सेहत – डबल-पतले शरीर वाले हो जाएं सावधान, दिमाग की इस बीमारी का बढ़ना हो सकता है खतरा, नई रिसर्च में हुआ खुलासा

मनोभ्रंश जोखिम कारक: शारीरिक निर्बलता के कई गंभीर कारण हो सकते हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि वैज्ञानिक कह रहे हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के बास्केटबॉल ने एक अध्ययन में दावा किया है, जो लोग शारीरिक रूप से विकृत होते हैं, उनमें मस्तिष्क से जुड़ी खतरनाक बीमारी डायमेंशिया (डिमेंशिया) होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इस अध्ययन में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 1997 से 2024 के बीच अमेरिका और ब्रिटेन के 60 साल से ऊपर के 29849 लोगों का डेटा इकट्ठा किया है। इस शोध से यह साबित होता है कि शारीरिक कमजोरी और डाइमेंशिया के बीच गहरा संबंध है।

इस अध्ययन में 3154 डिमेंशिया से 29849 लोग शामिल हुए। जो लोग शारीरिक रूप से ख़राब थे, उनमें डायमेंशिया के लक्षण तेजी से विकसित हो रहे थे। शारीरिक ताकतों की कमी, आयु वृद्धि से जुड़ी एक समस्या है, जिससे लोगों पर असर कम हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति की विकलांगता, विकलांगता या अस्पताल में भर्ती के खतरे से जूझना पड़ता है। इस अध्ययन के प्रमुख ऑथर डेविड वार्ड ने बताया कि जिन 3154 लोगों में डायमेंशिया से पीड़ित होने का खतरा था, वे मेंटल हेल्थ इंडेक्स का सामना करने से लगभग 9 साल पहले ही शारीरिक रूप से कमजोर हो गए थे।

इकोनॉमिक्स ने कहा कि अगर हम उम्र में वृद्धि, कमजोरी और डिमेंशिया के बीच संबंध को बढ़ावा देते हैं, तो हम डिमेंशिया के जोखिम को कम कर सकते हैं। यह जानकारी हमें यह जानने में मदद करेगी कि हमें क्या उपाय करना चाहिए ताकि जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। यदि हम समय पर शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और कमजोरी को दूर करने की कोशिश करें, तो हम मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं। डिमेंशिया ब्रेन से जुड़े सवालों का एक समूह है, जिससे ब्रेन को गंभीर क्षति होती है। यह लगातार समस्या बनी रहती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार इस वक्त 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया से जुड़ रहे हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। डिमेंशिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे हल करने के लिए सही कदम उठाना बहुत जरूरी है। अगर हम शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें तो हम डायमेंशिया के मामलों से राहत पा सकते हैं और बुजुर्गों के जीवन स्तर में भी सुधार ला सकते हैं। डाइमेंशिया का खतरा 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होता है, लेकिन कुछ अन्य मामलों में युवाओं को भी यह समस्या हो सकती है।

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