सेहत – आंखों में दिखते हैं ये 5 लक्षण, समझ लें प्रदूषण ने कर दिया काम-तमाम, डॉ. बोले, तुरंत बचाव करें
प्रदूषण की वजह से आंखों की बीमारियां हो रही हैं। इस मौसम में नजर की देखभाल जरूरी है.
वायु प्रदूषण के कारण नेत्र रोग: समुद्र के साथ-साथ दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। अधिकाँश एशिया में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार यानि ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। रह रहा है. ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा संभावनाओं के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की एक बैठक में दिल्ली- कंपनी में ग्रेप के दूसरे चरण को लागू करने का निर्णय लिया गया। यह प्रदूषण न सिर्फ हवा और त्वचा का नुकसान पैदा कर रहा है, बल्कि आंखों के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। हवा में मौजूद प्राकृतिक कण, धूल और धुएं जैसी आंखों में कई ऐसे कलाकार पैदा हो गए हैं जो आंखों के बालों से लेकर उनकी रोशनी तक को प्रभावित कर रहे हैं।
पहला असर सांसों पर
यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के ट्रांसपोर्टिंग डायरेक्टरेट डॉ. पी.एन.अरोड़ा का कहना है कि दिल्ली-मैडम में सुलगते प्रदूषण का सबसे पहला असर हमारी दुनिया पर पड़ता है। रेज़ियन कण श्वसन तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं और इलेक्ट्रानिक कण्ट्रोल तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं। इसलिए, बाहरी मॉडलों में हमेशा N95 मास्क का उपयोग करें और पानी में हल्दी और लंबे समय तक बंदूकें रखें ताकि श्वसन तंत्र को साफ रखा जा सके।
ये भी पढ़ें
तत्काल बंद कर सुबह की सैर! डॉक्टर ने दी वॉर्निंग, वॉक का है मन तो ये है सही समय
त्वचा संबंधी रोग
यशोदा क्लिनिकल की ही डर्मेटोपैथी और कॉमेटोपैथी डॉ. सांद्रके के अनुसार प्रदूषण का प्रभाव त्वचा पर भी होता है, जिससे दाने, रैशेज़ और समय से पहले अंडकोष की समस्या हो सकती है। इसलिए, बाहर से आने के बाद चेहरे को अच्छी तरह से साफ करना और एंटीऑक्सीडेंट नियुक्तियों का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। इससे त्वचा पर फ्रोजन कान हट जाते हैं और त्वचा को अंदर से पोषण मिलता है।
आंखों पर इंजेक्शन लगाना बड़ा खतरा
प्रदूषण का सबसे बुरा असर आंखों पर देखने को मिल रहा है। इसके संपर्क में 5 मिनट बाद भी आंखों में बीमारियां पैदा हो रही हैं। यशोदा क्लिनिक के ही आई स्पेशलिस्ट डॉ. नरिंदर सिंह ने कहा कि अगर इन दिनों आंखों में जलन, आंखें लाल होना, पानी आना, खुजली और सूजन आ रही हैं तो ये 5 खतरनाक चीजें बढ़ रही हैं तो मन लें कि ये प्रदूषण की वजह से है। पिछले दो सप्ताह से देखा जा रहा है कि आम दिनों के क्लिनिक में अब ठीक-ठाक मरीज़ों की आंखों की रोशनी में अस्पताल आ रहे हैं। हालांकि इलाज से पहले लोगों को पता होना चाहिए कि घर से बाहर जाने से पहले धूप के चश्मे का इस्तेमाल करें और बाहर से आंखों के बाद ठंडे पानी से आंखों को ठंडक दें ताकि जादुई शक्ति को दूर किया जा सके।
. प्रदूषण के प्रभाव से कैसे बचाया जाए?
डॉ. सिंह के अनुसार, प्रदूषण के असर से बचने के लिए ये जरूरी सुझाव अपना सकते हैं…
स्वतंत्रता पर ध्यान
बाहर से घर आने के बाद सबसे पहले हाथ, चेहरा, और बाल अच्छे तरह से छीन लिए गए। इससे त्वचा और आंखों पर जमी धूल और प्रदूषक तत्वों को हटाया जा सकता है। अगर संभव हो तो चेहरे को धो लें और आंखों में साफ पानी के छींटे मारें। आँखों में दर्द हो तो डॉक्टर की लें मदद।
आंखों में दिखें लक्षण तो..
अगर पांचों आंखों में से कोई भी दिखे लक्षण दे तो तुरंत आंखों को साफ पानी से धो लें। समझ से कोई भी आई ड्रॉप खरीदकर आंखों में न लगाए, जरूरी तीन स्टेरॉयड आई ड्रॉप तो भूलकर भी आंखों में अपनी न लगाए। आँखों की एक आँख को नष्ट करें. आँखों में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें और फिर से दवा लें। आंखों को लेकर कोई भी कंसर्ट न हो, नहीं तो लेने के लिए पैड ले सकते हैं।
हेलदी आहार लें
अपने प्रोटीन में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। ये पोषक तत्व शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और शरीर को पोषण प्रदूषक के प्रभाव से बचाने में मदद करते हैं। सेंट्रा, गाजर, अमरूद, पत्तेदार हरी सब्जी, और शाकाहारी जड़ी-बूटियाँ नियमित रूप से स्थिर। इसके अलावा, हल्दी और अदरक जैसे नीबू का सेवन भी जादुई हो सकता है, क्योंकि इनमें सूजन प्रतिरोधी गुण होते हैं।
घर के अंदर साफ हवा बनाए रखें
घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, विशेष रूप से उन स्काई में जहां आप अधिक समय बिताते हैं। जो हवा को शुद्ध करने में सहायक होते हैं, उनका भी उपयोग किया जाता है, जैसे एलोवेरा, मनी प्लांट, और स्पाइडर प्लांट। साथ ही, घर के दरवाजे और दरवाजे सुबह और रात के समय बंद हो जाते हैं जब प्रदूषण का स्तर अधिक होता है।
बाहरी समय सीमाएँ:
जब भी बाहर निकलें तो मास्क का उपयोग करें, जैसे कि एन95 मास्क जो प्रदूषक आश्रम में रुकने में मदद करते हैं। साथ ही, सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, तो बाहरी संकट को कम करें।
व्यायाम का सही समय चुनें:
बाहरी व्यायाम करने का समय सुबह जल्दी या शाम को न रखें, क्योंकि इस समय प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है। घर के अंदर योग और प्राणायाम करें, जो फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं और श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होते हैं।
ये भी पढ़ें
क्या एयर प्यूरिफ़ायर सच में पॉलिथीन से शुरू होता है, कितने घंटे चलना ज़रूरी है? डब्ल्यूएचओ से जुड़े डॉ. दिया जवाब
पहले प्रकाशित : 24 अक्टूबर, 2024, 09:23 IST
Source link