सेहत – राजस्थान का यह पेड़ बहुत ही खास है, छात्र काढ़ा का पेय से ठीक होती है खांसी…बिच्छू का जहर का जहर भी यहां दिया गया है

जयपुर. सालभर में हरे पौधे वाले खेजड़ी के पेड़ को मरुस्थल का कल्पवृक्ष कहा जाता है। यह पेड़ किसानों के लिए शोभायमान माना जाता है। यह पालतू जानवर चरा के रूप में सबसे बड़े राक्षस माने जाते हैं। मोटी ताना वाला खेजड़ी का पेड़ किसानों के लिए आसानी से उपलब्ध है।

खेजड़ी भूमि को जमीन बनाने के साथ ही किसानों के लिए अतिरिक्त फसल का काम करता है। यह पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है और गर्मियों में राहत का काम करता है।

खेजड़ी को राज्य वृक्ष घोषित कर दिया गया है और खेजड़ी को संरक्षित करने के लिए कानून भी बनाया गया है। खेजड़ी के छात्र कठोर होते हैं इस पर भूरे रंग के छोटे-छोटे बच्चे होते हैं। इसकी तनियां लचीली और लंबी होती है जो ईधन का उपयोग में ली जाती है। खेजड़ी को शमी वृक्ष भी कहाँ जाता है। खेजड़ी के फल को साँगरी कहाँ जाती है जो स्वादिष्ट सब्जी के रूप में जानी जाती है।

डॉक्टर किशनलाल के शिष्यों में खेजड़ी के छात्र, पत्ते, जड़वत औषधीय मसालों की प्रचुरता है। इस पेड़ के छात्र में जो सफेद भूरे रंग का होता है। धार्मिक दृष्टि से खेजड़ी को पवित्र वृक्ष माना जाता है। खेजड़ी की लकड़ी का प्रयोग यज्ञ व घर में भी किया जा रहा है।

खेजड़ी के पेड़ के आयुर्वेदिक फायदे
डॉक्टर किशनलाल ने बताया कि खेजड़ी के छात्र फॉल्टी और जड़वत औषधीय औषधीय गुणों से भरपूर हैं। आयुर्वेद में इसका प्रयोग औषधि निर्माण में किया जाता है। खेजड़ी के छात्र का काढ़ा पीने से खांसी और फेफड़ों की सूजन में तुरंत आराम मिलता है। छात्र का लेप बिच्छू के डंक के जहर के पैकेट में सहायक है, इसका लेप तुरंत आरामदायक होता है।

जहां खेजड़ी के छात्रों को पीसकर चर्म विक्रेताओं के इलाज में तुरंत आराम मिलता है। इसके अलावा खेजड़ी को कफ और पित्त को दूर करने में बहुत ही जादुई दवा बनाई जाती है।

रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने में सहायक
खेजड़ी के लगातार सेवन से शरीर की रक्त वाहिकाएं बनती हैं जिससे रक्त शोध में मदद मिलती है। इसमें विद्यमान पोषक तत्त्व शरीर की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं। आयुर्वेद में खेजड़ी की छड़ी और काढ़े का औषधीय प्रयोग किया जाता है। खेजड़ी के पेड़ में मौजूद तत्व पेट के कीड़े मारने में सहायक होते हैं। खेजड़ी दस्त, पायल्स, पेट के बागानों में प्रवासियों का इलाज है।

खेजड़ी के पेड़ का धार्मिक महत्व
हिन्दू पुराणों में खेजड़ी के पेड़ को पवित्र वृक्ष माना जाता है। लोक देवता गोगाजी का स्थान खेजड़ी के वृक्ष के नीचे ही बनाया गया है। इसमें भगवान शिव का वास होता है। खेजड़ी के पेड़ के वेदों का भी वर्णन यहां दिया गया है। इस पेड़ को पवित्र पेड़ माना जाता है। जन्माष्टमी और गोगा नवमी के दिन खेजड़ी की पूजा करना शुभ होता है। शादी-विवाह और त्योहारों में खेजड़ी को तुलसी की तरह शुभ माना जाता है। खेजड़ी की लकड़ी का उपयोग यज्ञ में किया जाता है।


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