ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि संभल की जामा मस्जिद का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी का मामला सामने आ गया है। कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाले ने दरगाह शरीफ के अंदर शिव मंदिर होने का दावा किया है, जो सरासर गलत और झूठ है।
मौलाना ने कहा कि चंद सांप्रदायिक ताकतें देश के माहौल को खराब करना चाहती हैं। देश में जब से सरकारों के बनने का चलन शुरू हुआ, चाहे मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम, सभी ने दरगाह अजमेर शरीफ पर चादरें चढ़ाकर अपनी कामयाबी के लिए दुआएं की हैं। मुस्लिम बादशाहों, राजा व महाराजाओं ने दरगाह शरीफ के भवन बनवाए। 2015 से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल उर्स के मौके पर केंद्र सरकार की तरफ से चादर भेजकर अकीदत का नजराना पेश करते हैं।
सूफी विचारधारा एकता की प्रतीक
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दी हुई शिक्षा का नाम सूफी विचारधारा है, यही वो विचारधारा है जो एकता और अखंडता को कामय रख सकती है। ये दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। लोगों को ये बात समझ में आना चाहिए कि यहां पर हाजरी देने वाले मुसलमानों में 40 फीसद हिंदू भाइयों की भागीदारी है। शिव मंदिर का दावा करने वाले लोग मुसलमानों के साथ हिंदुओं को भी आहत कर रहे हैं।