दुनियां – 2,837 भारतीय मूल के लोगों ने छोड़ा स्वीडन… क्यों रिकॉर्ड दर से छोड़ रहे देश – #INA

भारतीय लगभग सभी देशों में अपनी छाप छोड़ चुके हैं. अपने कौशल के दम पर विदेशों में झंडा गाड़ रहे हैं. लेकिन इस बीच चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं. भारतीय भारी संख्या में स्वीडन छोड़ रहे हैं. यह बात चौंकाने वाली इसलिए है क्योंकि पिछले करीब दो दशकों में पहली बार भारतीय इतनी बड़ी संख्या में स्वीडन छोड़ रहे हैं. भारतीयों के स्वीडन छोड़ने के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं. चीन, इराक और सीरिया को पछाड़ कर भारत सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गया है.
सांख्यिकी स्वीडन द्वारा आउटलेट ‘द लोकल’ को दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 1998 के बाद पहली बार स्वीडन में एक साल के पहले छह महीनों में भारतीयों ने देश छोड़ा है. इससे भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बन गया है, जो चीन, इराक और सीरिया से भी ज्यादा है. सांख्यिकी स्वीडन के अनुसार, 2023 में स्वीडन में भारतीयों की जनसंख्या 58,094 थी.
इतने लोगों ने छोड़ा देश
जनवरी से जून के बीच तकरीबन 2,837 भारतीय मूल के लोगों ने स्वीडन छोड़ा है. पिछले साल की तुलना में देखें तो स्वीडन छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में 171 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल जनवरी से जून के बीच 1,046 भारतीयों ने स्वीडन छोड़ा था.
साल 1998 से 2010 तक कुल 24,034 भारतीयों को स्वीडन में रहने का वीजा दिया गया. यूरोपियन यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार ये डेटा कुछ इस प्रकार है:

वर्क वीजा: 61.2% (14,705)
स्टडी वीजा: 25.8% (6,200)
फैमिली रियूनिफिकेशन: 9.6% (2,307)
एडॉप्शन: 3.1% (747)
मानवीय कारण: 0.3% (75)

ये है कारण
स्वीडन-भारत ट्रेड कॉन्सिल के जनरल सेक्रेटरी और सीईओ रॉबिन सुखिया ने कहा कि केवल इन आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी. रॉबिन ने आगे कहा कि हमें नहीं लगता कि अभी इसके पीछे कोई विशेष कारण है. हमें पूरे साल तक इंतज़ार करना होगा. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें कॉस्ट ऑफ लिविंग, अपार्टमेंट की कमी, आईटी सेक्टर में छंटनी, सख्त वर्क वीजी आदि शामिल हो सकते हैं.
वर्क वीजा की संख्या में आई कमी
वर्क वीजा की संख्या में पिछले साल की तुलना में 2024 की पहली छमाही में 20% की गिरावट आई है. वहीं, भारतीय नागरिकों के लिए पहली बार वर्क परमिट में 30% की कमी आई है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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