Political – महाराष्ट्र चुनाव: मनोज जरांगे से मिलने कौन-कौन गया था, चुनाव में पीछे हटने से किसे फायदा और किसे नुकसान?- #INA
मनोज जरांगे पाटिल.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपने फैसले से सभी को हैरान कर दिया. आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन था, लेकिन उससे पहले ही जरांगे ने चुनाव से पीछे हटने की घोषणा कर दी है. उन्होंने उन लोगों से भी अपील की जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी के लिए आवेदन भरे थे. जरांगे ने उन लोगों से भी नामांकन वापस लेने के लिए कह दिया. मनोज जरांगे पाटिल के इस अचानक यू-टर्न से महायुति की टेंशन महाविकास अघाड़ी से भी ज्यादा बढ़ गई है.
टीवी9 मराठी की रिपोर्ट के मुताबिक, मनोज जरांगे ने कहा कि राजनीति हमारा मुख्य व्यवसाय नहीं है इसलिए हमने किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं किया है. 400 पार का नारा देने वालों का क्या हुआ पूरे देश ने देखा है. भले ही हम पीछे हट गए हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि मतदाता के रूप में मराठा समुदाय का प्रभुत्व बना रहेगा.
मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में प्रभाव
मनोज जरांगे पाटिल का सबसे ज्यादा प्रभाव मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में है. जरांगे पाटिल ने लोकसभा चुनाव के दौरान आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधा था. इससे बीजेपी को तगड़ा झटका लगा. मराठवाड़ा में कुल आठ लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से छह सीटों पर महायुति के उम्मीदवार हार गए. साथ ही यह भी देखा गया कि पश्चिम महाराष्ट्र में भी जरांगे फैक्टर चल रहा था. सोलापुर, माधा, अहमदनगर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में महायुति के उम्मीदवार हार गए.
इस बीच, अगर जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार खड़ा किया होता, तो मराठा, मुस्लिम और दलित वोट बंट जाते. महाविकास अघाड़ी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ होगा. लेकिन जरांगे पाटिल चुनाव से हट गए हैं, इसलिए संभावना है कि मुस्लिम और दलित वोट महाविकास अघाड़ी को मिलेंगे. इसका असर महागठबंधन पर पड़ सकता है. राष्ट्रवादी शरद पवार समूह ने जरांगे फैक्टर को पहले ही भांप लिया था और कई सीटों पर केवल मराठा उम्मीदवारों को ही उम्मीदवार बनाया है.
मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने लिए लड़ रहे हैं लड़ाई
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी. उनके आंदोलन के बाद सरकार ने मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण दिया, लेकिन जरांगे पाटिल अपनी मांग पर अड़े रहे कि हमें ओबीसी से ही आरक्षण चाहिए. लेकिन जरांगे पाटिल की यह मांग नहीं मानी गई. इसके बाद मनोज जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया था.
माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में जरांगे फैक्टर के कारण कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा. इसलिए, जैसे ही जरांगे पाटिल ने घोषणा की कि वह चुनाव मैदान में उतर रहे हैं, कई दिग्गज ने उनके साथ अपनी बैठकें शुरू कर दी थीं. चुनाव ऐलान के बाद जरांगे के यहां दरबार लगाने वालों में 5 बार के विधायक हसन मुश्रीफ के साथ-साथ उनके प्रतिद्वंदी समरजीत घाटगे भी शामिल रहे.
सुजय विखे पाटिल ने भी जरांगे से की थी मुलाकात
इसके अलावा अहमदनगर लोकसभा क्षेत्र से हारे बीजेपी उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल ने भी जरांगे पाटिल से मुलाकात की थी. उद्योग मंत्री उदय सामंत, मुख्यमंत्री के ओएसडी मंगेश चिवटे, राधाकृष्ण विखे पाटिल, बीड सांसद बजरंग सोनवणे, धनंजय मुंडे जैसे कई बड़े नेताओं ने मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की थी. इनमें से कई नेता चाहते थे कि मनोज जरांगे पाटिल उन्हें चुनाव के लिए नामांकित करें. हालांकि, अब स्थिति बदल गई है और जरांगे चुनाव से पीछे हट गए हैं. उन्होंने किसी भी दल के लिए प्रचार नहीं करने की बात भी कही है.
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