सेहत – व्रत में कब और कितनी बार खाना चाहिए, एक बार फलाहार करने से घटता है वजन? अंतःविषय से जानें
नवरात्रि व्रत में कब खाएं: ब्रहस्पतिवार यानि 3 अक्टूबर से नववर्ष शुरू हो रहे हैं। ऐसे में कुछ लोग देवी मां का व्रत रखने के लिए पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं तो कुछ लोग सिर्फ नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं। हालाँकि व्रत के दौरान फलाहार और संविधान को लेकर बहुत सी अलग-अलग बातें होती हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन में तीन बार फलाहार या व्रत का भोजन लेते हैं, जबकि कुछ लोग दिन में सिर्फ एक बार तो कुछ लोग दिन में दो-तीन बार फलाहार या व्रत का भोजन लेते हैं। जबकि कुछ लोग व्रत रखते हैं तो उनका वजन कम हो जाता है, ऐसे में खाना-पीना बिल्कुल कम हो जाता है।
हालाँकि विद्वानों की सलाह तो व्रत सिर्फ धार्मिक भाव के लिए नहीं होता है बल्कि उनकी सेहत पर गहरा असर पड़ता है, ऐसे में शिक्षा में आरक्षण को लेकर सही तरीके अपनाना बेहद जरूरी है। ताकि व्रत का सही परिणाम मन और शरीर दोनों को गुप्त रूप में मिल सके।
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तो आइये इन नवरात्रों में व्रत रखने से पहले डायटीशियन से जान लें व्रत के दौरान आहार और फलाहार का सही तरीका क्या है? वास्तव में व्रत रखने से वजन कैसे घटता है? क्रमिक व्रत का मतलब क्या होता है?
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डायटीशियन मनीषा वर्मा का कहना है कि व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है, शरीर से विषाणु पदार्थ यानी टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं। मन भी शांत होता है और शरीर के अंगों को भी राहत मिलती है। हालाँकि यह सूची अत्यंत आवश्यक है कि एक दिन भर या पूरे नौ दिन तक भाई-बहन व्रत रखने के बजाय कुछ माँग या फलाहार लेकर ही व्रत रखना चाहिए।
मनीषा का कहना है कि शरीर को प्रतिदिन ही पोषण की आवश्यकता होती है, यदि आप लंबे समय तक कुछ नहीं खाते हैं तो शरीर में पहले से मौजूद ऊर्जा या पोषण की आवश्यकता होती है। हालाँकि ऐसा बहुत छोटी अवधि के लिए हो सकता है। ऐसे में व्रत के दिन फल, मेवा और निकोलस निवास के लिए पेय पदार्थ अवश्य लेना चाहिए।
स्वास्थ्य के दावे से सबसे अच्छी बात यह है कि आप थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार कुछ भी कायम रख सकते हैं। यह कम से कम तीन बार भी हो सकता है. अगर आप सिर्फ दो बार ही फलाहार कर रहे हैं तो बीच-बीच में उत्पाद, छाछ या कोई पेय पदार्थ पदार्थ अवश्य लें। खूब पानी पीएं. वहीं कुछ मेवे जैसे काजू, बादाम, मूंगफली या मूंगफली भी बीच-बीच में खा सकते हैं।
सिर्फ शाम को खाते हैं भरपेट तो…
मनीषा का कहना है कि जो लोग पूरे दिन व्रत और शाम को एक साथ बहुत मात्रा में खाना खाते हैं, वह सबसे खराब है। अगर आपका भी ऐसा ही एक संकेत है तो बताएं कि आप सुबह से ही शादी कर रहे हैं तो भी व्रत पूरे पर कम मात्रा में ही भोजन या फलाहार करें। बहुत सारे आलू, फ्राइड या मिठाइयाँ खाने वालों को परेशानी हो सकती है।
कोशिश करें कि व्रत पूरा होने पर बिल्कुल सादा आहार लें। दही, खेड़ा, सेब, कम घी में बने आलू, साबूदाना की खीर या ब्रेड, सावन के चावल की खीर या ब्रेड, कुट्टू के आटे की रोटियां, लोकी की बनी कोई सादा मिठाई या कालीमिर्च और सेंधे नमक में बनी हल्दी फ्राई की हुई लोकी आदि खा सकते हैं. हमेशा व्रत में लोहे और ठोस का 50-50 का अनुपात रखें। साथ ही कोशिश करें कि एक चीज फ्राइड खा रहे हैं तो बाकी सभी चीजें अच्छी होनी चाहिए।
पंजीकृत सरकारी आवास से घटता है वजन
डायटिशियन कहते हैं कि जो लोग समुद्र तट पर स्थित होते हैं, शाम को ताल-भुना और मात्रा में होते हैं, उनका वजन घटने के बजाय बढ़ जाता है। यदि आप दिन में कई बार छोटी-छोटी बातें करते हैं तो उसे पचाने में भी ऊर्जा का आकार होता है और वह अधिक नहीं होती। जबकि रात में होने वाले अवशेष सो जाने से लीवर को पचाने में भी डायरैक्ट होता है और फाख्ता जम लगता है।
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पहले प्रकाशित : 2 अक्टूबर, 2024, 20:26 IST
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