Political – महाराष्ट्र में बीजेपी ने क्यों नहीं चला नो-रिपीट फॉर्मूला, जानें किस पार्टी ने कितने विधायकों के टिकट काटे- #INA
देवेंद्र फडणवीस, अमित शाह, पीएम मोदी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नामांकन खत्म हो गया है. इसके साथ ही सियासी तस्वीर भी काफी हद तक साफ हो गई है. बीजेपी अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए ‘नो रिपीट थ्योरी’ का फॉर्मूला अलग-अलग राज्यों में आजमाती रही है. बीजेपी अपने मौजूदा विधायकों का टिकट बड़ी संख्या में काटकर उनकी जगह पर नए चेहरों को उतारकर सत्ता विरोधी लहर को मात देती रही है. गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ही नहीं हरियाणा में इसी दांव से सियासी बाजी अपने नाम करने में कामयाब रही थी, लेकिन महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी ने नो-रिपीट फॉर्मूला नहीं चला और अपने ज्यादा से ज्यादा पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है. ऐसे ही कांग्रेस ने अपने विधायकों के टिकट काटने से परहेज किया है.
विधानसभा चुनाव के नामांकन खत्म होने के साथ ही यह साफ हो गया है कि किस दल ने किस रणनीति के तहत अपने उम्मीदवारों को उतारा है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायकों पर ज्यादा से ज्यादा दांव खेला है तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी अपने-अपने खेमे के ज्यादातर नेताओं पर भरोसा जताया है. इस तरह बीजेपी से लेकर शिवसेना और कांग्रेस तक के पुराने चेहरों पर ही दांव खेला है और हारी हुई सीटों पर ही नए चेहरे उतारे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि किस पार्टी ने अपने कितने मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं?
महाराष्ट्र में 18 विधायकों का टिकट कटा
महाराष्ट्र में सत्तापक्ष और विपक्ष सहित सभी दलों ने कुल 18 विधायकों के टिकट काटे हैं, जिसमें बीजेपी ने अपने 105 मौजूदा विधायकों में से महज 8 विधायकों को टिकट नहीं दिया. इस तरह बीजेपी ने 97 विधायकों को दोबारा से चुनाव लड़ा रही है. कांग्रेस ने अपने पांच विधायकों को टिकट नहीं दिए हैं. कांग्रेस ने उनका टिकट काटा है, जिन विधायकों बागी बन गए थे और राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग की थी. अजीत पवार की एनसीपी और शरद पवार के अगुवाई वाली एनसीपी (एस) ने दो-दो विधायकों के टिकट काटे हैं तो एकनाथ शिंदे के नेतृ्त्व वाली शिवसेना ने अपने एक मौजूदा विधायक का टिकट काटा है और बागी सभी को मौका दिया है. ऐसे ही उद्धव ठाकरे ने अपने सभी विधायकों को चुनावी मैदान में उतारा है.
बीजेपी ने अपने 8 विधायक का टिकट काटा
2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 105 विधायक चुनाव जीतकर आए थे, जिसमें से सिर्फ 8 विधायकों को इस बार टिकट नहीं मिला है. बीजेपी ने मुंबई इलाके के बोरीवाली सीट से मौजूदा विधायक सुनील राणे का टिकट काटकर संजय उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह अरनी से विधायक संदीप धुर्वे की जगह राजू तोड़सम को उम्मीदवार बनाया है तो उमरखेड सीट से मौजूदा विधायक नामदेव सासने का टिकट काटकर किसन वानखेडे को दिया है. आर्वी सीट से विधायक दादा केंचे का टिकट काटकर बीजेपी ने सुमित वानखेडे को प्रत्याशी बनाया है. सुमित वानखेड़े को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी होने का इनाम मिला है.
