सेहत – विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: मानसिक स्वास्थ्य कैसे हो सकता है खराब, गम सताए तो जरूर बताएं
एक कहावत है- ‘जान है तो जहान है’. अच्छा लाइफस्टाइल अच्छी सेहत की निशानी है। स्वस्थ तन-मन ही होता है असली धन. स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए रोज-रोज के नियम बनाए रखते हैं और अच्छे लोग शामिल होते हैं लेकिन जब भी मानसिक स्वास्थ्य की बात आती है, तो उसे अपना मानना कर देते हैं। जबकि मानसिक स्वास्थ्य ही शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बना हुआ है। आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है. हर उम्र के व्यक्ति को तनाव होता है जो उसके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। मेंटल हेल्थ प्रोडक्ट्स होते हैं तो शरीर के बाकी हिस्से प्रभावित होते हैं और इसके परिणाम बहुत भयानक हो सकते हैं।
हर स्ट्रेस एक जैसा
रीवायर, रीवर्क और रीक्लेम: दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हाउ टू फैक्ट्रियां स्ट्रेज़ के लेखक मनोचिकित्सक डॉ.राजीव मेहता कहते हैं कि बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों का स्ट्रेस एक तरह का होता है लेकिन स्ट्रैसर अलग होता है। स्ट्रेस होता है कारण और स्ट्रेस होता है परिणाम। ऐसा माना जाता है कि यह एक ही बीमारी है, लेकिन इसका कारण अलग-अलग है। बच्चों में तनाव का कारण पढ़ाई हो सकती है तो बच्चों में तनाव का कारण खराब स्वास्थ्य, आर्थिक तंगी या नौकरी हो सकता है। यानी स्ट्रेसर अलग-अलग हैं।
3 तरह के होते हैं स्ट्रेसर
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन स्ट्रेसर के मुख्य 3 कारण होते हैं-वर्क स्ट्रासर, फाइनेंशियल स्ट्रैसर और इमोशनल स्ट्रैसर। वर्कशॉप स्ट्रेसर में काम के लंबे घंटे, वर्कशॉप स्ट्रेसर और खडूस बॉस शामिल होते हैं। स्ट्रेसर में क्रेडिट कार्ड के बिल, हद से ज्यादा लोन, घर का बिजनेस, महीने का खर्चा के लिए पैसा नहीं होता है। इमोशनल स्ट्रेसर में धोखा, माता-पिता का प्यार ना रिटर्न, राजभवन से लड़ाई, तलाक, परिवार का समर्थन ना मिलना जैसे कारण हो सकते हैं।
भारत में हर साल 2.6 लाख लोग खराब मानसिक स्वास्थ्य की वजह से अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं (इमेज-कैनवा)
9 में से 1 व्यक्ति को मानसिक बीमारी
दुनिया में 9 में से 1 आदमी मानसिक बीमारी से पीड़ित है। मेंटल हेल्थ फाउंडेशन के अनुसार 5 से 16 वर्ष की आयु के 10% बच्चों में बालिका निदान के बाद मानसिक स्वास्थ्य खराब हो गया। 70% बच्चों की ना जांच हो सकती है और ना इलाज हो सकता है। 50% मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं 14 साल की उम्र तक और 75% खराब 24 साल की उम्र में स्थापित हो जाती हैं। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन 73% अमेरिकियों के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य तनाव से खराब होता है, जिससे उन्हें सिरदर्द, थकान और तनाव में तनाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। स्ट्रेस एक साइलेंट किलर है।
शरीर के कार्यों पर पड़ता है असर
