सेहत – दुनिया की जनसंख्या 800 करोड़ से ज्यादा, लेकिन जीवाश्म लोग सिर्फ इतने, जानकर अनुमान, खिसकेगी जमीन!
विश्व का कितना प्रतिशत हिस्सा स्वस्थ है: आज के ज़माने में जिस शख्स को देखो, बीमार नज़र आता है। विशेषज्ञों में लोगों की लंबी कतारें लग गई हैं और डॉक्टरों का अपार्टमेंट मिलना मुश्किल हो रहा है। यह मुद्दा किसी एक देश का नहीं, बल्कि सभी देशों का है। अमीर हो या गरीब, एशिया हो या यूरोप, हर तरह की प्रतिभा का ख़ज़ाना देखने को मिल रहा है। जैसे-जैसे-वैसे-वैसे-वैसे-वैसे समुदाय भी बढ़ते जा रहे हैं। मृतकों की संख्या तो वर्तमान में दुनिया की जनसंख्या 800 करोड़ से अधिक है, लेकिन इनमें से 50 करोड़ भी लोग ऐसे नहीं हैं, जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इसे लेकर पुरानी किताबें भी बेहद महंगी हैं।
विज्ञान निर्देशन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 95% से ज्यादा लोग किसी न किसी स्वास्थ्य लाभ से सीख रहे हैं। करीब 33 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनमें 5 से ज्यादा लोग बीमार हैं. अधिकांश लोगों की संख्या 4.3% है। इस दावे से देखें तो बेहद कम लोग ही ऐसे हैं, जो बिल्कुल स्वस्थ हैं। साल 2013 में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के अनायास में यह बात सामने आई थी। यह रिपोर्ट लैंसेट में प्रकाशित हुई थी। हेल्थ मार्क्स की रेटिंग तो वर्तमान में हेल्थ मार्क्स के रेटिंग वाले लोगों के पास पहले से भी ज्यादा हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में कोविड ने करोड़ों लोगों की सेहत ख़राब कर दी है।
साल 1990 से 2013 के बीच में 188 देश के खिलाड़ियों से संबंधित 35620 फीचर का एनालिसिस किया गया था, जिसमें कई गर्लफ्रेंड्स वाली बातें सामने आई थीं। पता चला कि दुनिया में ज्यादातर लोग बीमार हैं. सबसे आम जर्नल्स लोअर पेन, डिप्रेशन, अस्थमा, गले में दर्द और उम्र से संबंधित हीरिंग लॉस था। मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर और मेंटल व सबस्टेंस अब्यूज डिसऑर्डर की वजह से करीब 50 फीसदी लोगों की सेहत खराब होने की बात भी सामने आई। 2013 में तीव्र गति से बढ़ने की आपदा की तलाश की गई थी, जो सही साबित हो रही है।
वर्क्स एटलस की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 10 सालों में दुनिया भर में 53 करोड़ से ज्यादा लोग मरीजों की बीमारी से ग्रसित हैं। इसके अलावा पल्मोनरी डिजीज और मधुमेह की बीमारी भी तेजी से बढ़ रही है। मानसिक स्वास्थ्य के रोगियों की संख्या में भी बेहताशा वृद्धि हो रही है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि तेजी से तेजी से मेडिकल साइंस की दवाएं काम कर रही हैं, बाकी जगहों पर तेजी से नई-नई बीमारियां सामने आ रही हैं और लोगों की सेहत खराब हो रही है। आज के हथियारों में सबसे बड़ी चुनौती है।
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पहले प्रकाशित : 14 सितंबर, 2024, 08:42 IST
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