Political – हरियाणा के राजनीतिक अखाड़े में कितने मजबूत हैं बजरंग पूनिया?- #INA
पहलवान बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने राहुल गांधी से मुलाकात की है
कुश्ती की दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने सियासी दंगल में उतरने की तैयारी कर ली है. इस संबंध में बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की है, जिसके बाद यह तय हो गया है कि दोनों ही पहलवान हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमा सकते हैं. पहलवानी के अखाड़े में एक से बढ़कर एक पहलवान को चित कर चुके हैं, लेकिन क्या सियासी अखाड़े में कितने मजबूत हैं पूनिया?
विनेश फोगाट की चचेरी बहन और बजरंग पूनिया की साली पहलवान बबीता फोगाट 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर उतरी थीं, लेकिन जीत नहीं सकी. इस बार भी बीजेपी के टिकट के दावेदारों में शामिल हैं और अब विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने भी चुनावी अखाड़े में उतरने का मन बना लिया है. राहुल गांधी से मिलने के बाद वे दिल्ली में कांग्रेस महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल से मिले. इसके बाद माना जा रहा है कि विनेश और बजरंग पूनिया को कांग्रेस हरियाणा में टिकट दे सकती है.
चरखी-दादरी सीट से उतर सकती हैं मैदान में
विनेश फोगाट के चरखी-दादरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. कांग्रेस अगर उन्हें इस सीट से टिकट देती है तो फिर उनका मुकाबला चचेरी बहन बबीता फोगाट से हो सकता है. 2019 में बबीता इसी सीट से चुनाव लड़ी थी और फिर से एक बार दावेदार हैं. पहलवान बजरंग पूनिया के गोहाना सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है. कांग्रेस अगर उन्हें इस सीट से टिकट देती है तो फिर उनका मुकाबला अपने गुरु योगेश्वर दत्त से हो सकता है. योगेश्वर दत्त 2019 में बरोदा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके. इस बार गोहाना सीट से किस्मत आजमाने के फिराक में है.
हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव खुदान से निकलकर बजरंग पूनिया ने देश-विदेश में शोहरत हासिल की है. बजरंग पूनिया फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. 26 फरवरी 1994 को जन्मे बजरंग पूनिया ने सात साल की छोटी उम्र में कुश्ती शुरू कर दी थी. उनके पिता बलवान सिंह ने उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. बजरंग पूनिया के परिवार के आर्थिक हालात भी कुछ अच्छे नहीं थे. बजरंग पूनिया को कुश्ती अभ्यास के लिए स्कूल और गांव तक छोड़ना पड़ा था.
बजरंग पूनिया के परिवार में कौन-कौन?
बजरंग पूनिया के परिवार में पिता बलवान सिंह किसान हैं, भाई हरेंद्र पूनिया, मां ओम प्यारी, भाभी मोनिका और भतीजा नमन है. पूनिया की तीन बड़ी बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. बजरंग पूनिया की शादी हरियाणा के फोगाट परिवार में हुई है. पत्नी संगीता फोगाट अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं, जो पहलवान महावीर की बेटी हैं. इस तरह बजरंग पूनिया का नाता उस फोगाट परिवार से जुड़ गया जो अखाड़े की दुनिया में अपना परचम फहराने का काम किया है.
हालांकि, बजरंग पूनिया को सियासी पहचान तब मिली, जब उन्होंने बीजेपी के सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आवाज बुलंद की. पूनिया ने विनेश फोगाट सहित कई महिला पहलवानों के साथ मिलकर कुश्ती संघ की सियासी पिच पर बृजभूषण सिंह जैसे दिग्गज नेता को धूल चटा चुकी हैं. डेढ़ साल पहले उन्होंने महिला पहलवानों के साथ ने जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था.
कैसे मिली बजरंग पूनिया और फोगाट को सियासी पहचान?
