सेहत – क्या आप भी सबसे ज्यादा मीठे खाने के शौकीन हैं? अगर हां, तो 3 चुनौती के लिए रहिए तैयारी

अधिक मीठा खाने से बढ़ता है डिप्रेशन का खतरा: भारत में मीठा लोगों को बेहद पसंद है. त्योहारों के सीज़न में तो हर घर मिठाइयाँ भरी रहती हैं। लेकिन अगर आप मिठाई खाने के ज्यादा शौकीन हैं तो थोड़ा कंट्रास्ट हो जाए क्योंकि एक स्टडी में सामने आई बात यह है कि जो लोग फल और स्वाद का कम सेवन करते हैं लेकिन मिठाई खाने की ज्यादा शौकीन हैं उन्हें डिप्रेशन डिप्रेशन, यह दोस्ती और स्ट्रगल का खतरा है सबसे ज्यादा रहता है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ श्योर बेरोजगारों ने 1.80 लाख लोगों के खान-पान का विश्लेषण करते हुए पाया कि मीठे खाने वाले ज्यादातर लोगों को नशे का खतरा तो सबसे ज्यादा रहता है, लेकिन उन लोगों को अवसाद का खतरा भी ज्यादा रहता है। डिप्रेशन के तनाव के बाद बेहद खराब मानसिक बीमारी होती है जो इंसान को तन और मन को तोड़ देती है।

1.80 लाख लोग अध्ययन करते हैं
यूनिवर्स ने अपने अध्ययन में इन लोगों को तीन स्थानों में विभाजित कर दिया। सबसे पहले श्रेणी में वे लोग शामिल थे जो अपने स्वास्थ्य का अत्यधिक ध्यान रखते थे और वे अपने समूह में हरे मसालों और औषधीय पौधों का सेवन अधिक करते थे। वहीं पशु उत्पाद और मीठे का भी कम सेवन किया जाता है। वहीं दूसरे ग्रुप के लोगों को किसी भी तरह की सेविंग नहीं दी गई थी. मछली, मसाला, मसाला, मीठी आदि चीजें थीं। तीसरे समूह में वे लोग शामिल थे जो फल और कम खाए गए थे लेकिन मिठाइयाँ और पेय अधिक थे। इसके बाद प्रोटोटाइप ने खून से 2923 प्रोटीन और 168 मेटाबोलिक नाइट्रोजन का विश्लेषण किया। असल में, प्रोटीन शरीर में कसरत से लेकर कई तरह की कसरत में भाग लिया जाता है। मेटाबॉलिक फीडबैक से पता चलता है कि शरीर सही तरह से काम करता है या नहीं।

फल, सब्जी खाने वाले को ज्यादा फायदा
इस विश्लेषण के बाद एरोबिक ने पाया कि जो लोग मीट को सबसे ज्यादा पसंद करते थे और फल भी कम खाते थे, उनमें अवसाद का खतरा 31 प्रतिशत ज्यादा था। इतना ही नहीं इन लोगों को सिगरेट के साथ-साथ दिल से संबंधित बेरोजगारी का खतरा भी बहुत ज्यादा था। इन लोगों के खून में सी-रिस्ट्री प्रोटीन का स्तर सबसे ज्यादा पाया गया। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गिफमैन ने बताया कि आज के समाज में चीनी का चलन बढ़ा है। हर किसी का जीवन चीनी खो गया है। कुछ लोगों को मिठाइयाँ खाने की आदत सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में हमें खाने से पहले अच्छी तरह से सोच-विचार करने से हमारे शरीर को क्या-क्या नुकसान हो सकता है। वहीं दूसरी ओर जो लोग स्वास्थ्य को लेकर रह गए थे उनमें से अधिकांश ग्रीन सीरीट, संयुक्त हृदय रोग विशेषज्ञ थे, संयुक्त राष्ट्र में फेल्योर, स्ट्रोक या क्रॉनिक डिजीज का खतरा बिल्कुल कम था।

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