देश – धैर्य की सीमा पार हो चुकी है… अब कोई मुरौवत नहीं; राशन कार्ड को लेकर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट – #INA

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने में हो रही देरी पर सख्त नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंतिम मौका देते हुए कहा कि वे 19 नवंबर तक इस मामले में आवश्यक कदम उठाएं वरना उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, “हमने अपना धैर्य खो दिया है। अब और कोई रियायत नहीं दी जाएगी। हम आपको अंतिम अवसर दे रहे हैं। अगर आपने हमारे आदेश का पालन नहीं किया, तो आपके सचिव को कोर्ट में हाजिर रहना होगा।” वहीं केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि प्राथमिकता वाले परिवारों के तहत प्रति परिवार एक ही राशन कार्ड जारी किया जाता है, जो अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत आता है।

सुप्रीम कोर्ट 2020 में स्वतः संज्ञान लेते हुए कोविड-19 के दौरान प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों और कष्टों से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने 2021 में दिए गए अपने फैसले में केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों के लिए राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।

29 जून, 2021 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कल्याणकारी उपाय करने होंगे, जिसमें राशन कार्ड जारी करना और ई-श्रम पोर्टल पर श्रमिकों का पंजीकरण शामिल है। उल्लेखनीय है कि ई-श्रम पोर्टल असंगठित श्रमिकों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस है, जिसे केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों तक कल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा उपायों की पहुंच सुनिश्चित करना है।

2021 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के असंगठित श्रमिकों के राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्लू) बनाने में देरी को अक्षम्य करार दिया था और 31 जुलाई, 2021 तक इसका संचालन शुरू करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जाए और कोविड संकट के दौरान उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले। इसके साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया था कि जब तक महामारी जारी है, तब तक सभी प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त में सूखा राशन उपलब्ध कराया जाए, जबकि केंद्र सरकार को अतिरिक्त खाद्यान्न का आवंटन करना था। 

(भाषा के इनपुट के साथ)

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