सेहत – मेडिकल मार्ट फोन और सोशल मीडिया कर चुका है आपके शेयर का नुकसान, जानकर हैरान रह जाएंगे आप, डॉ. ने दी रोक लगाने की सलाह
स्मार्टफोन के दुष्प्रभाव: वैयक्तिकृत सुविधा दी गई है, वैयक्तिक मार्ट फोन ने एक उद्यम जी का जंजाल कारोबार शुरू किया है। भारत से लेकर सैमसंग इंडिया के स्मार्टफोन की वजह से हो रहे नुकसान को लेकर आए दिन स्मार्टफोन्स और रिसर्च भी आती रहती हैं। यही वजह है कि हेलथ एक पार्ट को लगातार फोन के इस्तेमाल से लोगों को परेशान कर रहे हैं। हालाँकि इस बार सोशल मीडिया और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स को लेकर ऐसी जानकारी सामने आई है, कि अगर आपके प्यारे हैं और आपके ही या अपने पर्सनल फोन शुरू हैं तो उसके नुकसान को जानकर आपके होश उड़ जाएंगे।
आरटीआइ कर्मचारी अस्पोर्टल नाइफ में पल्मोनरी, क्रिटिककेयर एंड मेडिकलीप मेडिसिन के पूरक डॉ. जीसी खिलनानी ने News18hindi बातचीत में बताया गया कि 12 अक्टूबर 2024 को लेंसेट जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स द्वारा युवाओं के दिमाग और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव को लेकर आगाह किया गया है। भारत में इंफ्लूएंसर्स युवाओं के साथ-साथ छोटे-छोटे सामानों की मेंटल हेलथ के साथ भी खिलाड़ी बना रहे हैं।
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डॉ. खिलनानी कहते हैं कि भारत में भी कमोबेश यही हाल है तो फिल्म में है। यहां इन्फ्लूएंसर्स पार्टियों के दिमाग को न केवल प्रभावित कर रहे हैं बल्कि धोकर रख रहे हैं। जिनके पास केवल युवा अवशेष हैं, जो एक ओर बढ़ रहे हैं और उनमें से एक हैं इंडिपेंडेंट टेंडेंसी भी बढ़ रहे हैं।
स्थापनाओं को हो रहा ये नुकसान
. रिपोर्ट के मुताबिक 36 प्रतिशत टीनेजर जोड़े लगातार ऑनलाइन रहने के दौरान बाहरी या अन्य लोगों के संपर्क में रहते हैं।
. 11 प्रतिशत प्रतिभागियों में मेमोरियल मार्ट फोन या सोशल मीडिया का नशा जैसे मिल लक्षण रह रहे हैं।
. वहीं तीन ही प्रतिशत जोड़े ऐसे हैं, जो अगर सोशल मीडिया का लाभ नहीं उठा पाते हैं तो उनमें नॉकआउट या मूड ऑफ के लक्षण दिखाई देते हैं।
. 10 से 24 साल के युवाओं में मेंटल इलनेस का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
. सोशल मीडिया पर रील शेयरिंग और एडवर्टाइजमेंट की वजह से वेपिघ, डार्कमोकिंग, जुए की लता, फा स्टार्टर फूड खाने का चस्का, एल्कोहल की लता आदि भी बढ़ रही हैं।
. फोन की वजह से परिवार, दोस्त, यहां तक कि खाने की टेबल पर बैठे लोगों में भी कन्वर्जन की कमी देखी जा रही है। वे सभी एक साथ फोन वाले हैं।
. न केवल सिद्धांतों के शारीरिक विकास बल्कि मानसिक विकास और विचारों के सुझावों पर भी सोशल मीडिया पर चर्चा का चलन ख़राब हो रहा है।
मत रोको तो खराब होंगे हालात
डॉ. जीसी खिलनानी का कहना है कि सोशल मीडिया और ट्रायल मार्ट फोन के आवेदन पर अगर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले दिनों में हालात और भी बुरे होंगे। पीएस में बहुत सारे टीनएजर और शिष्ये नींद के दीवाने होते हैं, साक्षियों और आर्बों के वैज्ञानिक या उग्र हो रहे पिरामिड की साख लेकर आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर के पीछे मार्टफोन और सोशल मीडिया ही जिम्मेवार है।
माता-पिता नियंत्रण करें
घर में व्यवसायिक मार्ट फोन या इंटरनेट व्यापारियों का व्यवसाय कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए कहीं भी न कहीं पर्सेंट्स काफी हद तक जिम मास्टर हैं। माता-पिता ने अपनी छोटी-छोटी साज-सज्जा को बिजी करने के लिए फोन कर पकड़ाने की आदत से बाज आ गए। इसके अलावा डॉक्यूमेंट्री लेने वाले छात्रों को भी फोन न करें, जब तक कि कोई विशेष जरूरत न हो। दोस्ते अगर देर रात तक फोन चला रहे हैं तो उन पर नजर रखें। आपको क्वालिटी भी नहीं चाहिए होगी और पार्टनर सोशल एब्यूज के शिकार हो जाएंगे। इस बात को समझ लें कि आपके वजीरों को फोन करें कि सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
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पहले प्रकाशित : 16 अक्टूबर, 2024, 20:35 IST
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