Political – आजादी से धारा 370 हटने तक… कश्मीर सरकार में कैसी रही हिंदुओं की भूमिका, क्या कोई मुख्यमंत्री रहा? – Hindi News | Hindu minorities jk Politics PDP National Conference congress BJP DyCM Nirmal Kumar Singh- #INA
जम्मू-कश्मीर में अब तक
कितने हिंदू नेता बने उपमुख्यमंत्री
जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद फिर से विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. हालांकि पिछली बार यानी साल 2014 के चुनाव और इस बार के चुनाव में बहुत बड़ा अंतर आ गया है. अब वहां न धारा 370 है और न ही स्पेशल राज्य का दर्जा. जम्मू-कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक रहे हैं, यहां की तरक्की में वो अपना अहम योगदान देते भी रहे हैं. हालांकि उन्हें सियासी तौर पर खास मुकाम हासिल नहीं हुआ. आजादी से अब तक के सफर को देखें तो इस राज्य में एक भी हिंदू नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका है.
आज से 5 साल पहले तक जम्मू-कश्मीर के पास स्पेशल राज्य का दर्जा हासिल था. लेकिन 5 साल पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए धारा 370 खत्म कर दिया और स्पेशल राज्य का दर्जा भी छीन लिया. यही नहीं लद्दाख को अलग करते हुए दोनों क्षेत्रों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया.
लंबे समय बाद घाटी में 50 फीसदी वोटिंग
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अप्रैल-मई में यहां पर लोकसभा चुनाव कराए गए. चुनाव बहिष्कार की जगह इस बार बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया. यहां की पांच लोकसभा सीटों पर पिछले कई चुनावों के उलट ऐतिहासिक 58% वोटिंग हुई.साल 1987 के चुनाव के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पनपने और फिर कई आतंकी हमलों के बीच यहां पर चुनाव कराए जाते रहे, लेकिन 1990 के लेकर अब तक के चुनाव में जम्मू-कश्मीर में कभी भी वोटिंग का आंकड़ा 50 प्रतिशत के करीब भी नहीं आ सका था.
यहां की सियासत मुस्लिम समाज के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर के प्रमुख को प्रधानमंत्री कहा जाता था. तब यहां पर महाराजा हरि सिंह राजा हुआ करते थे और उन्होंने अंतरिम सरकार के तहत मेहर चंद महाजन को प्रधानमंत्री बनाया गया. फिर शेख अब्दुल्ला प्रधानमंत्री बने. शेख ने यहां पर 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के बाद भी यह पद संभाला. यह सिलसिला 1965 तक चलता रहा. इस दौरान 5 लोग प्रधानमंत्री बने.
9 मुख्यमंत्री, 17 शपथ में कितने हिंदू CM
फिर राज्य के संविधान में 6वां संशोधन किया गया जो 6 जून 1965 से प्रभावी हुआ. इस बदलाव के बाद जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री के पद को खत्म कर दिया गया. फिर सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री गुलाम मोहम्मद सादिक जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने. 1965 में सादिक के मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक 9 मुख्यमंत्री बन चुके हैं, और इस दौरान 17 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिलाई गई, लेकिन इसमें एक भी हिंदू नेता शामिल नहीं रहा है.
इन 9 मुख्यमंत्रियों में अब्दुल्ला परिवार का खासा दबदबा दिखता है. शेख अब्दुल्ला (1975 और जुलाई 1977) में मुख्यमंत्री बने थे. दूसरी बार वह 1977 में सीएम बने, लेकिन इसी कार्यकाल के दौरान सितंबर 1982 में उनके निधन के बाद बेटे फारूक अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री (8 सितंबर 1982) बने. फारूक ने तब से लेकर अब तक 5 बार सीएम पद की शपथ ली. फारूक के बेटे उमर भी एक बार मुख्यमंत्री बने. फारूक के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह भी कांग्रेस के समर्थन से जुलाई 1984 में मुख्यमंत्री बने.
1984 में मिला पहला हिंदू उपमुख्यमंत्री
इनके अलावा मुफ्ती परिवार से 2 लोग मुख्यमंत्री बने. पहले मुफ्ती मोहम्मद सईद 2 बार सीएम बने, बाद में उनकी बेटी महबूबा ने भी सत्ता की कमान संभाली. कांग्रेस की ओर से गुलाम मोहम्मद सादिक (1965), सैयद मीर कासिम (1971) और गुलाम नबी आजाद (2005) मुख्यमंत्री बने. जम्मू-कश्मीर में 1965 के बाद से कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता संभाल चुकी हैं. लेकिन इस दौरान एक भी हिंदू नेता मुख्यमंत्री के पद पर काबिज नहीं हो सका.
