देश- प्रेशर या स्ट्रैटजी… डॉक्टरों के आंदोलन से कैसे आई ममता के इस्तीफे की नौबत?- #NA
कोलकाता में महिला डॉक्टर की रेप कर हत्या के खिलाफ प्रदर्शन और ममता बनर्जी.
पश्चिम बंगाल में 34 सालों के वाममोर्चा के शासन के दौरान ममता बनर्जी ने लेफ्ट को कड़ी चुनौती दी और साल 2011 में लेफ्ट का शासन का खात्मा कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुईं. लगभग 13 सालों के शासन में ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की कड़ी चुनौती मिली, लेकिन साल 2021 के विधानसभा चुनाव में फिर से तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनकर सत्ता में वापसी की हैं. लड़ाकू नेता और आंदोलन से निकली नेता के रूप में जानी जाने वाली ममता बनर्जी कभी भी अपने विरोधियों के आगे नहीं झुकी हैं.
भ्रष्टाचार से लेकर विभिन्न घाटालों के आरोप में विपक्ष लगातार इस्तीफा की मांग करते रहा है, लेकिन कभी ममता बनर्जी ने कभी ऐसा नहीं कहा कि वह इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोलकाता में लेडी डॉक्टर की रेप-मर्डर मामले में जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन ने ऐसा क्या कर दिया कि ममता बनर्जी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी?
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छात्र राजनीति से लेकर राज्य की राजनीति तक ममता बनर्जी को लंबे समय से आंदोलन को नेतृत्व देती रही हैं. नंदीग्राम से लेकर सिंगूर में आंदोलन को नेतृत्व दिया है, लेकिन क्या डॉक्टरों के आंदोलन के सामने ममता बनर्जी झुक गयी हैं. यह क्या उनकी रणनीति है या फिर ममता बनर्जी वास्तव में दवाब में हैं. आइए जानते हैं-
लेडी डॉक्टर की मौत से बैकफुट पर ममता
नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर का शव मिला. शव मिलने के बाद अस्पताल के प्रबंधकों ने पहले इसे आत्महत्या करार दिया, लेकिन बाद में पोस्टमार्टम से पुष्टि हुई है कि लेडी डॉक्टर की रेप कर हत्या की गयी है. इस मामले में एक आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को अरेस्ट भी किया गया, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष पर भ्रष्टाचार और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे. भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिये. ईडी भी आरजी कर में वित्तीय अनियमितता की जांच शुरू की है, लेकिन न्याय की मांग पर पूरे देश में आंदोलन जारी है.
न्याय की मांग पर डॉक्टरों का लगातार आंदोलन
कोलकाता सहित पूरे देश में रिक्लेम द नाइट से लेकर लाइट बंद कर रात को आंदोलन हुए. आरजी कर के जूनियर डॉक्टर्स लगातार हड़ताल कर रहे हैं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में डॉक्टरों को ज्वाइन करने की हिदायद दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जूनियर डॉक्टर्स स्वास्थ्य भवन के सामने धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में सेवाएं बाधित हो रही हैं. ममता बनर्जी ने दावा किया है कि इलाज के अभाव में 27 रोगियों की मौत हो चुकी है.
इस परिपेक्ष्य में राज्य सरकार ने आंदोलनरत डॉक्टरों से बातचीत का आह्वान किया. मुख्य सचिव मनोज पंत ने डॉक्टरों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, लेकिन तीन दिनों तक आमंत्रण का दौर चला और अंततः डॉक्टर राज्य सचिवालय नबान्न आए भी, लेकिन बातचीत नहीं हो सकी. विवाद बातचीत की लाइव स्ट्रीम को लेकर हुई. डॉक्टरों ने बातचीत की लाइव स्ट्रीम की मांग की, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने अस्वीकार कर दिया.
ममता ने जनता से मांगी माफी
उसके बाद ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि वह नबान्न के सभागार में दो घंटे से अधिक समय तक बैठी रहीं. लेकिन बैठक नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि वह इस्तीफा देने को तैयार हैं. लेकिन कुछ लोग न्याय नहीं चाहते. सत्ता की कुर्सी चाहिए.मेरा बहुत अपमान हुआ है. मेरी सरकार का अपमान किया गया है. अब मैं इनके साथ बैठक नहीं करूंगी. यदि बैठक होगी तो डीजी और मुख्य सचिव बैठक करेंगे.
ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक समय बीत चुका है. जहां तक मुझे पता है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, वे राज्य को कार्रवाई करने से नहीं रोकेंगे, लेकिन मैं कुछ नहीं करूंगी. कई लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है. 27 लोगों की मौत हो चुकी है. सात लाख लोग वंचित हैं. मेरा दिल रो रहा है वे छोटे हैं, मैं उन्हें क्षमा करती हूं. मैं लोगों से माफी मांगती हूं. तीन दिन तक प्रयास किया, लेकिन समाधान नहीं हो सका.
लाइव टेलीकास्ट पर अटकी बात, अड़े डॉक्टर्स
ममता बनर्जी के बयान के बाद बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि सरकार ने अदालत को प्रभावित करने के लिए नबान्न के बैठक कक्ष की तस्वीरें प्रकाशित की हैं. बैठक के लाइव टेलीकास्ट का सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से कोई लेना-देना नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का भी सीधा प्रसारण किया जाता है, जो चर्चा होनी थी उससे अदालत की अवमानना का कोई लेना-देना नहीं है. ये सब नाटक है. उसका नकाब खुलने की संभावना थी. अतः उन्होंने उचित मांग स्वीकार नहीं की. वह नहीं चाहती कि गतिरोध खत्म हो.
अगले 33 दिनों तक आंदोलन को तैयार हैं डॉक्टर्स
वहीं, आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य भवन के सामने फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, वे अगले 33 दिनों तक सड़कों पर रहेंगे. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस घटना में जो लोग शामिल थे, जो लोग इस घटना पर पर्दा डालना चाहते थे, वे सजा चाहते थे. हम मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भरोसा करके गये थे, लेकिन कोई हल नहीं निकला. डॉक्टरों ने साफ कहा कि उन्होंने कभी भी मुख्यमंत्री का इस्तीफा नहीं मांगा है. वे लोग न्याय और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.
विपक्ष नहीं, युवाओं से मिली ममता को चुनौती
राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सदा से ही विपक्ष को चुनौती देती रही हैं, लेकिन पहली बार वह उन्हें चुनौती मिल रही है और सबसे आश्चर्य की बात है कि यह चुनौती उन्हें विपक्ष से नहीं मिल रही है, बल्कि जूनियर डॉक्टरों से मिल रही है. कोलकाता रेप मामले में ममता बनर्जी की सरकार का भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो चुका है. वह पूरी तरह से दवाब में हैं. ऐसा लगता है कि जिस तरह से ज्योति बसु ने कार्यकाल के बीच में ही बुद्धदेव भट्टाचार्य को सीएम पद सौंप दी थी.
शायद ममता बनर्जी भी अभिषेक बनर्जी को सीएम पद या डिप्टी सीएम पद सौंपने की रणनीति बना रही हैं. इस मुद्दे पर ममता बनर्जी ने पहले ही पार्टी नेताओं को बयान नहीं देने का निर्देश दे रखा है. पार्टी के सांसद जवाहर सरकार ने इस्तीफा दे दिया है. पार्टी के अन्य राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय भी बगावत के मूड में हैं. ऐसे में ममता बनर्जी पूरी तरह से दवाब में हैं.
एक्शन नहीं, सुप्रीम कोर्ट से ममता को आस
वहीं, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी राणनीति के तहत काम कर रही हैं. कोलकाता रेप केस मामले में पहले ही ममता बनर्जी की सरकार बैकफुट पर है और पूरे देश में ममता बनर्जी की सरकार की पोल खुल चुकी है और उनकी लगातार आलोचना हो रही है. ऐसे में ममता बनर्जी की सरकार आंदोलनरत डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कदम उठाती हैं, तो सरकार को और भी भद्द पीटेगी. ऐसे में ममता बनर्जी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही हैं और सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई के दौरान ममता बनर्जी की सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने पूरी कहानी बयां करते हुए सुप्रीम कोर्ट से ही डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर कदम उठाने की फरियाद करेगी. इससे सांप की मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.
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