दुनियां – ऐसे तो इतिहास बन जाएगा गाजा… हमास ने सीजफायर और बंधकों की रिहाई के समझौते को किया खारिज – #INA
इजराइल हमास जंग के बीच गाजा में सीजफायर को लेकर चल रही बातचीत को बड़ा झटका लगा है. अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि हमास ने शॉर्ट टर्म सीजफायर और बंधक रिहाई समझौते के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. यह खुलासा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की रविवार को मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती के साथ हुई बातचीत के बाद जारी किए गए बयान में किया गया है.
अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ब्लिंकन ने इस बात पर गौर किया कि हमास ने एक बार फिर संघर्ष विराम सुनिश्चित करने और गाजा के लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सीमित संख्या में बंधकों को रिहा करने से इनकार कर दिया है.
युद्धविराम से शुरुआत
राजनयिकों ने बताया कि मिस्र ने एक प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत 48 घंटे के प्रारंभिक युद्धविराम से शुरुआत होनी थी, जिसके दौरान हमास अगले 10 दिनों में चार इजराइली बंधकों की रिहाई के लिए तैयारी करेगा. चारों बंधकों को तथाकथित मानवीय श्रेणी में रखा जाना था, अर्थात वो या तो महिला, बुजुर्ग या बीमार थे.
राजनयिकों ने बताया कि इसके बदले में इजराइल को लगभग 100 फिलिस्तीनी सुरक्षा कैदियों को रिहा करना था. 12 दिवसीय समझौते के दौरान, इजराइल और हमास एक दीर्घकालिक युद्धविराम के बारे में बातचीत करते.
हमास ने प्रस्ताव को किया खारिज
हमास ने जुलाई के आरंभ में प्रस्तुत अपने प्रस्ताव से पीछे हटने से इनकार कर दिया है, जिसके तहत उसने युद्ध की स्थायी समाप्ति के लिए इजराइल से प्रतिबद्धता की अपनी प्रमुख मांग को छोड़ दिया था. इस प्रस्ताव में अभी भी कई नई शर्तें शामिल थीं और इसे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अस्वीकार कर दिया था, तथा उन्होंने समझौते के लिए अपनी नई शर्तें जोड़ दीं. जिनमें यह भी शामिल था कि इजराइल फिलाडेल्फिया और नेत्ज़ारिम कॉरिडोर में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रख सकेगा.
गतिरोध के लिए हमास दोषी
अमेरिका ने दो महीने से अधिक समय से चले आ रहे गतिरोध के लिए हमास को दोषी ठहराया और कहा कि आतंकवादी समूह ने वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया. अरब मध्यस्थ कतर और मिस्र इस तर्क से कम सहमत हैं, और निजी तौर पर कहते हैं कि अमेरिका ने गतिरोध के लिए नेतन्याहू की जिम्मेदारी को कम करके आंका है. उन्होंने दावा किया है कि यदि प्रधानमंत्री ने नई शर्तें नहीं जोड़ी होतीं तो गर्मियों में समझौता संभव हो सकता था.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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