सेहत – अगर मोटापा और आंखों के किनारे मोटे हैं तो इसे ड्राईनेस, थैथिंग की भूल ना करें, यह बीमारी हो सकती है

भूकंप के मौसम ने दस्तक दे दी है। सुबह-शाम की गुलाबी ठंड त्वचा को रूखा और बेजान बना रही है। बार-बार मॉइश्चराइजर स्थापना के बाद भी नाली नहीं बनती। इस सीज़न में कुछ लोगों के कंकाल और आंखों के किनारे के शेयर दिखते हैं और पपड़ी जैसे कंकाल के स्टॉक दिखते हैं। कई बार यह नालियां होती हैं तो कई बार इसका संक्रमण भी हो सकता है।

मूँगफली फटना और किनारा फटना अलग-अलग चीज़?
मूसली सर्द हवा से मोटे हो सकते हैं लेकिन अगर डायनासोर के कोने भी मोटे हो रहे हैं तो यह शरीर में विटामिन बी 12, गिनगिन, प्रोटीन या आयरन की कमी को दर्शाता है। इसके अलावा जिन लोगों से बातचीत होती है, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।

बिज़नेस के कोने पर लगा रहता है लार
संझा डॉ. आशिता शर्मा ऐसा कहा जाता है कि कई बार कॉनर्स ड्र्यूरी के कोना में लार एकत्रित हो जाती है, जिससे कॉनर्स ड्र्यूरी इरेक्युअन निकलते हैं। इसमें कई बार फंगस और बैचलर मैथ्यू शामिल हैं। यह एक स्किन इंफ़ेक्शन है जिसे एंगलर चेइल इंडस्ट्रीज कहते हैं। जिन लोगों को एटोपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा जैसी ऑटो इम्यून डिजीज हो, एलर्जी या इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, डाउन सिंड्रोम, अनिद्रा हो, तब भी ऐसा होता है।

आँखों के कोने भी फटते हैं
कई बार आँखों के किनारे खुजली होती है, कपाल रफ़ और घुँघरू जैसी होती है और कपाल रफ़ भी लगती है। यह एक्ज़िमा हो सकता है। यह एक ऑटो इंटरनेट डिजिटल डिजीज है जो स्कार्फ, लाल, रैशेज और नमक उद्योग बनाती है। नेशनल एक्ज़िमा सोसायटी एक्जिमा के अनुसार आंखों के कोनों के साथ ही पलकें भी हो सकती हैं। इससे ऐसी लैश पर ड्रैड्रफ जैसी सफ़ेद पपड़ी जमने लगती है। एक्जिमा की वजह से कुछ लोग एटोपिक डर्मेटाइटिस का शिकार हो जाते हैं। इसमें सूज होती है और बहुत खुजली होती है।

एक्जिमा और सोरायसिस का कोई इलाज नहीं है (छवि-कैनवा)

प्रभाव से प्रभाव
कई बार कुछ लोगों को इलेक्ट्रोडायल हाथ के उपयोग या दांतों के उपकरण या किसी ब्रूस या किसी मेकअप उत्पाद का इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी त्वचा रोग हो जाता है। इसे भी आखि़री या फिर साज़िश के कॉर्नर ज़ायकेदार आक्रांत भी कहते हैं। इसमें त्वचा पर जलन, लाल चकत्ते भी शामिल होते हैं।

पलकों में जलन
अगर आंखों के साथ-साथ आंखों के ऊपरी हिस्से और पलकों में भी सूखापन हो तो यह सेबोरहाइक ब्लेफेराइटिस हो सकता है। यह मैलेसेजिया नाम के यीस्ट के पत्थने के कारण होता है। इससे आंखें सूजकर छोटे आकार की हो जाती हैं। आंखों में जलन होती है, रोशनी नहीं होती है, आंखों में खुजली होती है और पानी भी दिखता है। वहीं कई बार आंखों में ऑर्बिटल सेल्यूलाइटिस भी हो जाता है। यह एक अन्तरविषयक संक्रमण होता है. इसके लक्षण भी ऐसे ही होते हैं.

कुपोषण कारण हो सकता है
हर व्यक्ति का शरीर 20 किलो वजन पर 1 लीटर पानी की मात्रा होना चाहिए। यानी अगर किसी का वजन 60 किलो है तो उसे रोजाना 3 किलो पानी पीना चाहिए। अगर ऐसा ना किया जाए तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है और व्यक्तिगत डाइट का शिकार हो जाता है। इस शरीर में खुश्की प्यासी है और रेशमी मसाला होने जैसा है। त्वचा के लिए पानी और मॉश्चराइजर बहुत जरूरी है। ऐसा ना करने पर त्वचा तो रूखी होगी ही, आंख और मूंह के कोने भी फटेंगे।

एजिंग में भी ड्रेनेज
कई बार आंख और मूंछ के किनारे किनारे की वजह से भी डॉक्युमेंट हो जाते हैं। 40 साल की उम्र के बाद स्कार्फ से सोना खत्म होने लगता है। इस दौरान कई बार स्किन टाइप भी बदल जाता है। कई लोगों की दलील है कि उनकी सिल्क ऑयली तो थी लेकिन प्लास्टिक का तेल बनी हुई है। यह एजिंग का ही लक्षण होता है। महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान भी इस तरह की स्किन ड्रेनेज का सामना करना पड़ता है।

ड्रायर स्किन पर जोजोबा ऑयल, ग्लिसरीन, हयालूरोनिक एसिड, पाउडर जेली या सिया बटर लगाया जा सकता है। (छवि-कैनवा)

अस्पताल से गर्म पानी में
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार कुछ बेकार की वजह से रेशम का आटा होना प्रतीत होता है। जो लोग सिगरेट बनाते हैं, खाल उधेड़न के शिकार करते हैं या अन्वेषक स्थानों पर रहते हैं, वे अक्सर मछली पकड़ने की मशीन बनाते हैं। जिन लोगों की त्वचा रूखी रहती है, उन्हें बहुत सारा पानी पीना चाहिए, हर रोज त्वचा को मॉइश्चराइजर लेना चाहिए, तनाव से दूर रहना चाहिए, रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। लंबे समय तक नहाना या तेज गर्म पानी से संस्थान से परहेज करना चाहिए, रूटीन डॉक्टर से पूछना ही चाहिए।

विषय पर ध्यान
अंतर्वस्तु में बदलाव से इस समस्या का समाधान हो सकता है। खाने में विटामिन ए, सी, डी, ई, गिन, बी 12 और प्रोटीन शामिल हैं। एनटीएस, सीड्स में ओमेगा 3 होता है, जिसमें स्कार्फ को बेचा जाता है। खाद्य पदार्थों में हरी सब्जी, शकरकंद, खेड़ा, सेंट्रा, एवोकाडो, अंडा, टमाटर, सोयाबीन, नारियल पानी जैसी सब्जियां शामिल हैं। साथ ही चाय, मालदीव, भोजन से इनकार।


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