यूपी- कहां है देश में एकमात्र भगवान धनवंतरि का मंदिर? धनतेरस के दिन लगता है हिमलाय की जड़ी-बूटियों से भोग – INA

आज धनतेरस का त्योहार है. आज के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सुड़िया में भगवान धनवंतरि की भारत में एकमात्र मूर्ति है. यहां साल में सिर्फ एकबार धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरि के दर्शन के लिए मंदिर का पट खुलता हैं. आज यहां भगवान धनवंतरि के मंदिर का कपाट खुल जाएगा. जो 5 घंटे के लिए खुला रहेगा. यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं.

निरोग और सुख समृद्धि के लिए देश-विदेश के दर्शनार्थी भगवान धनवंतरि के दर्शन का इंतजार करते हैं. मंदिर का पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भारी-भीड़ भगवान के दर्शन के लिए आतुर रहती है. भगवान धन्वंतरि को हिमालय से लाए पुष्प, वनस्पति एवं जड़ी बूटियों का भोग लगता है. इन्हीं जड़ी बूटियों से साल भर रोगियों का आयुर्वेद के जरिए इलाज भी होता है. भगवान धनवंतरि के पट खुलने का ये 327 वां साल है.

326 साल पहले धन्वंतरि जयंती की हुई थी शुरुआत

भगवान धन्वंतरि की छवि सभी भक्तों का मन मोह लेती है. भगवान के एक हाथ में अमृत कलश होता है. भगवान के दूसरे हाथ में शंख धारण किए हुए हैं. भगवान तीसरे हाथ में चक्र और चौथे हाथ में जोंक लिए हुए दोनों ओर सेविकाएं चंवर डोलाती नज़र आती हैं. दिव्य झांकी के दर्शन करने के बाद भक्त मंडली भगवान धनवंतरी का जयकारा लगाते हैं.

अष्टधातु से बनी है भगवान धनवंति की प्रतिमा

वाराणसी के सुड़िया स्थित भगवान धनवंतरि की ढाई फ़ीट ऊंची अष्टधातु की 25 किलोग्राम की रत्नजड़ित मूर्ति बैकुंठपुर में होने का एहसास कराती है. राजवैद्य स्व. शिवकुमार शास्त्री का परिवार पांच पीढ़ियों से प्रभु की सेवकाई में रत हैं. उनके बाबा पं. बाबूनंदन जी ने 326 साल पहले धन्वंतरि जयंती की शुरुआत की थी.

कई असाध्य रोगों का होता है इलाज
यहां से ही दूसरे जगहों पर इसका प्रसार हुआ. वैद्यराज के पुत्र रामकुमार शास्त्री, नंद कुमार शास्त्री व समीर कुमार शास्त्री पूरे विधान से काशी के इस आयुर्वेद की परंपरा को निभा रहे हैं. कई असाध्य रोगों का आयुर्वेदिक इलाज यहां से होता है. देश-विदेश के कई ख्याति प्राप्त लोगों ने यहां से अपना इलाज कराया.


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