सेहत – ‘कंगारू मदर्स केयर’ क्या है? किताबों के बाद क्यों ली मदद, डॉक्टर से जानें मां और नवजात के लिए कैसे खतरनाक

कंगारू मदर केयर: घर में किलकारी गूंजने की खुशी वैसे तो हर किसी को होती है, लेकिन एक मां के लिए ये क्षण बेहद महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि, एक मां ही होती है जो अपने बच्चे को 9 महीने तक गर्भ में पलती है। इस दौरान वह अपने लिए नहीं, बच्चे के लिए मूल्यांकन करती है। हमेशा ऐसे खाद्य पदार्थों का चयन करें जो बच्चे की सेहत के लिए ठीक हों। ऐसा करने से बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास सही से होता है। विद्वानों की राय तो गर्भावस्था की तरह बच्चे के जन्म के बाद भी किसी भी तरह की कठिनाई नहीं की जानी चाहिए। विशेष रूप से, अंडरवेट और प्रीमेच्योर खरीदारी होने पर। ऐसे में कई आकर्षक होने का खतरा बढ़ जाता है। इन अध्ययनों से बच्चों को बचाने के लिए ‘कंगारू मदर केयर’ की सहायक ली जाती है। अब सवाल है कि आखिर ‘कंगारू मदर्स केयर’ क्या है? माँ और नवजात शिशु के लिए कैसे बढ़िया? इस बारे में न्यूज़18 को बताएं एवं रही हैं सरकारी मेडिकल कॉलेज कैनेडियन इंस्टीट्यूट बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियांक आर्य-

डॉ. प्रियांक आर्य का कहना है कि, अंडरवेट और प्राइमेच्योर की दुकान में मां के स्तनों में दूध नहीं बनता है। दूध के सही सेवन से बच्चे की सेहत भी ठीक नहीं रहती है। क्योंकि, नवजात शिशु के लिए मां का दूध बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसी स्थिति में नवजात को ‘कंगारू मदर केयर’ की सहायिका ली जाती है। इसे आम भाषा में केएमसी भी कहा जाता है।

‘कंगारू मदर केयर’ क्या है?

‘कंगारू केयर’ पद्धति एक ऑनलाइन शॉपिंग है। मादा कंगारू की तरह इसमें बच्चे को छाती से लगाकर रखा जाता है। चिकित्सा पद्धति में इसे त्वचा-टू-स्किन कांटैक्ट कहा जाता है। माँ के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क होने से नवजात के शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद मिलती है। असल में, नर्मल फ़्रॉम की तुलना में प्राइमच्योर फ़्राई के बच्चे फ़्राई होते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी इम्यूनिटी भी ख़राब होने के साथ-साथ वज़न भी कम होता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह में ‘कंगारू मदर केयर’ की मदद ली जाती है।

माँ-बच्चे को ‘कंगारू मदर्स केयर’ के फायदे?

डॉ. प्रियांक के मुताबिक, ‘कंगारू मदर केयर’ की सेवा लगभग सभी शहरों में उपलब्ध है। इस विधि से मां को लंबे समय तक बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है। इससे बच्चा पैदा करना भी सीखता है। इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ठीक से विकास होता है। साथ ही विभिन्न प्रकार की मजबूरी और संक्रमण से बच्चा सुरक्षित रहता है। वहीं, मां को आत्म तृप्ति अर्थात मानसिक सुख मिलता है।

‘कंगारू मदर्स केयर’ कितने समय से चली आ रही है

विद्वानों की राय तो ‘कंगारू मदर केयर’ के प्राइमेच्योर अध्ययन के बाद जितनी जल्दी हो सके शुरू होनी चाहिए। इसे रोजाना डॉक्टर की सलाह पर 8 घंटे या उससे अधिक समय के लिए भी पढ़ा जा सकता है। इस दौरान ध्यान रहे कि मां अपने बच्चे को बीच-बीच में रोके रहे कि बच्चे की नाक न दबे।

ये भी पढ़ें: शिशु की देखभाल: बारिश के साथ फिजा में घनी ठंड, नवजात शिशु की ऐसे करें देखभाल, ठंड में पड़ सकती है भारी ठंड

ये भी पढ़ें:बचपन में ही बच्चों को खिलाना शुरू कर दिया ये चीजें, शेयरों में बिकीं जान, ओवरऑल बिक्री में भी तेजी से आएगी तेजी


Source link

Back to top button