दुनियां – क्या तबाह हो जाएगा ईरान का न्यूक्लियर प्लांट? इजराइल बना रहा खतरनाक प्लान – #INA
ईरान के भीषण हमले के बाद के बाद अब इजराइल ने पलटवार किया है. इजराइल की ओर से यह पलटवार ऐसा हुआ है जिसमें किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं हुआ है, लेकिन हमला ऐसा था कि तेहरान में हलचल मच गई है. दावा किया जा रहा है कि इजराइल की ओर से इस बार ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर साइबर अटैक किया गया है. इसके बाद कुछ जानकारियां भी चुरा ली गई हैं. साइबर अटैक के बाद ईरानी सेना की नींद उड़ी हुई है.
ईरान के सुप्रीम काउंसिल ऑफ साइबर स्पेस के पूर्व सचिव फिरोजाबादी ने कहा है कि साइबर अटैक की जद में ईरानी की तीनों सेनाएं हैं. दावा किया जा रहा है कि साइबर अटैक की चपेट में ईरान का न्यूक्लियर पावर प्लांट, ईंधन वितरण सिस्टम और बंदरगाह परिवहन नेटवर्क भी आया है. इसके बाद अब सवाल उठ रहे है कि इजराइल बिना कोई जंग लड़े ईरान के न्यूक्लियर प्लांट को तबाह करने की ठान चुका है?
दुनिया के लिए ठीक नहीं हैं संकेत
मौजूदा समय में मिडिल ईस्ट से जो संकेत आ रहे हैं वो दुनिया के लिए ठीक नहीं हैं. ईरान और इजराइल के बीच जिस तरह से तनाव बढ़ रहे हैं उसकी चपेट में पूरी दुनिया आ सकती है क्योंकि ईरान पर हमले का प्लान तैयार हो चुका है. इस बीच इजराइल ने ईरान पर बड़ा साइबर अटैक किया है. इतना ही नहीं लेबनान पर भी लगातार हमले जारी हैं. मतलब इजराइल अपनी रणनीति की दिशा में आगे बढ़ चुका है.
इजराइल के टारगेट पर ईरान के ये न्यूक्लियर प्लांट
इजराइल के टारगेट पर ईरान के परमाणु संयंत्रों में सबसे पहले फार्दो है. जो कि एक न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट है. 2009 से ऑपरेशनल है. ये चट्टानों के नीचे बना है. इसकी तेल अवीव से दूरी 1842 किमी है.
इसी तरह अराक न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर भी टारगेट पर है, जो 2006 में बनकर तैयार हुआ था. यहां रेडियो आइसोटोप प्रोडक्शन होता है.
इसके अलावा नतांज न्यूक्लियर एनरिचमेंट प्लांट है जो 2004 से ऑपरेशनल है. ये एक अंडरग्राउंड प्लांट है. इसकी तेल अवीव से दूरी 2027 किमी है.
इस्फहान न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर चीन के सहयोग से बना है. इसमें 3000 से ज्यादा साइंटिस्ट काम करते हैं. इजराइल यहां भी हमला कर सकता है.
आगे बुशहर न्यूक्लियर पावर प्लांट है जो रूस के सहयोग से बना है. 2010 से ऑपरेशनल है. इसकी तेल अवीव से दूरी 2072 किमी है.
इसके साथ साथ इजरायल ईरान के तेल ठिकानों पर भी विस्फोट करने की तैयारी में है ताकि ईरानी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह चौपट किया जा सके.
इजराइल को लेबनान, गाजा पट्टी, इराक, वेस्ट बैंक, सीरिया, यमन और ईरान से जंग लड़नी पड़ रही है. इन सबकी शक्ति के केंद्र तेहरान है और अगर तेहरान को खत्म कर दिया गया तो इजराइल के इन दुश्मनों की ताकत अपने आप खत्म हो जाएगी. इसीलिए माना जा रहा है कि इजराइल ईरान पर हमले करने की रणनीति पर फाइनल मुहर लगा चुका है.
ईरान की 7 बड़ी रिफाइनरी भी टारगेट पर
पहले नंबर पर है अबादान रिफाइनरी.
दूसरे नंबर पर है इस्फहान रिफाइनरी.
तीसरे नंबर पर है अराक रिफाइनरी.
चौथे नंबर पर है बंदर अब्बास रिफाइनरी.
पांचवें नंबर पर है तेहरान रिफाइनरी.
छठे नंबर पर है अरवांद रिफाइनरी.
सातवें नंबर पर है लावन आइलैंड रिफाइनरी.
इजराइल के इस प्लान से पूरे अरब में खलबली मच गई है क्योंकि ईरानी परमाणु संयंत्रों और तेल ठिकानों पर हमले का मतलब पूरे अरब में जंग फैलना होगा और इसके साथ ही पूरी दुनिया में तेल के दामों भी आग लगना तय है. अरब के कई देशों ने अमेरिका से अपील की है कि इजराइल को इस तरह के हमले करने से रोका जाए, लेकिन इजरायल के इस प्लान में अमेरिका भी शामिल है और प्लान सिर्फ इतना ही नहीं है.
(इनपुट-टीवी9 ब्यूरो)
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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