सेहत – रात को अकेलापन सताए, नींद उड़ जाए, दिल ना उम्मीद हो जाए तो संभल जाए

रात का अँधेरा और शांति कुछ लोगों के लिए सर्वमान्य मान्यता है, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनमें रात का अँधेरा भी शामिल है। वह रात को इतनी निराशा, निराशा और चिंता से भरे हो गए कि खुद को परेशान कर रहे हैं। उनका जीवन भार दिखता है लेकिन दिन होता है वह बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। जिन लोगों की रात को मूड अचानक खराब होने लगता है रात्रिकालीन अवसाद (रात के समय अवसाद) कहा जाता है. कई लोग इससे जुड़े होते हैं। ऐसा कुछ लोग मौसम के बारे में जानकर भी महसूस करते हैं। अगर इसका सही समय पर इलाज ना हो तो समस्या गंभीर हो सकती है।

स्ट्रेस से आते हैं पाइपलाइन
मनोचिकित्साप्रेमी कहा जाता है कि दिन में लोग स्कूल, ऑफिस या अपनी दूसरी कंपनियों में बिजी रहते हैं। उन्हें फालतू रोमांस से नफरत नहीं है. दिन में वह वर्कशॉप में होती है लेकिन शाम को जब वह घर जाती है तो बहुत ज्यादा थकान महसूस करती है, शरीर में एनर्जी नहीं होती और दिमाग के पास जब कोई काम नहीं होता तो उसे सबसे ज्यादा चिंताएं होती हैं। यह तनाव का कारण होता है। कुछ लोगों को वर्क स्ट्रेस, कुछ को फ्रीलांस, फाइनेंस तो कुछ को रिलेशनशिप का स्ट्रेस होता है। जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के अनुसार दुनिया में 75% लोग अवसाद की वजह से रात को सो नहीं पाते हैं।

मोबाइल से नींद प्रभावित होती है
आज हर रात को सोने से पहले मोबाइल देखें। मोबाइल की ब्लू लाइट दिमाग को सिग्नल भेजती है कि अभी रात नहीं हुई और इस रात के समय रिलीज होने वाला स्लीपर हार्मोन जिसे मेलाटोनिन कहते हैं, वह रिलीज नहीं होता है। मेलाटोनिन ही अच्छी नींद का कारक है। जब नींद नहीं आती है तो व्यक्ति विशेष का शिकार होने लगता है जिससे रात को अवसाद सताने लगता है।

रात को सोने से 1 घंटा पहले मोबाइल का इस्तेमाल ना करें (Image-Canva)

मौसम परिवर्तन के साथ अवसाद
फ़्लोरिडा का सीज़न रात्रि समय में पुनः प्राप्त हुआ है। वास्तव में इस समय मौसम परिवर्तन हो रहा है। दिन छोटे और रातें लंबी होने लगी हैं। यह इंसान ज्यादातर समय अंधेरे में रहता है। इस प्रकार रात्रि समय अवसाद को मौसमी अवसाद या सांता अवसाद कहा जाता है। बहुमत में अधिकांश लोग लक्ष्य नहीं करते, धूप भी नहीं छूटती, हाथ-पैर जोड़े होने के कारण धूप भी शरीर पर नहीं दिखती जिससे उनके शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज नहीं होते इसलिए अक्सर इस समय कुछ लोग अवसाद का शिकार हो जाते हैं। महिलाओं में इस समय ज्यादातर इसी तरह की केटल डिसऑर्डर का शिकार होती हैं क्योंकि उनके शरीर में हार्मोन्स का स्तर लगातार घटता-बढ़ता रहता है। वहीं, लाइफस्टाइल भी इसकी वजह बनती है क्योंकि लुक में लोग ज्यादा ताला-भुना खाते हैं और पानी भी कमाते हैं।

दिन और रात के मूड में होता है फर्क
मनोचिकित्साप्रेमी के अनुसार हमारे शरीर में सेरोटोनिन नाम का हार्मोन मूड को नियमित करता है। दिन में सूरज की रोशनी होती है जिससे मूड अच्छा रहता है लेकिन जैसे ही सूरज रहता है तो मूड भी बदल जाता है। असल में हमारे शरीर की एक जैविक घड़ी है जो सूरज के उगने के साथ शुरू होती है। जो लोग लक्ष्य नहीं रखते या सूरज की रोशनी में नहीं लगाते, उनके शरीर में सेरोटोनिन कम मात्रा में बनता है जिससे मूड बनता है। रात्रि के समय अवसाद में डायनल वेरिएक्शन (दैनिक भिन्नता) होती है। यानी सूरज के उगने से लेकर सूरज के ढलने तक व्यक्ति के अलग-अलग मूड देखने को मिलते हैं। कुछ लोगों को कुछ मिनट के लिए तो कुछ को कई घंटे तक किसी भी समय मूड हो सकता है।

पहले से ट्रॉमा हो तब भी होता है ऐसा
हर इंसान के दो चेहरे होते हैं। वह दुनिया को अपनी अलग तस्वीरें दिखाती हैं जबकि अकेले में उनका अलग चेहरा होता है। हर व्यक्ति का अपमान अपनी जिंदगी जी रहा है। जब रात को अकेलापन हावी होता है तो अवसाद सताने लगता है। अगर किसी को पहले से कोई बचपन में आघात हुआ हो या परिवार में किसी की मानसिक स्वास्थ्य समस्या हो तो व्यक्ति को रात के समय अवसाद हो सकता है।

शाम को चाय-कॉफी से दूर रहना (छवि-कैनवा)

अवसाद से भी होती है बीमारी
अवसाद एक मन की बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। जो लोग पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, कैंसर या एड्स जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं तो ऐसे लोग रात के समय अवसाद का जल्दी शिकार हो सकते हैं। लेकिन हर मरीज को अवसाद हो, यह भी जरूरी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक अवसादग्रस्त रहता है तो उसका दिल स्वस्थ होना जरूरी है।

रात में खुद पर ध्यान
अगर किसी व्यक्ति का शाम होता है तो मूड खराब हो जाए, चिड़चिड़ापन हो जाए, शरीर में ऊर्जा महसूस ना हो, उदासी घेर ले, काम न करने के बाद भी थकान महसूस हो या नींद बहुत ज्यादा आ रही हो बहुत कम हो, भूख नहीं लग रही है या बहुत ज्यादा लग रही है, मूड मूड हो रहे हैं तो सावधान हो जाएं। अगर ऐसा लगातार 10 से 15 दिन शाम के समय हो तो यह रात का समय अवसाद है। इसका समय पर इलाज होना जरूरी है। यदि इसके वैधानिक लक्षण हैं तो थेरेपी दी जाती है। कुछ बिहेवियरल एक्टिविटी म्यूजिक ऑर्गनाइज की तरह की जाती है, कुछ अपना फेवरेट हॉबी करना ताकि वह शाम को अपनी पसंद के काम में छूट जाए। अगर किसी की इस बीमारी से नींद और भूख प्रभावित हो रही है तो उन्हें दवा दी जाती है।


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