सेहत – गर्भ में पल रहे बच्चों को हो रहा है मोतियाबिंद, विशेषज्ञ ने दी इलाज से जुड़ी अहम जानकारी

रिपोर्ट- हरिकांत शर्मा

आगरा: बच्चों में आज की तारीख में ऐसी-ऐसी भावनाएं हो रही हैं कि लोग चिंता में पड़ जाते हैं। जन्मे हुए बच्चों को टीबी हो जा रही है। गर्भ में ही पल रहे बच्चे को गंभीर बीमारियाँ हो जा रही हैं। हालाँकि, टेक्नोलॉजी और डॉक्टर के समूह को प्रशिक्षित करने और उनके उपचार को आसान बनाने में लगे हुए हैं। इन विषयों के बारे में डॉक्टर लोग एक दूसरे की समझ बढ़ाने और ज्ञान प्रसार के लिए दीक्षांत समारोह का भी आयोजन करते हैं। ऐसा ही एक प्रतिष्ठान आगरा ओफ्थाल्मस्टिशियन असोसिएशन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मोतियाबिंद के इलाज के नवीनतम अध्ययन पर गहन चर्चा की गई है। देश के जाने-माने उत्सव रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेन्द्र भसीन ने मोतियाबिंद के टॉक उपचार और नई तकनीक पर विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि अब गर्भावस्था में ही कुछ बच्चों में मोतियाबिंद के लक्षण पाए जा रहे हैं, जिनका समय रहते इलाज किया जा सकता है। डॉ. भसीन ने बताया कि यदि माता-पिता को जल्द से जल्द पहचान कर डॉक्टर से सलाह लें तो बच्चों को प्रारंभिक अवस्था में ही मोतियाबिंद का इलाज कराया जा सकता है। उन्होंने इस दिशा में जागरूकता जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया।

ब्लेड-फ्री लेसिक तकनीक से बेहतर दृष्टि
आधुनिक उपचार से एक, ब्लेड-फ्री लेसिक तकनीक को लेकर भी दीक्षा में चर्चा की गई। डॉ. भसीन ने बताया कि इस तकनीक की मदद से बिना चश्मे के बेहतर नजरिया प्राप्त करना अब संभव है और यह विधि मोतियाबिंद के इलाज में भी इलाज संभव हो रही है।

जागरूकता एवं नये प्रौद्योगिकी की आवश्यकता
एसएन मेडिकल कॉलेज के उत्सव रोग विभाग के प्रमुख डॉ. शेफाली मजूमदार ने कहा, ”मोतियाबिंद के कई प्रकार होते हैं और इसे आजकल बच्चों में भी कम उम्र में देखना मिल रहा है।” इसके उपचार के साथ-साथ जागरूकता फैलाना भी आवश्यक है। इसी उद्देश्य से इस संस्थान में विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है ताकि हमारे जूनियर डॉक्टर भी नए तकनीशियनों से प्रशिक्षित हो सकें।

संस्था में आगरा के लगभग 100 से अधिक आशिकों ने भाग लिया मोतियाबिंद के आधुनिक और उन्नत उपचारों पर चर्चा की। इस समारोह से नेत्र चिकित्सा समुदाय को नई तकनीक और उपचारों के बारे में जानने का अवसर मिला।


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