सेहत – मेडल से चूक गईं मीराबाई चानू, पीरियड्स में वजन उठाना कितना मुश्किल? गायनेकोलॉजिस्ट ने बताया
पेरिस खेलों में टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सैखोम मीराबाई चानू के लिए यह बेहद दुखद दिन रहा क्योंकि वह बुधवार को महिलाओं के 49 किलोग्राम भारोत्तोलन प्रतियोगिता में मेडल से बस एक कदम चूक गईं. चानू फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं. करोड़ों उम्मीदों को लेकर गईं चानू की इस हार के पीछे जो वजह सामने आई है वह पीरियड्स हैं क्योंकि फाइनल के बाद, मणिपुरी वेटलिफ्टर ने खुलासा किया कि उन्हें मंच पर कमजोरी महसूस हुई. उन्होंने बताया कि यह उनके मासिक धर्म का तीसरा दिन था.
पीरियड्स में कमजोरी और दर्द कोई नई बात नहीं है. अधिकांश लड़कियां इससे हर महीने जूझती हैं. वहीं एक फॉर्मेट में लंबे समय से फिजिकली जुड़ी हुई कुछ लड़कियों के लिए यह सामान्य भी हो सकता है.
पीरियड्स के टैबू पर महिलाओं से लेकर समाज के हर वर्ग को जागरुक कर रहीं सच्ची सहेली संगठन की फाउंडर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुरभि सिंह कहती हैं कि पीरियड्स एक निजी अनुभव है. इसे बाहर से कोई तय नहीं कर सकता. किसी के लिए पीरियड्स एकदम नॉर्मल होते हैं, किसी को ज्यादा दर्द या अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं.
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डॉ. सुरभि कहती हैं, लेकिन जो महिलाएं बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करती हैं और लंबे समय से कर रही होती हैं, उनके लिए पीरियड्स में भी शारीरिक एक्टिविटीज कर पाना थोड़ा आसान हो जाता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि एक बार आसान हो गया तो हमेशा ही पीरियड्स नॉर्मल होंगे और कोई दिक्कत नहीं होगी. कभी कभी हार्मोनल स्ट्रैस बहुत बड़ा फैक्टर बनकर उभरता है. इसकी वजह से पीरियड्स की तारीख बदल जाती है. पीरियड्स का साइकल और फ्लो चेंज हो जाता है.
डॉ. सिंह कहती हैं कि पीरियड्स को लेकर कोई एक नियम नहीं है. यह बहुत यूनीक और इंडिविजुअल आधारित होता है. अगर किसी को पीरियड्स डिस्कंफर्ट है तो यह उसकी पुरानी हिस्ट्री से पता चल सकता है.
पीरियड् में वेट उठाना कितना सही?
आमतौर पर भारतीय घरों में पीरियड्स के दौरान किसी भी तरह का वजन न उठाने के लिए बुजुर्ग महिलाएं सलाह देती हैं. वे कहती हैं कि इससे शरीर पर खराब असर पड़ता है, लेकिन मीराबाई चानू को ओलंपिक में वजन ही उठाना था. ऐसे में यह कितना सही है?
पीरियड्स में यूट्रस पर पड़ता है असर
इस पर डॉ. सुरभि बताती हैं कि पीरियड्स में यूट्रस में ब्लड का फ्लो बढ़ा हुआ होता है. जैसे खाना खाने के बाद पेट में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है तो खाना खाकर दौड़ने के लिए मना करते हैं, सेम चीज पीरियड्स में भी होती है. यहां यूट्रस ज्यादा एक्टिव होता है. ऐसे में वेट उठाने पर यूट्रस के साथ पेट की नर्व पर भी दवाब पड़ता है, जो कई बार दर्द का कारण बनता है.
स्ट्रैस भी बड़ा कारण
इसके अलावा स्ट्रैस भी बहुत बड़ा कारण है. स्ट्रैस किसी भी तरह का हो, फिर चाहे ओलंपिक में खेलने का हो या पीरियड्स का, उसका असर पड़ता ही है. वहीं जो लड़कियां 12-14 सालों से खेल या फिजिकल एक्टिविटीज की प्रैक्टिस कर रही होती हैं, उन्हें भी अंदाजा होता है कि अगर पीरियड्स आ गए तो इस परिस्थिति में वे फंस सकती हैं. या फिर वे अपनी प्रैक्टिस के बल पर उस हालात को झेल भी सकती हैं.
मीराबाई के मामले में भी संभव
डॉ. सुरभि कहती हैं कि पीरियड्स की ये दिक्कत मीराबाई के मामले में भी हो सकती है. क्योंकि जिस वक्त मीराबाई चानू पीरियड् के हार्मोनल बदलावों से गुजर रही हैं और ओलंपिक में पार्टिसिपेट कर रही हैं, इनकी बिल पॉवर मजबूत हो सकती है, स्टैमिना भी हो सकता है लेकिन उसी वक्त उनका मुकाबला बाकी देशों की उन प्रतियोगियों से है, जो इस समस्या में या तो नहीं हैं, या उनके लिए पीरियड्स नॉर्मल हों, या उनका स्टैमिना इस स्थिति में इनसे ज्यादा हो. ऐसा होना सामान्य है.
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FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 21:03 IST
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