॉजिस्ट धन्यवाद सिन्ना कहते हैं कि हर किसी को ईयरबड्स या हेडफोन का इस्तेमाल 60/60 के रूल को अपनाते रहना चाहिए। इसका मतलब यह है कि हर दिन 60 मिनट तक इसका इस्तेमाल किया जाए और इस दौरान ईयरबड्स या हेडफोन की आवाज 60 प्रतिशत कम हो। यह स्कूल की सेहत के लिए सबसे अच्छा है। इसके अलावा हो सके तो नॉइज़ कैंसिलेशन हेडफ़ोन का उपयोग करें। इससे बाहर के शोर का उद्देश्य यह नहीं है कि इन हेडफोन में भी एलईडी आवाज का इस्तेमाल किया जा सके।

शरीर में विटामिन डी की कमी से पारा की स्वास्थ्य क्षमता हो सकती है (छवि-कैनवा)

खुद से करें क्रेन की जांच
हर व्यक्ति को साल में एक बारऑडियोलॉजिस्ट से हियरिंग टेस्ट कराना चाहिए। इस तरह के कई ऐप भी मौजूद हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यह सुनने के लिए कि WHO नाम का ऐप भी लॉन्च किया गया है जिससे सुनने की क्षमता की जांच की जा सकती है। अगर कोई 25 डेसिबल तक साफ सुना है तो उनकी सुनने की क्षमता कम है लेकिन अगर 40 डेसिबल से ज्यादा साफ है तो इसका मतलब है कि उनकी सुनने की क्षमता कम है। जो लोग तेज़ आवाज़ में टीवी देखते हैं या तेज़ आवाज़ में गाने रिकॉर्ड करते हैं, तो यह भी सुनने की क्षमता कम की तरफ इशारा करता है।

ऐसे अनाम की प्रस्तुति
नारियल को हमेशा सूखा रखना चाहिए। नहाते समय या तैराकी के समय कान अजीब हो तो तुरंत उसे सुखाना चाहिए। धूम्रपान से बचना चाहिए. इसमें मौजूद निकोटिन न्यूरोट्रांसमीटर का काम प्रभावित होता है। इससे मस्तिष्क को कान से ध्वनि संकेत मिलते हैं, वह डैमेज हो जाता है। कान में अगर वैक्स हो तो उसे डॉक्टर की निगरानी में ही निकलवाएं, कभी कान में पिन, ईयरबड या नुकीली चीज ना रखें। ऑक्साइड में फोलिक एसिड, मैग्नीशियम और दैत्य से लेकर अन्य पदार्थ शामिल हैं। इससे कान में ब्लड सर्कुलर बना रहता है और इंफेक्शन दूर रहता है।


Source link

Back to top button