हमारा शरीर दिमाग से चल रहा है। जब व्यक्तिगत स्ट्रेस निकलता है तो शरीर में कॉर्टिसोल, एड्रेनालाईन या एपिनेफ्रीन नाम के स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होते हैं। इन हॉर्मोन्स से हृदय का घनत्व कम हो जाता है, रक्त की मात्रा कम हो जाती है और रक्त शर्करा बढ़ जाता है। यह साइकोलॉजिकल बदलाव शरीर को उस स्थिति से शुरू करने के लिए ऊर्जा देते हैं। जिसे फाइट और फ्लाइट रिस्पॉन्स कहते हैं। जब शरीर में ये हार्मोन स्थिर रूप से निर्मित होते हैं तो क्रोनिक स्ट्रेस होता है जो 6 महीने से 1 साल के बाद दिल की बीमारी, सीरियस, मोटापा, अनिद्रा, मूड सागर, एंजाइटी जैसी बीमारी के रूप में उभरता है। स्ट्रेस रोगज़नक़ की क्षमता कम हो जाती है।
स्ट्रेस को पहचानें
डॉ. राजीव मेहता कहते हैं कि स्ट्रेस से अवसाद और अंगजायति आम है। ऐसा होने पर व्यक्ति का मन उदास रहता है, वह और चिड़चिड़ापन रहता है। उसके किसी काम में नौकरी नहीं होगी और ना ही वह फोकस करेगा। ऐसा इंसान शांत हो जाएगा या गुस्सा हो जाएगा। उसे नींद कम आएगी, भूख कम लगेगी, सेक्सुअल डिजायर कम हो जाएगा, वह नीड़ को भूल जाएगा, उसका कॉन्फिडेंस कम होगा, उसे गिल्ट फील होगा और निराशाजनक विचार आएगा। अगर ऐसे लोगों का समय रहते मनोचिकित्सक से इलाज ना हो जाए तो ऐसे लोग आत्महत्या कर लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि जिंदगी में कुछ नहीं बचता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल 720000 लोग खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण स्यूसाइड कर लेते हैं।
मेंटल हेल्थ लाइफ़ के 10 से 20 साल कम कर देता है (छवि-कैनवा)
महिलाओं में स्ट्रेस का स्तर सबसे अधिक है
ब्रिटेन की स्वास्थ्य एवं ऑटोमोबाइल एक्यूक्विटा वेबसाइट के सर्वे में सामने आया कि महिलाओं का स्ट्रेस लेवल पुरुषों का ग्रुप 50% ज्यादा है। इस तनाव का कारण है वर्कशॉप गोदाम. 35 से 54 साल की महिलाओं को समाज में सबसे ज्यादा जज करते हैं और महिलाओं को अच्छी पत्नी, अच्छी मां, अच्छी बहू और अच्छी गृहिणी होने की मान्यता दी जाती है। इस कारण से अध्ययन में सामने आया कि महिला-पुरूषों के समूह में अधिकतर एंजाइटी का शिकार होते हैं। वहीं, अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन साइकेट्री एंड न्यूरोसाइंसेज के जनरल ऑफ साइकेट्री के अध्ययन में कहा गया है कि पुरुषों के शरीर में बड़े पैमाने पर अवसाद का शिकार होते हैं और इसके पीछे उनके हार्मोन भी होते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें
डॉ. राजीव मेहता कहते हैं कि ज्यादातर लोगों में स्ट्रेस का कारण संविधान है लेकिन उनका इलाज संविधान नहीं है। लोगों की सोच है कि पढ़ाई ठीक हो जाएगी तो आपकी नौकरी ठीक हो जाएगी, वर्कशॉप है तो नौकरी पर सब ठीक हो जाएंगे। लेकिन हार्ट अटैक से होने वाली बीमारी से आप ठीक नहीं होते, समय रहते मनोचिकित्सक से इलाज जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य मापन के लिए प्रतिदिन व्यायाम, योग, चिकित्सा उद्योग, अच्छा खाना और पूरी नींद लेना आवश्यक है। इसके अलावा डिजिटल दुनिया से दूर रहें, शराब का सेवन ना करें, परिवार और दोस्तों से मिलें, अपने मन की बात शेयर करें, जो चीज गलत है, उस पर फ्रैंक बात करें और फिर भी अकेलेपन, अवसाद या एंजाइटी के लक्षण देखें तो इलाज करें दे.
पहले प्रकाशित : 10 अक्टूबर, 2024, 14:23 IST
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