दुनियां – कनाडा-भारत विवाद से अधर में ‘स्ट्राइकर’ की खरीदी योजना, चीन के खिलाफ लद्दाख में तैनाती का था प्लान – #INA

कनाडा और भारत के बीच राजनयिक विवाद के कारण भारतीय सेना को बड़ा नुकसान हो सकता है. मौजूदा तनाव के चलते कनाडा में निर्मित स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहनों की खरीदी योजना खटाई में पड़ सकती है, भारतीय सेना इसे लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर इनकी तैनाती के लिए इच्छुक थी.
दरअसल अमेरिका लगातार भारत को ‘स्ट्राइकर’ बख्तरबंद वाहन को बेचने और इसके सह-उत्पादन की पेशकश कर रहा था. इसी साल जून से ‘स्ट्राइकर’ को लेकर बातचीत शुरुआती चरण में थी और इसकी क्षमताओं का प्रदर्शन भारतीय सेना के सामने किया जाना था. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल भारत ने ‘स्ट्राइकर’ की खरीद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है.
अमेरिका ने ‘स्ट्राइकर’ की खरीदी पर दिया था जोर
अमेरिका ‘स्ट्राइकर’ का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पैदल सेना के लड़ाकू वाहन के तौर पर करता है. पिछले साल नवंबर में भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका ने ‘स्ट्राइकर’ के सह-उत्पादन पर जोर दिया था. अमेरिका ने भारत को इसके एयर डिफेंस सिस्टम वेरिएंट की पेशकश की थी, जिससे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती कर दुश्मन के विमानों मार गिराया जा सकता है. इसके बाद जून में इन बख्तरबंद वाहनों को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है.
भारत-कनाडा तनाव से अधर में डील!
कनाडा की जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स (GDLS-C) इस बख्तरबंद वाहन ‘स्ट्राइकर’ का निर्माण करती है. लेकिन कनाडा और भारत के बीच जारी डिप्लोमेटिक तनाव के बीच इन वाहनों की खरीदी योजना अब अधर में लटक गई है. जानकारी के मुताबिक इन वाहनों को सेना बॉर्डर के आगे के क्षेत्रों में उपयोग के लिए भेजा जाना था, खासकर लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भारत इनकी तैनाती करना चाहता था, लेकिन भारत और कनाडा के बिगड़ते रिश्तों ने इस योजना पर संदेह पैदा कर दिए हैं.
कनाडा की कंपनी भारत में करती निर्माण
जानकारी के मुताबिक भारत-अमेरिका के बीच होने वाली इस डील में ‘स्ट्राइकर’ की सीमित खरीदी शामिल होती, और इसके बाद भारत में कनाडा की कंपनी के साथ मिलकर इसका निर्माण किया जाता. हालांकि कुछ भारतीय रक्षा उत्पादन कंपनियों ने इस समझौते का विरोध भी किया था, भारतीय कंपनियों का कहना है कि वह इस तरह के बख्तरबंद वाहन बनाने में सक्षम हैं लिहाजा विदेशी कंपनी को मौका नहीं देना चाहिए.
दरअसल भारत के पास DRDO और टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड का बनाया WhAP है जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना लद्दाख में कर रही है. यह व्हील्ड आर्मर्ड प्लैटफॉर्म है जिसके जरिए भारतीय सेना की पैदल टुकड़ियों की सैन्य ताकत को मजबूती मिलती है.

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

Source link

Back to top button