जल -जीवन -हरियाली के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आज हाजीपुर में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार

हाजीपुर, 5 नवंबर। जल -जीवन -हरियाली के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आज हाजीपुर में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “जल-जीवन-हरियाली” के तहत आयोजित किया गया, जिसमें हर माह के पहले मंगलवार को जल जीवन हरियाली दिवस मनाने का संकल्प लिया गया है।

आज के कार्यक्रम का आयोजन सूचना एवं जन संपर्क विभाग द्वारा सूचना भवन में किया गया, जिसमें वैशाली जिला जन संपर्क पदाधिकारी श्री नीरज के साथ-साथ कई अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन समाहरणालय के एनआईसी वीसी रूम से किया गया, जिससे विभिन्न स्थानों पर उपस्थित लोग इस महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा बने।

इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने जल और हरियाली के महत्व पर जोर दिया। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक हमारे पास जल और हरियाली है, तब तक ही जीवन सुरक्षित रहेगा। जलवायु परिवर्तन और उसके दुष्प्रभावों पर भी विस्तृत चर्चा हुई, जिससे यह सिद्ध होता है कि जल और पेड़-पौधों का संरक्षण आज के समय की एक प्राथमिक आवश्यकता बन चुकी है।

भवन निर्माण विभाग के सहायक अभियंता ने विशेष रूप से जल संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डाला, जिसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग के महत्व को समझाया गया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक किस प्रकार न केवल जल की बर्बादी को रोकती है, बल्कि वर्षा के जल को संग्रहित कर भविष्य की जल आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकती है।

जिला जन संपर्क पदाधिकारी ने कहा, “छठ पर्व में भी प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का स्पष्ट संदेश है।” उन्होंने सभी से अपील की कि हमें मिलकर जल और वृक्षों की सुरक्षा करनी चाहिए ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और खुशहाल धरती सौंप सकें।

इस कार्यक्रम के माध्यम से यह शिक्षा मिली कि जल और हरियाली नहीं केवल हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं, बल्कि यह हमारे पृथ्वी के सभी जीवों के लिए भी आवश्यक हैं। हमें जागरूक रहकर और सक्रिय रूप से जल और पर्यावरण की सुरक्षा के उपायों को अपनाना चाहिए, ताकि हम सभी के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित कर सकें।

“जल बचाएं, जीवन बचाएं” – यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जिसे हमें पूरी तरह से स्वीकार करना होगा।

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