नागपुर सेंट्रल सीट से विधायक विकास कुंभारे का टिकट काटकर बीजेपी ने प्रवीण दटके को उम्मीदवार बनाया है. प्रवीण दटके बीजेपी के एमएलसी हैं और पार्टी ने उन्हें चुनाव में उतारा है. इस तरह चिंचवाड़ सीट से विधायक अश्विनी जगताप का टिकट काटकर उनकी जगह पर शंकर जगताप को प्रत्याशी बनाया है. अश्विनी और शंकर एक दूसरे के सगे के रिश्तेदार हैं. इस तरह बीजेपी ने कल्याण पूर्व सीट से जेल में बंद विधायक गणपत गायकवाड़ की जगह उनकी पत्नी सुलभा गायकवाड़ को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने वाशिम सीट से चार बार विधायक रहे लखन मलिक का टिकट काटतकर श्याम खोड़े को उम्मीदवार बनाया है.
कांग्रेस ने पांच विधायक के टिकट काटे
कांग्रेस ने अपने पांच मौजूदा विधायकों के टिकट इस बार काटे हैं. कांग्रेस ने जिन विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया है, उसमें श्रीरामपुर सीट से विधायक लहू कनाडे की जगह हेमंत ओगले को प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह आमगांव में कांग्रेस ने सहसराम कोरोटे का टिकट काटकर राजकुमार पुरम को टिकट दिया है. रावेर विधानसभा सीट से विधायक शिरीष चौधरी का टिकट काटर उनकी जगह उनके बेटे धनंजय रावेर को प्रत्याशी बनाया है.
कांग्रेस ने बागी तेवर अपनाने वाले विधायकों को टिकट काट दिए हैं, जिसमें अमरावती सीट से विधायक सुलभा खोडके का टिकट काटकर सुनील देशमुख को प्रत्याशी बनाया है तो इगतपुरी सीट से विधायक हीरामन खोसकर का टिकट काटकर लैकीभाऊ जाधव को प्रत्याशी बनाया है. खोडके और खोसकर दोनों ही कांग्रेस के बागी विधायकों को अजीत पवार ने अपनी एनसीपी से उतारा है.
शरद-अजीत-शिंदे ने काटे टिकट
शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एस) ने अपने दो विधायकों को टिकट काटकर नए चेहरों को उतारा है. शरद पवार की एनसीपी ने कटोल विधायक और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जगह उनके बेटे सलिल देशमुख को प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह माधा सीट से विधायक बबनराव शिंदे का टिकट काटकर शरद पवार ने अभिजीत पाटिल को प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने अपने दो विधायकों के टिकट काटे हैं. अर्जुनी मोरगांव सीट से विधायक मनोहर चंद्रिकापुरे का टिकट काटकर बीजेपी नेता राजकुमार बडोले को एनसीपी से प्रत्याशी बनाया है. आष्टी सीट से विधायक बालासाहेब अजबे का टिकट काटकर
पूर्व एमएलसी सुरेश धास को प्रत्याशी बनाया है.
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना ने पालघर से मौजूदा विधायक श्रीनिवास वंगा को टिकट काटकर पूर्व सांसद राजेंद्र गावित को उम्मीदवार बनाया है. श्रीनिवास वंगा उन शिवसेना के विधायकों में से एक थे, जिन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे के साथ चल गए थे. ऐसे में अब टिकट कटने से दुखी होकर कहीं गायब हो गए हैं. वहीं, उद्धव ठाकरे के साथ मजबूती से खड़े रहे सभी विधायकों को टिकट दिया है और किसी का भी टिकट नहीं काटा है.
बीजेपी का नो-रिपीट थ्योरी से परहेज
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से परहेज किया है और पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. हरियाणा में बीजेपी भले ही सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही हो, लेकिन मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से विरोध तेज हो गया था. मध्य प्रदेश में पुराने चेहरों की जगह नए चेहरों पर दांव खेलना भले ही सफल रहा हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में उल्टा पड़ गया था. इसीलिए बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सिर्फ 8 विधायकों के टिकट काटे हैं. इसके अलावा पुराने और अनुभवी नेताओं पर अपना भरोसा कायम रखा है. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि पिछले पांच सालों में महाराष्ट्र में तमाम सियासी उठापटक हुई, एनसीपी से लेकर शिवसेना तक दो धड़ों में बंट गई. कांग्रेस के कई विधायक भी बागी हो गए जबकि बीजेपी का एक भी विधायक नहीं टूटा. ऐसे में बीजेपी ने उनकी वफादारी को देखते हुए चुनाव में उन पर भरोसा जताया है.
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