दुनियां – जिस इजराइल का मिसाइल भी बाल बांका नहीं कर पाते, उसके अंदर कैसे घुस गए थे हमास के हमलावर – #INA
आज 7 अक्टूबर है, वो दिन जिसे इजराइल कभी भूल नहीं सकता. एक साल पहले इसी दिन इजराइल को हमास ने सबसे बड़ा जख्म दिया था. इसे इजराइल के इतिहास के सबसे घातक हमलों में से एक माना जाता है. हमास ने दक्षिणी इजराइल में पहले तो हजारों रॉकेट दागे और फिर उसके लड़ाके पैराशूट के जरिए बॉर्डर क्रॉस कर इजराइली सीमा में घुस आए.
इजराइल के मुताबिक इस हमले में करीब 1200 इजराइलियों में मौत हुई, वहीं हमास के लड़ाकों ने 251 लोगों को बंधक बना लिया. इजराइल का आरोप है कि हमास के लड़ाकों ने महिलाओं और बच्चों के साथ बर्बरता की थी, हालांकि हाल ही में हमास लीडर खलील अल-हय्या ने एक इंटरव्यू में इन आरोपों को नकार दिया है. उन्होंने कहा है कि हमास के लड़ाकों को स्पष्ट निर्देश देकर भेजा गया था कि महिलाओं और बच्चों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाना है, हमारा टारगेट इजराइली सैनिक थे.
हमास ने कैसे भेदा इजराइल का सुरक्षा कवच?
दावा किया जाता है कि इजराइल को हमास की ओर से ऐसे किसी भी हमले की कोई उम्मीद नहीं थी, घरेलू खुफिया एजेंसी शिन बेत और विदेशी खुफिया एजेंसी मोसाद दोनों ही हमास के हमले की प्लानिंग से बेखबर थे.
हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर करीब 2000 रॉकेट दागे, यह हमला सुबह करीब 7 बजे हुआ था. इजराइल और फिलिस्तीन सीमा के करीब किबुत्ज रीम शहर में नोवा म्यूजिक फेस्टिवल चल रहा था, जिसका लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में इजराइली जुटे थे. लेकिन हमास के इस अचानक हुए हमले से अफरा-तफरी मच गई. इसी बीच हमास के लड़ाके पैराशूट और बाइक के जरिए इजराइली सीमा में घुस आए और ताबड़तोड़ फायरिंग की. इस हमले में करीब 1200 लोगों की मौत का दावा किया जाता है.
हमले से पहले इजराइल को मिली थी चेतावनी!
इसे इजराइली खुफिया एजेंसियों की सबसे बड़ी नाकामी माना जाता है, लेकिन शिन बेत और मोसाद जैसी एजेंसियां जो दुश्मन को आसमान से लेकर पाताल तक से ढूंढ निकालने में माहिर हैं उनसे ऐसी चूक होना बिलकुल अप्रत्याशित लगता है. हालांकि हमास के हमले के बाद कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि इजराइल को हमास के अटैक को लेकर पहले ही अलर्ट किया गया था लेकिन इजराइल ने इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया.
CIA ने जताई थी हमास के हमले की आशंका
हमास के हमले के करीब एक हफ्ते बाद ही CNN की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इजराइल को एक नहीं बल्कि दो-दो बार इस खतरे से आगाह किया था. पहली बार 28 सितंबर को इजराइल को बताया गया था कि हमास क्रॉस बॉर्डर रॉकेट अटैक की तैयारी कर रहा है, वहां दूसरी बार 5 अक्टूबर को CIA ने इजराइल को हमास के हमले की आशंका को लेकर अलर्ट किया था.
इसके अलावा 6 अक्टूबर यानी हमले से ठीक एक दिन पहले भी अमेरिकी अधिकारियों ने इजराइल के साथ कुछ रिपोर्ट्स साझा की थी जो हमास की कुछ असामान्य गतिविधियों की ओर इशारा कर रही थीं. माना जाता है कि इजराइल ने इन तमाम चेतावनियों और अलर्ट को हल्के में लिया या फिर उसकी खुफिया एजेंसियों के ओवर-कॉन्फिडेंस के चलते यह हमला रोका नहीं जा सका. हालांकि इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इन रिपोर्टों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि उन्हें किसी भी देश ने हमले के खतरे से आगाह नहीं किया था.
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मिस्र ने हमले से 3 दिन पहले किया था आगाह
दरअसल US के हाउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव फॉरेन अफेयर्स कमेटी के हेड माइकल मैककॉल ने भी दावा किया था कि मिस्र ने हमास की हिंसा और हमले से ठीक 3 दिन पहले इजराइल को चेतावनी दी थी. मिस्र की सीमा गाजा पट्टी और इजराइल दोनों से लगती है. लिहाजा हमास की ओर से किसी साजिश का पता उसे आसानी से लग सकता है. वहीं मिस्र के खुफिया अधिकारी ने भी न्यूज एजेंसी AP से बात करते हुए दावा किया था कि इजराइल को मिस्र ने बार-बार चेतावनी दी थी कि गाजा में कोई बड़ी साजिश रची जा रही है.
इजराइल ने चेतावनी को हल्के में लिया?
खुफिया अधिकारी ने कहा कि, ‘हमने चेतावनी दी थी कि विस्फोटक स्थिति आने वाली है और यह सब कुछ बहुत जल्द और बहुत बड़ा होने वाला है. लेकिन उन्होंने हमारी इस चेतावनी को हल्के में लिया.’ काहिरा के अधिकारी ने कहा कि इजराइल ने गाजा की ओर से खतरे को कम करके आंका और अपना पूरा ध्यान वेस्ट बैंक में लगाया.
हमास और इजराइल के बीच क्या हैविवाद?
दरअसल गाज़ा पर हमास का 2007 से शासन है. 2006 में हुए फिलिस्तीनी संसदीय चुनाव में हमास को भारी जीत मिली थी. गाजा में हमास शासन की वापसी के साथ ही इजराइल और गाजा के बीच तनाव बढ़ता गया. इजराइल ने इस क्षेत्र के आस-पास अपना नियंत्रण और चौकसी बढ़ानी शुरू कर दी और वह गाजा के एयरस्पेस और समुद्री तट पर सामान और लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण रखने लगा. जिससे गाजा में खाने-पीने समेत बुनियादी जरूरत के सामानों की कमी होने लगी.
इसके अलावा बीते सालों में इजराइल पर वेस्ट बैंक (जो कि फिलिस्तीन का क्षेत्र है और इस पर इजराइल का कब्जा है) में भी फिलिस्तीनियों पर अत्याचार के आरोप लगते रहे हैं. यही नहीं येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद परिसर में इजराइल की पुलिस बार-बार रेड कर नमाजियों के साथ बदसलूकी करती दिखी जिसे लेकर फिलिस्तीन के लोगों में आक्रोश बढ़ता गया. इजराइल पर आरोप हैं कि वह अल-अक्सा मस्जिद परिसर का ‘status quo’ बदलने की कोशिश कर रहा है.
वहीं हमास, जो कि फिलिस्तीन का एक चरमपंथी गुट है, वह इजराइल को कब्जाधारी और अपना दुश्मन मानता है. उसका दावा है कि वह आजाद फिलिस्तीन के लिए संघर्ष कर रहा है. हमास के मुताबिक इजराइल पर किया गया हमला उन अत्याचारों को जवाब में है जो फिलिस्तीनी दशकों से सहते आए हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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