सेहत – इतना खतरनाक वायरस जो 100 में से 90 की ले ले गया है जान, रंडा में 6 की मौत का नया दौर शुरू
खतरनाक वायरस मारबर्ग: क्या आप विश्वास के साथ कह सकते हैं कि कोरोना का दौर ख़त्म हो गया है? नहीं. सिर्फ एक महीने पहले बात करें तो यूरोप और अमेरिका में कोरोना के मामले कई गुना बढ़ गए थे। मुश्किल तो ये है कि जब से कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ तब से एक पर एक नए वायरस ने भी तहलका मचाना शुरू कर दिया है. कभी इबोला तो कभी मैन्कीपॉक्स तो अब मारबर्ग। चिंता की बात यह है कि मार्बर्ग नामक डेंजर वायरस में 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। रवांडा में इस बीमारी का नया दौर शुरू हो गया, जिसकी वजह से अब तक 6 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस के संक्रमण से तेज़ बुखार आता है और तेज़ खून बहना शुरू हो जाता है।
बीबीसी के अनुसार रंडा के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है कि 20 लोग अब तक इस बीमारी से पीड़ित हैं और कम से कम 200 लोगों के युवा लोगों के संपर्क में आने का अंदेशा है। कॉन्टैक्ट में न आयें और न ही बीमारी पर लोगों की मदद करें। यह वायरस एक ही कुल का है जिस कुल का इबोला है।
मारबर्ग वायरस क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन मारबर्ग का कहना है कि रैपिड से पॉजिटिव करने वाला वायरस है जिसमें बुखार और ब्लीडिंग के साथ ही इंसान की मौत भी हो सकती है। जब किसी व्यक्ति में यह वायरस संक्रमित होता है तो उसके संपर्क में आने वाले दूसरे व्यक्ति भी आ सकते हैं। इसमें किसी भी तरह के संपर्क में किसी भी तरह के फ्लूड या कटे हुए त्वचा, रक्त, आदि के संपर्क में दूसरे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को फ्लूड या ब्लड कहीं भी गिरता है और फिर उसे कोई संक्रमण होता है तो उसे भी यह बीमारी हो सकती है।
कहाँ से आई ये बीमारी
1961 में सबसे पहले मारबर्ग का मरीज जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में मिला था। करीब-करीब इसी समय मारबर्ग का मरीज बेलग्रेड और सर्बिया में भी मिला था। अफ्रीकन ग्रीन मंकी के लिए अफ्रीकन ग्रीन मंकी को लाया गया था। वहीं लेबो रेस्तरां से भी ऐसा ही बंदर से यह वायरस फैलाया गया। इसके बाद यह अफ्रीका के कई देशों में फैल गया। इसके बाद यह था लेकिन 2008 में फिर से एक विशेषज्ञ की यात्रा पर गया। 2012 में मारबर्ग बीमारी के कारण युगांडा में 15 लोगों की, अंगोला में 227 लोगों की और कांगो में 128 लोगों की मौत हो गई।
इस बीमारी के लक्षण
क्लीवलैंड के अनुसार जब मारबर्ग वायरस किसी को प्रभावित करता है तो पहले चरण तक पहुंचने में पांच से 7 दिन का समय लगता है। इसमें तेज बुखार और ठंड लगती है। इसके साथ ही सिर में तेज दर्द, कफ, मांसपेशियों में दर्द, ज्वाइंट पेन, गले में खराश और त्वचा पर दाने आ जाते हैं। एक या दो दिन के बाद ऐसा लगता है कि ये सभी लक्षण कम हो गए हैं लेकिन जल्द ही दूसरा चरण शुरू हो जाता है और छाती और पेट में बहुत दर्द होने लगता है। डायरिया लग जाता है और उल्टी हो जाती है। अचानक प्रतीत होता है. स्टॉल से खून आने लगता है. इसके बाद नाक, मुंह, ओवे और वैजाइना से खून लगता है। अगर तत्काल मेडिकल एप्लायंसेज नहीं हुआ तो मरीज की मौत हो जाती है।
मारबर्ग की कोई दवा क्या है?
मारबर्ग की कोई दवा या वैक्सीन नहीं है लेकिन खून की रोकथाम के लिए कई तरह के वर्गीकरण दिए गए हैं, इसके साथ ही इम्यून थेरेपी से भी इसे ठीक किया जाता है। दर्द की दवा भी दी जाती है. जहां मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होती है. हालाँकि इन सबके बावजूद इस बीमारी में मृत्यु का प्रतिशत 88 है। जो लोग इस बीमारी से ठीक भी हो जाते हैं, उन्हें लंबे समय तक कई तरह की समस्याएं बनी रहती हैं। लॉस में मसल्स में दर्द और बाल इसके बाद में होने वाले प्रमुख लक्षण हैं।
इससे कैसे बचा जा सकता है
जो लोग दिवालियापन की सेवा में लगे हुए हैं या जो लोग खनन में काम करते हैं वे वहां से चमगादड़ के माध्यम से वायरस मनुष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। जहां आप प्रोपर तरीके से मास्क, गोगलज, एपरन, ग्लव्स आदि घरेलू स्थानों पर काम करते हैं। यदि कहीं भी संक्रमण होता है तो इसके तुरंत बाद कंडोम का उपयोग अवश्य करें। वहीं अगर कोई इस संक्रमण से बच जाता है तो ठीक होने के बाद उसका वीर्य में कई दिनों तक वायरस जिंदा रहता है। इसलिए यौन संबंध बनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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पहले प्रकाशित : 30 सितंबर, 2024, 11:28 IST
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