सेहत – युवा पुरुष कृपा ध्यान देना, पेशाब में जलन को मामूली न देना, प्रोस्टेटाइटिस से हो सकता है चिंता, झोलाछाप डॉक्टर बढ़ी मुश्किल

प्रोस्टेटाइटिस क्या है: महिलाओं की सेहत को लेकर विशेष विचारधारा से लेकर सरकार तक की उम्मीदें रहती हैं लेकिन पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए पुरुषों की कई निजी जरूरतों छोटी सी परेशानी से बीमारी में लक्षण हो जाता है.प्रोस्टेट की समस्या भी इसी तरह की है. प्रोस्टेट सिर्फ पुरुषों में होता है। यह पादप ग्रंथ है जो कि मूंगफली की दुकान के नीचे की तरह होता है। प्रोस्टेट ग्रंथि से फ़्लूड नाज़ुक होता है जिसमें कई तरह के एंजाइम, डायग्नोस्टिक और साइट्रिक एसिड होते हैं। ये सब स्पर्म के साथ मिलकर सीमेन बन जाता है। अगर कुछ परेशानी होती है तो बार-बार युवा पुरुष शर्म के कारण इसे डॉक्टर से नहीं दिखाते हैं। इससे मुश्किल हो सकती है. न्यूज 18 ने इसी विषय पर सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली में यूरोलॉजी विभाग के गरीबों के बारे में बताया डॉ. अमरेन्द्र पाठक से बात की. युवा युग

क्या होता है प्रोस्टाइटिस
डॉ. अमरेन्द्र पाठक उन्होंने बताया कि युवा पुरुषों में आमतौर पर पेशाब में जलन से संबंधित समस्याएं होती हैं। यह भी प्रोस्टेट की समस्या है। हमारे पास 30 से 35 साल के युवा इसी तरह की समस्याएं लेकर आते हैं। इस उम्र में आमतौर पर प्रोस्टाइटिस की बीमारी होती है। यह एक तरह का संक्रमण होता है।इसे प्रोस्टेटाइटिस (प्रोस्टेटाइटिस) कहा जाता है। 35 से 40 वाले युवा मेनहम को बहुत परेशानी होती है हमेशा एक ही पर ध्यान देते हैं. प्रोस्टेटाइटिस के लिए मुख्य रूप से इंटेक्शन इन्फेक्शन जिम्मेदार है।

चार तरह के रोबोटिक रोग
प्रोस्टेटाइटिस चार तरह की होती हैं। एक यूट साइंटिस्ट प्रोस्टाइटिस में तेजी से और गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। दूसरा टीका प्रोस्टाइटिस-इसमें कुछ दिनों का संक्रमण है लेकिन लक्षण बहुत गंभीर नहीं है। तीसरा है क्रोनिक प्रोस्टाइटिस-इसमें भी रुक-रुक कर कुछ-कुछ समय के बाद पेट के ठीक नीचे और पेशाब के रास्ते में दर्द होता है। चौथा है एसिम्प्टोमैटिक इन्फ्लामेट्री प्रोस्टाइटिस-इसमें प्रोस्टेट में सूजन लग जाती है। डॉ. अमरेन्द्र पाठक बताया गया कि ये सभी इंफेक्शन लगभग एक ही प्रकृति से संबंधित हैं, लेकिन जांच के बाद पता चला कि किस तरह से प्रोस्टेट ग्रंथि में इंफेक्शन हुआ है या कुछ अन्य कारणों से ऐसा हो रहा है। यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड या स्कैन स्कैन के बाद यदि कुछ अन्य समस्या नहीं है तो इसे कुछ नमूना छवियों से ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि रोगी झोला छाप वकील के पास जाता है तो गलत नामांकन डिसमिसल जारी किया जाता है। इसका और इससे जुड़ा इलाज़ किडनी और लीवर भी ख़राब हो सकता है।

प्रोस्टेटाइटिस के संकेत
डॉ. अमरेन्द्र पाठक ने बताया कि प्रोस्टाइटिस में मुख्य रूप से पेशाब से जलन या पेशाब से जलन होती है। इसके अलावा जब आप पेशाब करते हैं तो उस समय तेज संवेदना उत्पन्न हो जाती है जिससे पेशाब पास करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा बार-बार पेशाब आना, बहुत तेज पेशाब आना, पेशाब का रंग भूरा होना, कभी-कभी पेशाब में खून आना, पेट या पेट के छोटे हिस्सों में जलन होना, टेस्टिस के नीचे दर्द होना, टेस्टिस और कभी-कभी लिंग में दर्द होना या एहसाज़ होना, मूत्राशय में अंतिम समय में दर्द होना, कबी बुखार, ठंड, मांसपेशियों में दर्द या फ्लू जैसे लक्षण कभी-कभी होते हैं। अगर इस तरह के लक्षण हों तो ऐसे पुरुषों को यूरोलॉजिस्ट से दिखाना चाहिए।

प्रोस्टेटाइटिस के कारण
डॉ. अमरेन्द्र पाठक ने बताया कि ज्यादातर प्रोस्टाइटिस के लिए बुके ही जिम्मेदार होते हैं। कुछ मामलों में अन्य कारण जिम्मेदार होते हैं।

किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
प्रोस्टेटाइटिस का खतरा 35 से 45 साल के आयु वर्ग के पुरुषों में अधिक होता है। जिन लोगों में पहले से प्रोस्टेटाइटिस होता है या संयुक्त उपयोग में संक्रमण रहता है, उन लोगों को इसका खतरा रहता है। जो पुरुष सेक्स कारों के साथ संबंध बनाते हैं, उन्हें भी खतरा रहता है। अज़ाब एड्स वाले को भी खतरा रहता है। इन सबके अलावा अगर आपको बहुत ज्यादा तनाव या पेट के नीचे नर्व डैमेज हो गया है तो उसे भी खतरा रहता है।

क्या है इलाज
डॉ. अमरेंद्र पाठक ने बताया कि सबसे पहले हमें यह पता चला कि पेशाब में जलन क्यों होती है। सामान्यतः इसका कारण संक्रमण ही होता है। अगर कुछ और मूर्तियां हैं तो इस जांच से पता चल जाता है। यदि केवल संक्रमण है और कोई अन्य बीमारी नहीं है तो हम रोगी को विश्वास दिलाते हैं कि यह कोई बड़ी बीमारी नहीं है। कुछ सामान्य एंटी-इंफ्लेमेशन और एंटीबायोटिक की दवा से यह ठीक हो जाता है। इसके अलावा हमलोग सिट्ज़ बाथ (गुनगुने पानी के ऊपर प्रोस्टेट की सिंकाई) की सलाह देते हैं। कई बार निवेशक का ध्यान सिर्फ एक ही पर रहता है, इससे यह ठीक नहीं होता बल्कि होता है। इसलिए हम उन्हें रीएश्योर करते हैं। इसमें कई बार शरीर के अन्य मानदंडों पर ध्यान देने से यह बीमारी आपके लिए ठीक हो जाती है।

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