खबर शहर , World Suicide Prevention Day 2024: ये हैं  हिमानी बुंदेला…हर दिन जिंदगी के लिए जंग लड़ी, तब छुआ आसमान – INA

जितना कड़ा संघर्ष होगा, उतना ही बेहतर सफलताओं से सुसज्जित जीवन होगा। सफलता किसी बाजार में बिकने वाला सौदा नहीं, बल्कि यह तो संघर्षों की खदान में पनपता हीरा है… कुछ ऐसी ही शहर की युवतियां हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष से आत्महत्या के ख्याल का ज्वार शांत किया। दर्द से निकल कर फिर खुले आसमान को छुआ, जो आज कई चेहरों पर मुस्कान बिखेरने की वजह बनी है।

 


बिखरने लगे थे सपने, खुद को संवारा
चट्टान जैसा हौसला रखने वाले हिमानी बुंदेला पहचान की मोहताज नहीं। राजपुर चुंगी निवासी हिमानी ने बताया कि वर्ष 2012 के एक कार एक्सीडेंट ने आंखों की रोशनी छीन ली। डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया। कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला, सपने बिखरे से लगने लगे। एक वक्त आया कि आत्महत्या कर लूं। पर, माता-पिता की मुस्कान और उनका संघर्ष उन्हें वापस लेकर आया। स्नातक, परास्नातक में टॉप करने के बाद कौन बनेगा करोड़पति के 13वें सीजन में एक करोड़ जीतकर अपनी योग्यता का परचम लहराया। अब दिव्यांगों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ दिला रही हूं। वर्ष 2023 में दिव्यांगजन सशक्तीकरण उत्तर प्रदेश का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया। बेस्ट रोल मॉडल के लिए राज्य पुरस्कार मिला। सीएम योगी भी सम्मानित कर चुके हैं। हिमानी का सपना है कि एक शिक्षक होने के नाते बच्चों के जीवन में शिक्षा के रंग को घोल सकें।

 


वर्षों तक अवसाद फिर जीवन को निखारा
शादी में धोखा मिलने और पति के उत्पीड़न से राजपुर चुंगी निवासी संध्या शर्मा को जीवन नरक लगने लगा था। उन्होंने बताया कि सोचती थी कि जीवन खत्म कर दूं। पिता की सलाह और अपने 2 बेटों के भविष्य के लिए जिंदा रही। हर दिन संघर्ष किया। एक दौर आया कि पिता का देहांत हो गया, मैं अवसाद में चली गई। इसके बाद खुद को अवसाद से निकाला और खड़ी हुई। परास्नातक पूरा करने के साथ ही 4 साल तक आगरा व कानपुर मंडल की कोऑर्डिनेटर के तौर पर बुजुर्गों के लिए काम किया। एमएसएमई प्रोजेक्ट के तहत कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। बच्चे भी अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं।


Credit By Amar Ujala

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