पहलवानी अखाड़े से लेकर सियासी रणभूमि तक अपनी ताकत का एहसास कराने वाले बृजभूषण सिंह के खिलाफ बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट सबसे मुखर चेहरा रहे. उन्होंने जंतर-मंतर से ऐसी आवाज उठाई कि बृजभूषण सिंह के लिए सियासी ग्रहण बन गई. पहलवानों के विरोध के चलते ही बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बृजभूषण सिंह का टिकट काटना पड़ा था. बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे, जिसके चलते ही सियासी पहचान मिली. कांग्रेस पूरी तरह से उनके समर्थन में खड़ी रही. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा ने सियासी बैकअप देने का काम किया. अब उसी सियासी आधार के साथ विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने का दांव चल सकते हैं.
बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं. हरियाणा की सियासत में जाटों का अपना प्रभाव है. कांग्रेस इस बार के चुनाव में जाट-दलित-मुस्लिम समीकरण के सहारे चुनावी जंग फतह करने की स्ट्रेटेजी बनाई है. ऐसे में कांग्रेस बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को चुनावी मैदान में उतारती है तो इस सियासी समीकरण का लाभ भी मिल सकता है. इसके अलावा उनकी अपनी भी लोकप्रियता है, जिसे पहलवानी से हासिल किया है. माना जा रहा है कि चुनाव में कांग्रेस उनकी लोकप्रियता को भुनाने की तैयारी की है, लेकिन इसका लाभ पूनिया और फोगाट को कितना मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा.
2019 का विधानसभा चुनाव हार गईं थी बबीता फोगाट
हालांकि, बजरंग पूनिया की साली बबीता फोगाट अपनी लोकप्रियता के सहारे 2019 के विधानसभा चुनाव में चरखी दादरी सीट से बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमाया था. बबीता फोगाट की जीत तो दूर की बात, वो तीसरे नबंर पर रही थी. इस सीट पर निर्दलीय सोमवीर सांगवान से हार का सामना करना पड़ा था. चरखी-दादरी सीट उनकी गृह क्षेत्र की है. इसके बाद भी जीत नहीं सकी और अब जब बजरंग पूनिया कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की है तो उन्हें भी तमाम चुनौतियों से जूझना होगा.
हरियाणा के पहलवान का डंका देश ही नहीं पूरी दुनिया में बजता रहा है. फोगाट परिवार पर दंगल फिल्म भी बना चुकी है. फोगाट परिवार में कुल 12 पहलवान हैं. फोगाट रेसलर सिस्टर्स की बात की जाए तो इनमें गीता, बबीता, प्रियंका, रितु, विनेश और संगीता हैं. इसमें गीता, बबीता, रितु और संगीता महावीर सिंह फोगाट की बेटियां हैं. वहीं, प्रियंका और विनेश फोगाट का पालन-पोषण भी महावीर ने किया था. विनेश ने अपने पिता राजपाल को 9 साल की उम्र में खो दिया था. महावीर फोगाट विनेश के ताऊ हैं.
आलोचनाओं के बावजूद महावीर ने नहीं मानी हार
महावीर फोगाट लंबे समय तक गांव के मुखिया रहे और परिवार के भी मुखिया हैं. उन्होंने समाज की आलोचनाओं के बावजूद अपनी बेटी-भतीजों को इंटरनेशनल लेवल का रेसलर बनाया. महिला रेसलिंग की दुनिया में भारत को टॉप पर पहुंचाया. महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों की शादी पहलवानों से कराने का काम किया. महावीर ने अपनी बेटी गीता फोगाट की शादी पहलवान पवन कुमार से, बबीता फोगाट की शादी पहलवान विवेक सुहाग से, संगीता फोगाट की शादी पहलवान बजरंग पूनिया से और रितु फोगाट की शादी कारोबारी सचिन से की है. महावीर फोगाट का एक बेटा दुष्यंत फोगाट है, जो पहलवान है.
महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों की तरह ही पहलवान भतीजी की भी शादी पहलवानों से कराई है. विनेश फोगाट की शादी सोमवीर राठी से हुई है, जो पहलवान हैं. सोमवीर राठी जींद जिले के गांव बखता खेड़ा के रहने वाले हैं. खासकर बजरंग पूनिया तो पुरुष रेसलिंग में मौजूदा दौर के सबसे बड़े नाम हैं. महावीर के भाई राजपाल की बेटियां विनेश और प्रियंका भी अपने बड़े पिता के मार्गदर्शन में पहलवान बनीं और विनेश महिला पहलवानों में टॉप पर हैं. अब बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट दोनों ही सियासी पिच पर उतरने की तैयारी में है.
गांव तक ही सीमित है महावीर की सियासत
महावीर फोगाट गांव की सियासत करते रहे हैं, लेकिन उनकी बेटी पहलवानी से राजनीति में कदम रखा है. बबीता फोगाट ने 2019 में चरखी-दादरी से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ी थी. वो भले ही जीत नहीं सकी, लेकिन उसके बाद से बीजेपी में सक्रिय हैं. अब बबीता के बहनोई बजरंग पूनिया और चचेरी बहन विनेश फोगाट कदम रखने की मन बना लिया है. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमा सकती हैं, लेकिन बबीता ने बीजेपी को चुना तो विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया कांग्रेस का दामन थामने की तैयारी में है.
हरियाणा में पिछली बार की तरह इस बार भी कई खिलाड़ी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है. पहलवान योगेश्वर दत्त ने हाल ही में फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. 2019 के विधानसभा चुनाव में तीन खिलाड़ियों ने अपनी सियासी किस्मत आजमाई थी. इनमें पहलवान बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त और हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह थे. तीनों में से केवल संदीप को ही जीत मिली थी जबकि बबीता और योगेश्वर हार गए थे.
योगेश्वर दत्त सोनीपत जिले की बरोदा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें कांग्रेस श्रीकृष्ण हुड्डा के सामने हार का सामना करना पड़ा था. इस बार गोहाना सीट से टिकट मांग रहे हैं. बबीता फोगाट चरखी दादरी जिले की दादरी सीट से उतरी थीं, लेकिन उन्हें निर्दलीय सोमवीर सांगवान से हार का सामना करना पड़ा था. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष रणबीर सिंह महेंद्रा ने भी सियासी भाग्य आजमाया था. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चरखी दादरी जिले की बाढड़ा सीट से चुनाव लड़ा थे. रणबीर सिंह महेंद्रा को जेजेपी की नैना चौटाला ने कराया था.
हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह 2019 में जीते थे चुनाव
हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह 2019 के चुनाव में कुरुक्षेत्र जिले की पिहोवा सीट से मैदान में उतरे थे. संदीप सिंह ने कांग्रेस के मंदीप सिंह चिट्ठा को हराया था. चुनाव में जीत के बाद वो मनोहर लाल वाली सरकार में खेल मंत्री बने थे, लेकिन बाद में संदीप विवादों में फंस गए जब हरियाणा के एक जूनियर एथलेटिक्स कोच ने करीब दो साल पहले पूर्व मंत्री के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद उन्होंने खेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.
कई पहलवान सियासी मैदान में उतरने के इच्छुक
बबीता फोगाट से लेकर योगेश्वर दत्त के भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इसके अलावा पूर्व बॉक्सर बिजेंद्र सिंह अब बीजेपी में हैं. उन्होंने दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव 2019 में लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके. 2024 लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. अब चर्चा है कि बीजेपी बिजेंद्र सिंह को हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतार सकती है.
हरियाणा के पहलवानों की चुनाव में एंट्री पहले से होती रही है. इनमें बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त प्रमुख नाम हैं. इसके अलावा हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह पिछली बार चुनाव मैदान में उतरे थे और जीत भी दर्ज की थी. अब बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद इन्हें लेकर भी सियासी अटकलें तेज हो गई हैं.
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