हालांकि जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री को लेकर बात की जाए तो कई हिंदू नेताओं को यह पद संभालने का मौका मिला. 1965 से लेकर अब तक 8 नेता उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं जिसमें 5 हिंदू समाज से जुड़े नेता रहे हैं. पहली बार यहां पर साल 1984 में कोई हिंदू नेता उपमुख्यमंत्री बना. फारूक अब्दुल्ला 1983 के चुनाव में जीत हासिल कर दूसरी बार सत्ता में लौटे लेकिन जुलाई 1984 में उनकी सरकार अल्पमत में आ गई. उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
फारूक के बहनोई ने बनाया पहला DyCM
फिर कांग्रेस के समर्थन से फारूक के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह मुख्यमंत्री बने. अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार में पहली बार किसी हिंदू को उपमुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की राजनीति में अहम जगह दी गई. देवी दास ठाकुर जो एक समय हाई कोर्ट में जज हुआ करते थे, वहां से इस्तीफा देकर राजनीति में आए और 1975 से लेकर 1982 तक राज्य में मंत्री रहे. बाद में शाह की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि वह पद पर एक साल 8 महीने ही रह सके क्योंकि उनकी सरकार का पतन हो गया था.
मंगत राम शर्मा के रूप में जम्मू-कश्मीर में दूसरा हिंदू उपमुख्यमंत्री मिला साल 2002 में. तब वहां पर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस के समर्थन से मिली-जुली सरकार बनाई. और इस सराकर में कांग्रेस के नेता मंगत राम शर्मा उपमुख्यमंत्री बनाए गए. वह ठीक 3 साल तक पद पर रहे. कांग्रेस और पीडीपी के बीच 3-3 साल की सत्ता को लेकर समझौता हुआ था. 3 साल पूरे होने पर सईद ने पद से इस्तीफा दिया और कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. आजाद सरकार में पीडीपी ने अपना उपमुख्यमंत्री बनाया. पीडीपी की ओर से मुजफ्फर हुसैन बेग को यह मौका मिला.
तारा चंद जिन्होंने कार्यकाल पूरा किया
जम्मू-कश्मीर को तीसरा हिंदू उपमुख्यमंत्री तारा चंद के रूप में मिला. साल 2009 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं था. ऐसे में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार को अपना समर्थन दिया. उमर अब्दुल्ला की सरकार में तारा चंद उपमुख्यमंत्री बने. वह अकेले ऐसे उपमुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपना 6 साल का कार्यकाल पूरा किया.
2014 के विधानसभा चुनाव में भी किसी दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुई. पीडीपी सबसे अधिक सीट लेकर नंबर वन पार्टी बनी. बीजेपी इस बार दूसरे नंबर पर रही. चुनाव के करीब 2 महीने बाद पीडीपी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाने का ऐलान किया. मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने तो बीजेपी की ओर से 2 नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. यहां के इतिहास में एक साथ पहली बार 2 नेता उपमुख्यमंत्री बने थे.
निर्मल और कविंदर 2-2 बार बने DyCM
सईद के साथ निर्मल कुमार सिंह और कविंदर गुप्ता उपमुख्यमंत्री बनाए गए. हालांकि सीएम सईद की तबीयत बिगड़ गई और जनवरी में उनका निधन हो गया. इसके बाद पीडीपी और बीजेपी में गठबंधन की नई सरकार को लेकर करार नहीं हो सका. 88 दिनों के बाद सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के समर्थन से राज्य में मिली-जुली सरकार बनाने का फैसला लिया.
महबूबा मुफ्ती की सरकार अप्रैल 2016 में अस्तित्व में आई. निर्मल कुमार सिंह और कविंदर गुप्ता फिर से उपमुख्यमंत्री बनाए गए. 2 साल से कुछ अधिक समय तक मुफ्ती सरकार से बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया. ऐसे में यह सरकार गिर गई. महबूबा सरकार में 2 उपमुख्यमंत्री समेत 9 लोग मंत्रिमंडल में शामिल थे. इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की उमर अब्दुल्ला सरकार में 5 हिंदू नेता मंत्रिमंडल में शामिल किए गए थे.
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या करीब 1.25 करोड़ की आबादी थी, जिसमें 67.16% आबादी मुस्लिमों की हैं और 31.17% आबादी हिंदुओं और अन्य लोगों की हैं. इसमें कश्मीर घाटी में बहुसंख्यक मुस्लिम लोग रहते हैं जबकि जम्मू क्षेत्र में हिंदू लोग रहते हैं. आजादी से लेकर साल 2008 तक यानी 61 सालों में जम्मू-कश्मीर में महज 2 हिंदू नेता ही उपमुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे, जबकि 2009 के बाद वहां पर 3 नेता उपमुख्यमंत्री बने. इसमें तारा चंद अपना कार्यकाल पूरा करने में कामयाब रहे तो बीजेपी के 2-2 नेता 2 बार उपमुख्यमंत्री बने.
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