Political – जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में शिया वोटर का कितना प्रभाव, PDP के इस कदम से क्यों बढ़ी NC की चिंता? – Hindi News | Jammu Kashmir vidhansabha Election Shia Voter- #INA
महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला.
कश्मीर घाटी में मुस्लिमों के दो बड़े वर्ग हैं. इसमें सुन्नी और शिया हैं. इसमें शिया आबादी 20-25% है. ये आंकड़ा 2011 की जनगणना का है. लिहाजा इसमें लद्दाख क्षेत्र भी शामिल है. कश्मीर के सभी जिलों में शिया समुदाय की छोटी-बड़ी मौजूदगी देखने को मिलती है. मगर, मध्य कश्मीर बडगाम और श्रीनगर समेत बारामुला में शिया समुदाय की आबादी बाकी जिलों की तुलना में ज्यादा है. जो कि कुल मुस्लिम आबादी की 20-25% है. यानी कि 13 से 15 लाख.
कश्मीर में शिया समुदाय के दो बड़े वर्ग मुस्तफाई और मोहम्मदी हैं. अन्य दो वर्ग मौलवी साहबी और अब्बासी हैं. मुस्तफाई वर्ग में आगा सैयद मुस्तफा जबकि मोहम्मदी में आगा सैयद यूसुफ प्रमुख हैं. आगा सैयद मुस्तफा के बेटे आगा सैयद मेहदी, जोकि आगा रूहुल्लाह के पिता थे. वो कांग्रेस से जुड़े थे. एक बम धमाके में उनकी मौत हो गई थी.
रूहुल्लाह के साथ हमेशा रहा है ये सिम्पैथी फैक्टर
इसके बाद तब के मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल किया. आगा रूहुल्लाह के साथ वो सिम्पैथी फैक्टर हमेशा रहा है. आगा सैयद मुस्तफा के दूसरे बेटे आगा सैय्यद हसन हैं. जो कि काफी समय तक अलगाववाद की राह पर रहे. बडगाम के साथ ही पूरे कश्मीर में उनकी पैठ है. अभी उनके बेटा सैयद मुंताजिर मेहदी चुनावी रण में उतरे हैं. पीडीपी ने उन्हें बडगाम से प्रत्याशी बनाया है.
आगा सैयद मुस्तफा के तीसरे बेटे आगा सैयद मोहसिन एक धार्मिक व्यक्ति हैं. वो राजनीति से दूर हैं. मगर, समय-समय पर आगा रूहुल्लाह की मदद के लिए सामने आए हैं. आगा सैयद मुस्तफा के एक अन्य बेटे आगा सैयद अहमद मुस्तफा ने हाल ही में अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने का ऐलान किया था.
पीडीपी ने मुंतजिर को टिकट देकर बढ़ाई एनसी की चिंता
दूसरा वर्ग, जिसको मोहम्मदी कहा जाता है, उसमें आगा सैयद यूसुफ प्रमुख माने जाते हैं. उनके बेटे आगा महमूद पहले राजनीति से जुड़े थे. 2002 में वो चुनावी रण में भी थे. राजनीतिक गलियारों में अभी यह अंदाजा लगाया जा रहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) आगा महमूद को फिर से टिकट दे सकती है.
ताकि वो नेशनल कॉन्फ्रेंस की वो सीट जीतने में मदद करें, जो उनके लिए आगा रूहुल्लाह करते आए हैं. मगर बात बडगाम और बीरवाह सीट के प्रत्याशी को लेकर फंसी हुई है. जबकि पीडीपी ने सांसद रहे आगा रूहुल्लाह के चचेरे भाई आगा मुंतजिर मेहदी को टिकट देकर नेशनल कॉन्फ्रेंस की चिंता बढ़ा दी है.
शिया समुदाय के तीसरे वर्ग मौलवी साहबी में पूर्व पीडीपी नेता इफ्तिखार अंसारी प्रमुख माने जाते थे. उनके बेटे इमरान अंसारी और इरफान अंसारी अभी राजनीति में सक्रिय रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में श्रीनगर सीट से इरफान को हार का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद वो राजनीति से दूर हो गए. कश्मीर में शिया समुदाय का चौथा वर्ग अब्बासी है. इसके प्रमुख चेहरा अलगाववादी नेता अब्बास अंसारी थे. वो चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए थे. उनके बेटे मसरूर अब्बास अंसारी हैं. हाल ही में बनी मजलिस-ए-मुताहिदा उलेमा काउंसिल के सदस्य हैं.
आगा सैयद यूसुफ को हासिल था खास प्रावधान
कश्मीर के शियाओं में अमूमन कानूनी विवादों के लिए सरकारी अदालतों के बजाय अपने धार्मिक प्रमुख के पास जाने की प्रथा है. ऐसी शरई (शरीयत) अदालतें (धार्मिक अदालतें) इस्लामी सिद्धांत के अनुसार न्याय का निर्धारण करती हैं. आगा यूसुफ के समय में शरई अदालतें बहुत लोकप्रिय हुईं. कई मौकों पर जिला अदालत ने मामलों को यूसुफ की अदालत में भेजा.
महाराजा गुलाब सिंह, प्रताप सिंह और हरि सिंह के शासन काल में कश्मीर के संविधान में एक अनुच्छेद शामिल किया गया. इसने इस आगा परिवार को एक अद्वितीय सम्मान प्रदान किया. लेख के मुताबिक, अगर आगा परिवार से किसी को किसी मामले में गवाही देनी होती थी तो वह कोर्ट नहीं जाता था, बल्कि कोर्ट उसके घर आकर गवाही दर्ज करता था. आगा परिवार के किसी भी व्यक्ति को अदालत में नहीं बुलाया जाना चाहिए. यह कानून आगा सैयद यूसुफ के काल तक अस्तित्व में था यानी कि 1982 तक.
मौजूदा स्थिति के अनुकूल शिया राजनीति?
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, शिया समुदाय सैयद मुंतजिर मेहदी को विधानसभा पहुंचने के लिए उसी तरह वोट करने की अपील कर सकता है कि जैसे हाल ही में लोकसभा चुनाव में हुआ था. सभी आपसी दूरियों को मिटाकर आगा रूहुल्लाह को संसद भेजने के लिए वोट की अपील की गई थी. ऐसा ही कुछ इस चुनाव में देखने को मिल सकता है. यही वजह है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सैयद आगा महमूद जैसे नेता को टिकट देने पर विचार कर रही है.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link