Crime – गोतस्करी का शक या कुछ और… 30 KM पीछा कर आर्यन मिश्रा की क्यों ली जान? हरियाणा में गोरक्षा दल की गुंडई पर सवाल – Hindi News | Faridabad cow protection team hooliganism questions on murder of Aryan Mishra- #INA
फरीदाबाद में आर्यन मिश्रा की गोली मारकर हत्या
हरियाणा के फरीदाबाद में एक कार का 30 किमी तक पीछा करने और फिर कार में बैठे युवक आर्यन मिश्रा को गोली मारने की घटना से पूरा देश स्तब्ध है. आरोप है कि 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा को गोरक्षा दल के सदस्यों ने गोतस्कर समझ कर गोली मारी. लेकिन मौका-ए-वारदात कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है. इस वारदात से राज्य में कानून व्यवस्था तो कटघरे में है ही, बड़ा सवाल गोरक्षा दल के नाम पर हो रही यहां हो रही गुंडई को लेकर भी है. सवाल यह भी है कि इन कथित गोरक्षकों को गोली चलाने का अधिकार किसने और क्यों दे दिया?
यह सवाल इसलिए भी है कि फरीदाबाद पुलिस ने आरोपियों के गोरक्षक होने के दावे को खारिज किया है. इस कहानी में आगे बढ़ने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि 23 अगस्त की उस रात को हुआ क्या था? मृतक आर्यन मिश्रा के पिता सियानंद मिश्रा ने बताया कि उनका बेटा 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा था. वारदात की रात वह अपने दोस्तों के साथ डस्टर गाड़ी में सवार होकर बड़खल के मॉल में कुछ खाने पीने गया था. वापस लौटते समय पांच बदमाशों ने करीब 30 किमी तक पीछा किया और उनके बेटे को गोली मार दी.
गाड़ी रुकने के बाद छाती में मारी दूसरी गोली
बदमाशों ने पहली गोली चलती गाड़ी पर चलाई थी, जो आर्यन मिश्रा की गर्दन को छीलते हुए निकली. वहीं दूसरी गोली इनकी गाड़ी रुकने के बाद छाती में मारी. इस घटना में गाड़ी में सवार किसी अन्य व्यक्ति को खरोंच तक नहीं आई है. जबकि आर्यन वाली गाड़ी में शैंकी नाम का एक बदमाश भी बैठा था. यह गाड़ी शैंकी का भाई चला रहा था. गोरक्षक होने का दावा करने वाले आरोपियों का तर्क है कि उन्हें डस्टर और फॉर्च्यूनर गाड़ी में गोतस्करी के इनपुट मिले थे. इस इनपुट के आधार पर उन लोगों ने डस्टर गाड़ी को रोकने की कोशिश की, लेकिन ड्राइवर ने गाड़ी भागाया तो उन्हें लगा कि यही गाड़ी गोतस्करों की है.
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पुलिस समझ कर भगाई थी गाड़ी
इसी शक के आधार पर उन्होंने गोली चलाई. उधर, डस्टर गाड़ी चला रहे शैंकी के भाई हरीश ने बताया कि उसके बगल वाली सीट पर आर्यन बैठा था. जबकि शैंकी और दो लड़कियां पीछे वाली सीट पर थीं. चूंकि उसके भाई शैंकी हत्या के प्रयास के मामले में वांटेड है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है. ऐसे में जब बदमाशों ने उनकी गाड़ी रोकने की कोशिश तो उसे लगा कि क्राइम ब्रांच की टीम शैंकी के लिए उन्हें रोक रही है. ऐसे में उसने गाड़ी भगा दी. इतने में बदमाशों ने गोली चला दी और गोली आर्यन को लगी. इसके बाद उसने गाड़ी रोक दी. तब बदमाशों ने करीब आकर आर्यन को एक और गोली मार दी.
उठे सवाल तो उलझी पुलिस
इस घटना में बदमाशों पहली गोली चलती गाड़ी में चलाई थी और आर्यन को लगी और वह बुरी तरह से घायल हो गया था. अब सवाल यह है कि जब गाड़ी रूक गई और बदमाश गाड़ी के पास आ गए तो उन्होंने दोबारा आर्यन को ही गोली क्यों मारी. दूसरा सवाल यह कि गाड़ी में तो और भी लोग बैठे थे, लेकिन किसी अन्य को छोटी सी खरोंच भी क्यों नहीं आई. इसी के साथ एक और सवाल कि बदमाशों को गोली चलाने का अधिकार किसने और क्यों दे दिया. अभी फरीदाबाद पुलिस ने दावा किया है कि बदमाश गोरक्षा दल से नहीं है. ऐसे में चौथा सवाल यह भी है कि क्या गोरक्षा दल वालों को गोली मारने का अधिकार है? इन सवालों में खुद पुलिस भी उलझ गई है.
गोरक्षा दल के सदस्य नहीं हैं आरोपी
आर्यन के पिता ने भी इसी तरह के कुछ सवाल उठाए हैं. उन्होंने तो कहा कि वह परदेशी हैं और यहां कमाने खाने के लिए आए हैं. उनका तो किसी से झगड़ा भी नहीं. उधर, पुलिस ने इस मामले में पांचों आरोपियों को अरेस्ट किया है. इनकी पहचान फरीदाबाद के रहने वाले अनिल, किशन, वरुण आदेश और सौरभ के रूप में हुई है.फरीदाबाद के एसीपी क्राइम अमन यादव के मुताबिक आरोपियों के पास से वारदात में प्रयुक्त हथियार और गाड़ी बरामद कर ली गई है. पकड़े गए आरोपी गोरक्षा दल के सदस्य नहीं हैं.
क्या है गोरक्षा दल
वैसे तो हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में गोतस्करी के मामले लंबे समय से सामने आते रहे हैं. साल 2011 के आसपास इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा में गोरक्षा दल नामक संगठन बना. चूंकि इस संगठन को पुलिस का समर्थन भी थी, इसलिए इसमें तेजी से आपराधिक तत्व शामिल होते गए और गोरक्षा के नाम पर अपराध करने लगे. इस संगठन में शामिल लोग खुद को गो-रक्षा दल कमांडो बताते हैं. इन लोगों को आईकार्ड भी मिला हुआ है. इन्हें सूचनाएं वॉट्सऐप ग्रुपों के जरिए मिलती हैं. समय के साथ इस संगठन में हरियाणा के साथ राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी अपना विस्तार कर लिया है.
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