Political – हरियाणा: पीएम मोदी आज जाटलैंड में भरेंगे हुंकार, क्या बीजेपी के कमजोर दुर्ग को कर पाएंगे दुरुस्त?- #INA
पीएम नरेंद्र मोदी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. 2014 और 2019 की तरह इस बार सियासी फिजा बीजेपी के अनुकूल नहीं दिख रही है. ऐसे में पीएम मोदी बीजेपी के हरियाणा में सबसे कमजोर दुर्ग माने जाने वाले जाटलैंड इलाके से चुनावी हुंकार भरेंगे. नरेंद्र मोदी बुधवार को सोनीपत के गोहाना में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे, जिसके जरिए जाटलैंड क्षेत्र की 22 विधानसभा सीटों को साधने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुरुक्षेत्र से हरियाणा में अपने चुनावी अभियान का आगाज कर चुके हैं और अब बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल माने जाने वाले जाटलैंड इलाके में उतर रहे हैं. पीएम मोदी बुधवार को हरियाणा के गोहाना में बीजेपी की जन आशीर्वाद रैली को संबोधित करेंगे, जिसमें सूबे के 22 विधानसभाओं से कार्यकर्ता और बीजेपी उम्मीदवार शिरकत करेंगे. रोहतक और सोनीपत लोकसभा क्षेत्र की 9-9 विधानसभा सीटें और पानीपत जिले की चार विधानसभा को साधने की कोशिश है.
बीजेपी के कमजोर दुर्ग को दुरुस्त करने का चैलेंज
हरियाणा में बीजेपी के लिए सबसे कमजोर और कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ जाटलैंड का इलाका है. 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा में सबसे बड़ा झटका जाटलैंड वाले इलाके में लगा था. बीजेपी को रोहतक, सोनीपत और पानीपत तीनों ही जिलों में सियासी नुकसान उठाना पड़ा था. तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने रोहतक और सोनीपत सीटें गंवा दी है. इस इलाके में जाट और किसान दोनो ही बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं.
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हुड्डा के गढ़ में पीएम मोदी की हुंकार
रोहतक और सोनीपत का इलाका कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है, यहां पर जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में पीएम मोदी ने हुड्डा के गढ़ में हुंकार भरकर सीधे चुनौती देने का प्लान बनाया है. इसीलिए गोहाना की रैली में 22 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को संबोधित करके सियासी माहौल बीजेपी के पक्ष में बनाने की रणनीति है. माना जा रहा है कि पीएम मोदी अपनी रैली में किसानों और हरियाणा के लिए किए विकास कार्यों का ब्योरा रखेंगे.
जाटलैंड के चक्रव्यूह को भेद पाएंगे मोदी?
हरियाणा की सियासत में करीब 25 से 27 फीसदी के बीच जाट समुदाय किसी भी पार्टी को चुनाव जिताने और किसी भी सरकार को गिराने की ताकत रखते हैं. यही वजह है कि हरियाणा की राजनीतिक धुरी जाट समुदाय के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. विधानसभा चुनाव के लिए महज चंद दिन ही बाकी हैं. ऐसे में जाटलैंड इलाके में आनी वाली सीटों पर विपक्षी चक्रव्यूह को भेदना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. पीएम मोदी की रैली में जिन 22 विधानसभा क्षेत्र के लोगों को बुलाया गया है, उन सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन बहुत अच्छा 2014 में नहीं रहा है.
इन सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी
रोहतक और सोनीपत इलाके में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था तो पानीपत में बीजेपी अपना दबदबा बनाए रखने में कामयाब रही थी. जाटलैंड के इलाके में रोहतक, सोनीपत, पानीपत, झज्जर, कैथल, जींद, भिवानी और चरखी दादरी जिले आते हैं. इस इलाके में कुल 29 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से बीजेपी को 10, कांग्रेस 13, जेजेपी को 4 और निर्दलीय 2 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, 2014 के चुनाव में देखें तो जाटलैंड इलाके में बीजेपी ने 12, कांग्रेस ने 11, इलेनो ने 5 और एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस की एक सीट बढ़ी है तो बीजेपी को दो सीट का नुकसान उठाना पड़ा था.
जाटलैंड इलाके से BJP का सफाया
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का जाटलैंड इलाके से पूरी तरह सफाया हो गया है. बीजेपी जाट बहुल कोई भी संसदीय सीट नहीं जीत दर्ज कर सकी है. रोहतक, सोनीपत और हिसार सीट कांग्रेस जीतने में कामयाब रही है. इसके अलावा अंबाला और सिरसा जैसी दलित सुरक्षित सीटें भी बीजेपी के हाथों से निकल गई हैं. बीजेपी के लिए जाटलैंड का इलाका काफी चुनौती भरा है, जिसके चलते पार्टी ने इस बार जाट समाज से 17 प्रत्याशी हरियाणा के रण में उतारे हैं.
बीजेपी के जाट नेता अपने गढ़ में घिरे हुए
बीजेपी के जाट नेता ओम प्रकाश धनखड़ अपनी बादली, नारनौंद सीट पर कैप्टन अभिमन्यु,तोशाम सीट पर किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी कड़े मुकाबले में फंसी हुए हैं. इसके अलावा गढ़ी सांपला, किलोई, बेरी, महम, कैथल, ऐलनाबाद जैसी कई विधानसभा सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार को विपक्षी प्रत्याशियों से कड़ी चुनौती मिल रही है. बीजेपी को किसी सीट पर कांग्रेस तो किसी सीट पर इनेलो और जेजेपी से दो-दो हाथ करना पड़ रहा है.
कांग्रेस की तरफ जाटों का झुकाव
वहीं, कांग्रेस ने हरियाणा की सत्ता में वापसी के लिए जाटों पर भरोसा जताया है और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा चुनाव की कमान सौंप रखी है. कांग्रेस ने 35 सीटों पर जाट और सिख जाट उम्मीदवारों मैदान में उतारा है. इस तरह जाटों का झुकाव कांग्रेस की तरफ दिख रहा है तो बीजेपी गैर-जाट वोटों को अपने पाले में करने का दांव चल रही है. हालांकि, जाट वोटों को भी इग्नोर नहीं कर रही है.
पीएम मोदी क्या कमाल करेंगे?
2014 में जाट वोटों ने बीजेपी का खुलकर समर्थन किया था और 10 जाट विधायक पार्टी से जीतकर आए थे. ओपी धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु जैसे कद्दावर जाट नेताओं को कैबिनेट में जगह दी थी, लेकिन 2019 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में जाट बाहुल क्षेत्रों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था. किसान आंदोलन से लेकर जाट आरक्षण तक मुद्दा छाया रहा. जाट समुदाय ओबीसी में शामिल होने की मांग हरियाणा में कर रहा है, जिसे बीजेपी पूरा नहीं कर सकी है. यही वजह है कि बीजेपी के लिए जाटलैंड वाले इलाके में सबसे ज्यादा मुश्किल दिख रही है. ऐसे में देखना है कि पीएम मोदी जाटलैंड में उतरकर कितना जाटों का साध पाते हैं?
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