सेहत – कलाई से कटकर अलग गिरा हाथ, खुद ही लेकर आए अस्पताल पहुंच, फिर जो हुआ….
कहते हैं कि डॉक्टर तो भगवान हैं जो मरते थे को जिंदा कर देते हैं लेकिन कई बार मौत के मुंह में समाए कलाकार की हिम्मत भी जिंदगी तक ले आती है। ऐसा ही एक मामला अराम सीरियल अशासकीय अस्पताल में सामने आया है। जब डॉ. डॉ. और फ़्रैट्टर दोनों ने मिलकर एक ऐसी करिश्मा माँ का प्रदर्शन किया जो आज भी सुन रही है कि वह आश्रम की ओर बढ़ रही है।
28 सितंबर को अचानक हरियाणा के बहादुरगढ़ में 24 साल के एक मजदूर की वुडकटर मशीन की चपेट में आ गया, जिससे उसके हाथ की कलाई से कटकर बिल्कुल अलग हो गया। कंधे से लेकर उसका हाथ उस समय लटक गया जब वह पथरीली जगह के पास ही पड़ा हुआ था। यह हादसा होने पर वहां मौजूद अविश्वासियों की समझ में ही नहीं आया कि आखिरकार वह मरीज का इलाज करने के लिए ब्रेवगढ़ के आश्रम लेकर चला गया, लेकिन पूरी तरह से अलग हुआ दंत चिकित्सक वहां से बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। तब वह हाथ में हाथ डालकर अपने कटे हुए हाथ को लेकर दस्तावेज़ के आर प्रोटोटाइप इनलेट की पहुंच में ले जाता है।
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क्यूट हैंड के सक्सेस रीइन प्लैंट करने वाली डॉक्टर्स की टीम।
आर अलॉटमेंट में आए मरीज की हालत देखकर उसे तत्काल प्लाया स्टिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया गया। जहां प्रोफेसर डाॅ. मुकेश शर्मा के नेत्री सिद्धांत में बनी डॉक्टर्स की टीम ने शख़्स जोड़ के हिमायत से अपनी कटी पथरी को 9 घंटे तक चली सर्जरी के बाद जोड़ दिया। क्लिनिक में सर्जरी के लिए एनेस्थीसिया विभाग के अलावा, आर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टर, सर्जन और प्लायास्टिक सर्जरी विभाग से एक प्लास्टर पार्ट लगे। जिन धोंने तत्काल माइक्रोवैस्कुलर तकनीक के साथ जोड़ों के नीचे की हड्डियों और टेंडन को ठीक करके धमनियों, नसों और तंत्रिकाओं को जोड़ों की मांसपेशियों को फिर से प्रत्यारोपित कर दिया गया।
सर्जरी के बाद मरीज़ को 3 दिन तक ऑस्टिन स्टूडियो में रखा गया। हालाँकि मरीज़ की हालत ठीक होने पर उसे छुट्टी दे दी गई। एक मरीज़ अपना हाथ हिला सकता है।
इस दौरान प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. समीक भट्टाचार्य ने बताया कि मरीज को छह घंटे तक अंग काटने के बाद अस्पताल ले जाया गया था, ऐसे में पथरी का सफल इलाज हो सका। अगर कभी भी ऐसी कोई घटना किसी के साथ हो जाए तो हमेशा याद रखें कि कटे हुए अंग को पानी से धोकर या आयुर्वेदिक टेरियल सॉल्यूशन से साफ कर, पॉलिथीन में स्टूडियो अ क्लिनिकल ले लीजिए। ऐसा होने से उस अंग को वापस लेने की संभावना बहुत अधिक होती है।
बताएं कि डॉ. एनेस्थीसिया टीम से नमिता अरोरा, डॉ. शुभि, सर्जरी टीम से डॉ. सोनिका, डॉ. सुकृति, डॉ. धवल, ऑउटपेडिओ रिपॉजिटरी से डॉ. वि खरीदारीनिेश और डॉ. मंजेश सहित विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने सर्जरी को अंजाम दिया।
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पहले प्रकाशित : 4 अक्टूबर, 2024, 16:38 IST
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